इस्लाम में मसीह
पहला बाब
मसीह इस्राइली
पहले हम ये देखते हैं कि यहूदी क़ौम जिसमें ईसा मसीह पैदा हुआ अज़रूए क़ुरआन रुए ज़मीन की तमाम दीगर अक़्वाम पर फ़ज़ीलत रखती है । चुनांचे सूरह बक़रा की 46 आयत में मर्क़ूम :—
يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ اذْكُرُواْ نِعْمَتِيَ الَّتِي أَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ وَأَنِّي فَضَّلْتُكُمْ عَلَى الْعَالَمِينَ
यानी ए बनी-इस्राइल मेरी नेअमत को याद करो जो मैं ने तुम पर भेजी और तहक़ीक़ मैंने तुमको तमाम आलमीन पर फ़ज़ीलत बख़्शी I
इस आयत से साफ़ ज़ाहिर होता है कि सरवर अम्बिया के लक़ब का हक़दार ज़रूर बनी-इस्राइल में से होना चाहिए ।
क्योंकि इमाम राज़ी साहिब फ़रमाते हैं कि "लफ़्ज़ आलमीन" के मफ़हूम में ख़ुदा की ज़ात के सिवा तमाम मख़्लूक़ात शामिल है पस अब मुक़ाम-ए-ग़ौर है कि ईसा इब्ने मर्यम इस्राइल की मानिंद उस लक़ब का मुस्तहिक़ कौन है ?
क़ुरआन सिर्फ उसी को कलिमतुल्लाह और रूहुम्मिन्हू कहता है।
फिर सूरह अन्कबूत की 26 आयत में मर्क़ूम है :—
وَوَهَبْنَا لَهُ إِسْحَقَ وَيَعْقُوبَ وَجَعَلْنَا فِي ذُرِّيَّتِهِ النُّبُوَّةَ وَالْكِتَابَ
यानी हमने उस को इस्हाक़ व याकूब दीए और नबुव्वत व किताब का इनाम हमने उस की नसल में रखा I
इस में तो ज़रा भी शक नहीं कि क़ुरआन में अम्बिया की जिस जमात की तरफ़ इशारा है । वो ज़्यादा तर इस्हाक़ की औलाद में से थे। इस्माईल की औलाद में से एक भी नहीं था और इस का सबब भी साफ़ ज़ाहिर है क्योंकि बाइबल और क़ुरआन दोनों के बयान के मुताबिक़ ख़ुदा के इनाम और वाअदे का फ़रज़न्द इस्हाक़ ही था इस्माईल तो इब्राहीम की कनीज़ा हाजिरा का बेटा था और क़ुरआन उस को इनाम ईलाही बयान नहीं करता बल्कि बख़िलाफ़ उस के मुंदरजा बाला आयात निहायत सफ़ाई और सराहत से साबित करती है कि ख़ुदा ने नबुव्वत व किताब के इनाम को इस्हाक़ की नसल के लिए मख़सूस किया। लिहाज़ा क़ुरआन तौरेत के बयान से बिल्कुल मुताबिक़त रखता है। पैदाइश की किताब के 26 वें बाब की चौथी आयत में मर्क़ूम है कि:—
तेरी नसल से ज़मीन की सारी क़ौमें बरकत पाएंगी ।
हम अपने मुसलमान अहबाब से पूछते हैं कि क्या वो बाइबल या क़ुरआन में कहीं ये लिखा दिखा सकते हैं कि ख़ुदा ने इस्माईल की नसल की तरफ़ इशारा करके इब्राहीम से कहा कि मैं नबुव्वत व किताब का इनाम तेरी औलाद को दूँगा?
क्या क़ुरआन की मज़कूरा बाला आयात से मालूम नहीं होता कि बनी-इस्राइल इस्हाक़ की नसल से हैं और क्या ये अज़हर-मिनश्शम्स नहीं कि ईसा मसीह इब्ने मर्यम बनी-इस्राइल में से है ? पस मसीह की क़ौमीयत ही उसे हज़रत मुहम्मद या इस्माईल के किसी और फ़रज़न्द से कहीं बुज़ुर्ग व बरतर क़रार देती है। इस के साथ ही जब हम मसीह के इन अल्क़ाब का जो क़ुरआन में मुंदरज हैं ख़्याल करते हैं तो इस की शान दीगर अंबिया से निहायत ही आला व अरफ़ा नज़र आती है।