January 2017

दावत ए इस्लाम

Dawat-i-Islam

दावत ए इस्लाम

अज़

जिसको जनाब पादरी जोएल डेविड साहिब मरहूम ने बाआनत पादरी एस-निहाल सिंग-बी-ए-जनाब सर विलीयम मियूर साहिब बहादुर-एल-एल-डी-की किताब मुस्लिम इन्वाइटेड टू रीड दी बाइबल से तर्जुमा किया

और

नार्थ इंडिया क्रिश्चन ट्रेक्ट एंड बुक सोसाईटी

इलाहबाद
ने
इंडियन क्रिश्चन प्रेस इलाहाबाद में तबअ करा के शाए किया
1903 ईस्वी

Sir William Muir

N.I.T.S.

Muslim’s Invited to Read the Bible

BY

The Late SIR WILLIAM  MUIR

(27 April 1819 – 11 July 1905)

Scottish Orientalist, scholar of Islam

दावत

कि अहले इस्लाम किताब अहले यहूद व नसारा का मुतालआ फ़रमाएं

क़ुरआन में तौरेत व इंजील की तारीफ़ आई है

मैं मुसलमानों की सोहबत में तक़रीबन चालीस बरस तक रहा हूँ और उन में मेरे बहुत से मुअज़्ज़िज़ अहबाब हैं मगर मैंने शाज़ोनादर उन के पास या उन के मकानों में कोई नुस्ख़ा तौरेत या इंजील का देखा और इस बात पर मुझे बड़ी हैरत है क्योंकि मेरे यार गारो आश्नाऐयाँ ग़मख़्वार हमेशा क़ुरआन की तिलावत किया करते हैं और इस में अहले-किताब के ईलाही नविश्तों की बराबर तारीफ़ आई है और उन मुकाशफ़ात आस्मानी की भी जो इन नविश्तों में शामिल हैं। जाये ताज्जुब है कि हम अपने अहबाब अहले इस्लाम को इन किताबों का मुतालआ करते नहीं देखते जिनकी तारीफ़ उन की इल्हामी किताब में शुरू से आख़िर तक पाई जाती है और जो इन बातों से पुर हैं जो मोमिनीन के हिदायत और रहनुमाई के लिए ज़रूर हैं मुझे बड़ा शतयाक़ है कि वो आप दर्याफ़्त कर लें कि इन के नबी की तालीम तौरात व इंजील की निस्बत कैसी सच्ची और बरहक़ है पस वो इस ग़रज़ के पूरा करने के लिए पाक नविश्तों के नुस्ख़ा जो बाआसानी दस्तयाब हो सकते हैं हासिल करें और उन का मुतालआ करके ग़ौर फ़रमाएं कि क़ुरआन में उन की ख़ूबी और मंजिलत की कैसी ज़बरदस्त शहादत पाई जाती है।

इसी ग़रज़ से मैं अपने अहबाब अहले इस्लाम की ख़िदमत में ये रिसाला पेश करता हूँ और मुल्तमिस हूँ कि वो मज़ामीन जे़ल पर ग़ौर फ़रमाएं :-

अव़्वल तौरेत, ज़बूर और इंजील की फ़ज़ीलत और उन के मिंजानिब अल्लाह होने के सबूत में क़ुरआन की चंद आयात पेश करूंगा।

दोम ये साबित करूंगा कि वो सहीफ़े जो अब हमारे पास मौजूद हैं कलाम-ए-ईलाही हैं जिनकी तारीफ़ व तौसिफ उन के नबी ने बारहा की है और यह कहा है कि उन पर गवाही देना मुझ पर फ़र्ज़ है।

सोम चंद नसीहतें अख़ज़ करूंगा जो बनी-आदम की दुनिया व अक़बा की बहबूदी के लिए नाज़िल हुए हैं।

उम्मीद है कि हमारे मुसलमान भाई जब बाइबल मुक़द्दस की तालीम की ख़ूबी देखेंगे और यह बात मालूम करेंगे कि ये तालीम किस क़दर उस सना व सिफ़त के मुताबिक़ है जो उन की निस्बत क़ुरआन में पाई जाती है तो ख़ुद उसे अपने पास रखेंगे और ये मानेंगे कि उनके नबी ने बाइबल के मानने और उस की तालीम पर चलने की हिदायत यहूदी और ग़ैर क़ौम दोनों पर हमेशा बड़े शद-ओ-मद से की है तो हमारे अक़ीदे और ईमान की जान पहचान कर क़दर करेंगे।

शहादत-ए-क़ुरआनी बरक़ुतुब-ए-रब्बानी यानी कुतुब-ए-मुक़द्दसा अहले यहूद व नसारा

क़ुरआन में किस कसरत के साथ ईलाही मुकाशफ़ात गुज़शता की निस्बत शहादत आई है

ऐ मुसलमान दोस्तो आप जो रोज़मर्रा क़ुरआन की तिलावत करते या उसे ज़बानी पढ़ते हो ज़रूर मालूम क्या होगा कि क़ुरआन अगली इल्हामी किताबों के हवालों से मामूर है इस में शुरू से आख़िर तक ये पाया जाता है कि वो ऐसी किताबें हैं कि आप लोगों के नबी के नसाएह व पन्द की ख़ास ग़रज़ ये थी कि उन्हें मोअतबर ठहराएँ और वह हमेशा इस बात की नसहीत करने पर मुस्तइद रहते थे कि यहूदी और ईसाईयों पर फ़र्ज़ है कि इन किताबों के अहकाम पर अमल करें। पस इस तरह की ग़ैर-मुतगय्यर शहादत जो कभी कहीं नज़र से गुज़री हो क़ुरआन में यूं आई है कि مُّصَدِّقٌ لِّمَا مَعَكُمْ यानी क़ुरआन उन सहीफ़ों की जो पेशतर नाज़िल हुए और तुम्हारे यानी यहूदी और ईसाईयों के पास या उनके हाथ में मौजूद हैं तस्दीक़ करता है ये शहादत क़ुरआन में अस्सी (80) दफ़ा आई है कि दो तीन हवालों से ज़्यादा पेश करना फ़ुज़ूल है इस लिए मैं चंद ही हवाले बतौर मिसाल अख़ज़ करता हूँ I

जबकि मक्का के बुतपरस्त बाशिंदों ने आपके नबी को शायर और मजनूं कहा तो उन को हिदायत हुई कि यूं जवाब दें :-

सुरह अल-सफ़्फ़ात "वो आया है साथ लेकर सच्चाई और तस्दीक़ करता है उन रसूलों की जो हुए उस से आगे।”

फिर सुरह बक़र में यहूदीयों से यूं ख़िताब किया है :-

"ऐ बनी-इस्राईल याद करो हमारा एहसान जो हमने किया तुम पर और पूरा करो क़रार मेरा और मेरा ही डर रखो और मानो जो कुछ हमने उतारा सच्च बताता तुम्हारे पास वाले को।”

और फिर सुरह निसा में यूं आया है :-

"ऐ किताब वालो ईमान लाओ उस पर जो हमने नाज़िल क्या सच्च बताता है तुम्हारे पास वाले को।”

अब कुछ ज़रूर नहीं कि मैं और हवाले पेश करूँ क्योंकि आप उस के रोज़मर्रा तिलावत करने से ख़ूब वाक़िफ़ हैं कि क़ुरआन में बीसियों मुक़ाम पर ऐसी शहादत आई है जो अगली किताबों की तस्दीक़ करती है । पस ऐ मेरे दोस्तो आप लोगों को बड़ी ताज़ीम के साथ इन पर लिहाज़ करना चाहिए जिनका तज़किरा इस क़दर आपके नबी ने किया है यानी ये कलाम-ए-ईलाही है जो इन्सानों की हिदायत के वास्ते आस्मान से उतरा है इस के मज़्मूनों से आप लोगों को आगाह होना लाज़िम है अब आगे मैं ज़ाहिर करूँगा कि क़ुरआन में हमारे सहाइफ़ आस्मानी की क्या-क्या तारीफ़ आई हैI

इस बयान में
कि तौरेत ज़बूर और इंजील की तारीफ़ क़ुरआन
में आई है और उनके मुतालआ करने का हुक्म अहले-
किताब को दिया गया है

अज़-बस-कि किताब मुक़द्दसा अहले यहूद-ओ-नसारा ऐसे अफ़्ज़ल हैं और उनकी निस्बत आपके नबी ने इस कसरत से शहादत दी है मैं चंद आयतें क़ुरआन से अख़ज़ करता हूँ जिनसे उनकी क़दर-ओ-मनज़िलत आश्कारा होती हैं ये आयतें बित्तफ़्सील एक किताब मुसम्मा बशहादत क़ुरआनी बरक़ुतुब रब्बानी में मुंदरज की गई हैं और वो नॉर्थ इंडिया ट्रेक्ट सोसाइटी इलाहाबाद की तरफ़ से तबअ की गई है और वहां से बाआसानी दस्तयाब हो सकती है शायद ये आपकी नज़र से गुज़री हो और अगर आप की नज़र से ना गुज़री हो तो उसे मेरी ख़ातिर से मंगा कर मुलाहिज़ा फ़रमाए यहां इतना ही ज़रूर है कि मैं इस में चंद ख़ास आयतें इस रिसाला में नक़्ल करूँ।

पहले उन आयतों को पेश करता हूँ जो कुतुब अहले यहूद पर शहादत देती हैं।

सुरह साफ्फात” और हमने एहसान किया मूसा और हारून पर और बचा दिया हमने उनकी और उनकी क़ौम को हर घबराहट से और उनकी मदद की हमने तार है वही ज़बर और दी उन को किताब वसीअ और समझाई उन को सीधी राह।

जबकि मक्का के बुत परस्तों ने क़ुरआन को रद्द किया और यह कहा कि ये एक लगू क़दीम है तो उस के जवाब में सुरह अह्क़ाफ़ में यूं आया है :-

हालाँकि इस से पहले किताब मूसा ईमान और रहमत है और ये किताब ज़बानी अरबी में उस की तस्दीक़ करती है ताकि मुतनब्बा करे गुनाहगारों को और बशारत है नेक करने वालों के लिए।

सुरह मर्यम” और बतहक़ीक़ हमने मूसा को हिदायत और विरासत में दी बनी-इस्राईल को किताब राह दिखाने वाली और याद दिलाने वाली समझ वालों को।

सुरह हूद” और उसके (मुहम्मद) क़ब्ल है किताब मूसा ईमान और रहमत ।

सुरह इनआम” फिर हमने मूसा को किताब दी जो अहसन बात पर कामिल है और हर शैय की तफ़्सील और हिदायत और रहमत है कि शायद ये लोग अपने रब से मिलने पर ईमान लावें।

सुरह क़िसस” और बतहक़ीक़ पहले ज़माने वालों के हलाक करने के बाद हम ने मूसा को किताब दी (कि जो) आदमीयों के वास्ते बसीरत और हिदायत और रहमत है शायद कि वो लोग नसीहत क़बूल करें।

सुरह अम्बिया” और बतहक़ीक़ हमने दिया मूसा और हारून को अल-फ़ुरक़ान (यानी) इम्तियाज़ और रोशनी और नसीहत और ख़ुदा परस्तों के वास्ते जो अपने रब से डरते हैं और उस घड़ी (यानी क़ियामत) से काँपते हैं।‘

सुरह माइदा हमने उतारी तौरेत इस में हिदायत और रोशनी उस पर हुक्म करते पैग़म्बर जो हुक्मबरदार थे यहूद को और दरवेश को और आलिम को इस वास्ते कि निगहबान ठहराए थे अल्लाह की किताब पर और उस के ख़बरदार थे।

सुरह बक़र उसने (जिब्रईल) तो उतारा है ये कलाम तेरे दिल पर अल्लाह के हुक्म से सच्च बतलाता है उस कलाम को जो आगे है और राह दिखाता है और ख़ुशी सुनाता है ईमान वालों को।”

सुरह सज्दा और तहक़ीक़ हमने दी मूसा को किताब पर तो शुब्ह में मत पड़ उसके माअनी हैं और हम ने बनाया उसे हिदायत करने वाली इस्राईल के वास्ते।

सुरह जासिया” और हम ने दी बनी-इस्राईल को किताब और हुकूमत और पैग़म्बरी।

सुरह इमरान” जब यहूदीयों से बह्स कर रहे थे तो आपके नबी ने इन से कहा कि "तौरेत को लाओ और जो कुछ कहते हो उस से साबित करो।”

“लाओ तौरेत को और तुम पढ़ो अगर सच्चे हो।”

फिर उसी सुरह में यूं आया है "कि तहक़ीक़ वो हिदायत अल्लाह की हिदायत है कि दिया जाएगा मुझे (मुहम्मद) मानिंद उसके जो दिया गया है तुमको जिसके मअनी ये हैं कि क़ुरआन तौरेत के मानिंद है।

सुरह अम्बिया” और बतहक़ीक़ हमने ज़िक्र यानी तौरेत के ज़बूर में लिखा है कि मेरे बंदगान रास्तबाज़ ज़मीन के वारिस होंगे।”

सुरह बनी-इस्राईल और सुरह निसा में और हम ने दिया मूसा को ज़बूर।”

अब हम उन आयतों को जो इंजील में खुदावंद ईसा मसीह की निस्बत पाई जाती हैं नक़्ल करते हैं।

सुरह बक़र" और दी हमने ईसा मर्यम के बेटे को (इल्हाम) सरीह और ज़ोर दिया उस को रूह पाक से।”

सुरह हदीद” और हमने भेजा नूह और इब्राहिम को और रखी दोनों की औलाद में पैग़म्बरी और किताब। फिर कोई उनमें से राह पर है और बहुतेरे उनमें बे हुक्म हैं और फिर पीछे भेजा ईसा मर्यम के बेटे को और उसको दी इंजील और रखी हमने उसके साथ चलने वालों के दिल में नरमी और महर।”

सुरह निसा मसीह जो है ईसा मर्यम का बेटा रसूल है अल्लाह का और उसका कलाम जो डाल दिया मर्यम की तरफ़ और रूह है उसके यहां की सौ मानो अल्लाह को और उसके रसूलों को।”

सुरह अम्बिया (फ़रिश्ता मर्यम से कहता है) "सिखलाएगा ख़ुदा उस (ईसा) को दानाई और किताब और (उसे मुक़र्रर करेगा) रसूल बनी-इस्राईल के लिए (और वो कहेगा) बतहक़ीक़ आया हूँ मैं तुम्हारे पास......ताकि तस्दीक़ करूँ सब कुछ जो मेरे पेशतर है तौरेत में और एक हिस्सा जो मना था तुमको तुम्हारे लिए हलाल ठहराऊं।”

फिर उसी सुरह में ये है :-

"कह ऐ अहले किताब! तुम नहीं क़ायम हो किसी चीज़ पर जब तक नहीं मानते हो तौरेत और इंजील को और उस पर जो उतारा ख़ुदा ने तुम पर।”

सुरह माइदा और पीछे भेजा हमने उन्हीं के क़दमों पर ईसा और मर्यम के बेटे को सच्च बताता तौरेत को जो आगे से थी और उसको दी हमने इंजील जिसमें है हिदायत और रोशनी और सच्ची करते अपनी अगली तौरेत को और राह बताती और नसीहत डरने वालों को और चाहीए कि हुक्म करें इंजील वाले उस पर जो अल्लाह से उतरा और कोई हुक्म ना करे अल्लाह के उतारे पर सौ वही लोग हैं बहकिम।”

और तुझ पर उतारी हमने किताब तहक़ीक़ सच्चा करती सब अगली किताबों को और सब पर शामिल।”

इनके सिवा बहुत सी आयतें अख़ज़ की जा सकती हैं लेकिन शायद यही काफ़ी हैं मगर तो भी एक और सुरह इमरान से नक़्ल करता हूँ :-

अल्लाह के सिवा किसी की बंदगी नहीं जीता है सब का थामने वाला। उतारी तुझ पर किताब तहक़ीक़। साबित करती अगली किताबों को और उतारी थी तौरेत और इंजील इस से पहले लोगों की हिदायत को और उतारा (फुर्क़ान) इन्साफ़ जो लोग मुन्किर हैं अल्लाह की आयतों से उनको सख़्त अज़ाब है और अल्लाह ज़बरदस्त है बदला देने वाला।

अब ऐ मेरे दोस्तो ग़ौर करने की जगह है कि क़ुरआन में किताब अहले यहूद और नसारा की कैसी शहादत आई है कि वो किताबें इन्सान की हिदायत के वास्ते आस्मान से नाज़िल हुई हैं ये भी मद्द-ए-नज़र रहे कि क़ुरआन में हुक्म है कि जो कोई शफ़ाअत ईलाही को ना माने तो इस को ख़ुदा तआला जो इंतिक़ाम लेता है होलनाक सज़ा देगा पस क्या इस से ये बात साबित नहीं होती है कि हम सब के लिए इन कुतुब के मुआयना और मुतालआ करने और इस तरह उनकी हिदायत से फ़ायदा उठाने की दावत आई है क्योंकि आप ही के नबी साफ़ फ़रमाते हैं कि सब लोगों के वास्ते इन किताबों में हिदायतें पाई जाती हैं। क्या उनसे दस्त-बरदार रहने या ग़फ़लत करने में गुनाह नहीं है? क्योंकि फिर यूं वारिद हुआ है कि "जो कोई ईमान नहीं लाता ख़ुदा पर उसके फ़रिश्तों पर और उसकी किताबों पर और उस के नबियों पर और उस पिछले दिन पर बतहक़ीक़ गुमराह हुआ है वो एक वसीअ और ख़तरनाक भूल में है सुरह निसा।”

लेकिन शायद आप फ़रमाएंगे कि हम क्योंकर जानें कि तौरेत और इंजील जो अब तुम हमारे सामने पेश करते हो वही तौरेत और इंजील हैं जिनकी निस्बत हम लोगों के नबी ने क़ुरआन में शहादत दी है मगर इस बात में मुतलक़ शक व शुबहा नहीं है और हमें उम्मीद है कि आइन्दा फ़स्ल में ये बात पाया सबूत को पहुंच जाएगी (और मैं यक़ीन करता हूँ) कि आपसे बग़ौर व तामिल और बे तरफ़दारी मुलाहिज़ा फ़रमाएंगे।

इस बाब में कि वो किताबें जो हमारे पास मौजूद हैं वही किताबें हैं जिन पर क़ुरआन में शहादत दी गई है

ये किताबें जो हमारे पास मौजूद हैं सच्ची और ग़ैर तहरीफ़ हैं यानी तौरेत ज़बूर और इंजील वही किताबें हैं जिनका ज़िक्र बार बार क़ुरआन में आया है कि ये कुतुब ईलाही हैं।

निस्बत सहाइफ़ अहले यहोदां सहीफ़ों को ज़माने क़दीम में वक़्तन-फ़-वक़्तन मुख़्तलिफ़ नबियों और अक़्लमंदों ने इल्हाम से ज़बान इब्रानी में क़लम-बंद क्या ये सहीफ़े सैकड़ों बरस पेशतर ज़हूर ईसा यानी तव्वुलुद मसीह मौऊद तक्मील को पहुंचे पस वो इस तरह ना फ़क़त यरूशलेम व मुल्क कनआन में उनके पास मौजूद थे बल्कि दूर दौर के मुल्कों और सारी रूमी सल्तनत में फैले हुए थे जैसे कि खूदिया लोग मुद्दत से मुंतशिर थे उनकी तिलावत हमेशा हर जगह इबादत ख़ानों में हुआ करती थी उनका तर्जुमा यही ज़बान यूनानी में हुआ था जिसका ज़िक्र जे़ल में किया जाएगा।

निस्बत सहाइफ़ नसारा :- उन को पैरौवान ईसा मसीह बाद उनकी वफ़ात व क़याम ज़ब्त तहरीर में लाए यानी आप के नबी के ज़ाहिर होने से पांच सौ बरस पेशतर ईसाईयों ने यहूदीयों के सहीफ़ों को कलाम-उल्लाह जान कर क़बूल किया और इस तरह अह्दे-अतीक़ व जदीद मिला कर उन की पूरी बाइबल हुई ये उन के घरों और ख़ानदानों और बराबर ब-वक़्त इबादत इन सब मुल्कों के गिरजों में जहां दीन ईसवी फैल गया था पढ़ी जाती थी पस् इस तरह ये नविश्ते ज़माना-वर-ज़माना आपके नबी के ज़माना तक चले आए लिहाज़ा ये वही अगली किताबें हैं जिनको क़ुरआन में किताब ईलाही क़रार दिया है।

ऐ मेरे दोस्तो ग़ौर करो यह वही किताबें हैं जिनकी क़ुरआन में तस्दीक़ की गई है और जो यहूदीयों और ईसाईयों के पास सातवीं सदी ईसवी में यानी आपके नबी के ज़माना और इस वक़्त में जब क़ुरआन नाज़िल हुआ मुरव्वज थीं।

यहूदी और ईसाई जो इन किताबों के हामिल थे आपके नबी के चारों तरफ़ रहते थे तीन यहूद फ़िर्क़े बनाम कनिकवा, नधीर, करीटज़ा, मदीना के नज़्दीक तीन शहर-पनाह दार बस्तीयों में रहते थे और कुल मुल्क अरब में बहुत से ईसाई और यहूदी बूद-ओ-बाश रखते थे मसलन इन शहरों में ख़ैबर, यमन और नजरान, फिर जामा अतराफ़ अरब से मदीना में एलची आया करते थे तवारीख़ से साबित है कि शहर नजरान से मुहम्मद साहिब के पास एलची भेजे गए इनमें दो ख़ास शख़्स थे यानी वहां का सरदार वक़्त अब्दुल मसीह जो बनी कीनदा में से था और उनका उस्क़ुफ़ जो बनी हारित में से था जब उन्होंने इस्लाम क़बूल करने से इन्कार किया तो आप लोगों के नबी और उनके दर्मियान गर्मजोशी से बह्स हुई जिसका तज़किरा क़ुरआन में यूं पाया जाता है :-

सुरह इमरान तहक़ीक़ ईसा की मिसाल अल्लाह के नज़्दीक जैसे मिसाल आदम की बनाया उस को मिट्टी से फिर कहा उस को हो जाओ वो हो गया हक़ बात है तेरे रब की तरफ़ से फिर तू मत रह शक में फिर जो कोई झगड़ा करे तुझसे इस बात में बाद उस के कि पहुंच चुका तुझको इल्म तो तू कह आओ बुलावें हम अपनी बेटी और तुम्हारे बेटे और अपनी औरतें तुम्हारी औरतें और अपनी जान और तुम्हारी जान फिर दुआ करें और लानत डालें अल्लाह के झूटों पर। यही है बयान तहक़ीक़...........फिर अगर क़बूल ना करें तो अल्लाह को मालूम हैं फ़साद करने वाले। तू कह ऐ किताब वालो आओ एक सीधी बात पर हमारे तुम्हारे दर्मियान की कि हम बंदगी ना करें और किसी की सिवाए अल्लाह के।

उसी सुरह में दूसरे मौक़ा पर ये ज़िक्र है कि जब यहूदीयों ने किसी अक़ीदे पर इनसे इख़्तिलाफ़ ज़ाहिर किया और यह दावा किया कि हमारी किताब में इस का सबूत है तो आपके नबी ने इन से कहा कि लाओ यहां अपनी तौरेत और पढ़ो उसे अगर तुम सच्चे हो।”

और फिर उसी सुरह में यूं आया है "क्या उन्हें देखा" तूने इन यहूदीयों को जिनको एक हिस्सा किताब का दिया गया उनसे कहा गया था कि लाओ ख़ुदा की किताब यानी तौरेत ताकि वही फ़ैसला करे उनके दर्मियान पर फिर उनने अपनी पीठ और भाग गए इस से ज़्यादा सबूत इस बात की निस्बत पेश करना मुम्किन है कि अगली किताबें जिनका ज़िक्र आप लोगों के नबी ने बार-बार किया है कि वो ख़ुदा का कलाम है वही अह्दे-अतीक़ और जदीद में जो यहूदीयों और ईसाईयों के पास जो कि इन के गिर्द-ओ-नवाह में रहते थे मौजूद थीं। 1

यहां कोई दाग़ उनके सहीफ़ों की सदाक़त के निस्बत नहीं लगाया गया है मगर सिर्फ उनका ग़लत हवाला देना लफ़्ज़ों का हटाना और ज़बान का मरोड़ना बयान किया गया है ये शिकायत जो कुछ हो सिर्फ़ यहूदीयों के निस्बत की गई है और ईसाईयों की निस्बत कहीं नहीं पाई जाती जो पुराने और नए दोनों अह्दनामे अपनी बाइबल हैं जो उनमें मुरव्वज रखते थे।

आपके नबी ना फ़क़त उन यहूदीयों और ईसाईयों से जो मुल्क अरब में रहते थे वाक़िफ़ थे बल्कि उन से भी (वाक़िफ़ थे) जो आस-पास के मुमल्कतों में पाए जाते थे उन्होंने ख़ुद दोबार सूरया में सफ़र किया था एक-बार बीस (20) बरस के सन में अपने चचा अबू-तालिब के हमराह गए थे और दूसरे बार ख़दीजा के हुक्म से इस से शादी करने के क़ब्ल जब और जगह की आड़थों में मुख़्तारकारी करते थे इस तरह उन को बहुत मौक़ा मिला था कि वहां के ईसाईयों को देखें और उनकी किताबों से जो उन के दर्मियान गिरजों और ख़ानिकाओं में पढ़ी जाती थीं वाक़िफ़ हों।

उनको बज़ात-ए-ख़ुद इन किताबों की बाबत दर्याफ़्त करने की ख़्वाहिश थी (जिसका ज़िक्र) सुरह हदीद में पाया जाता है।

मक्के के क़ुरैश लोगों से सताए जाने के बाइस सौ मुसलमान से ज़्यादा मर्द औरत और बच्चे सने हिज्री से पाँच छः बरस पहले हब्श के मसीही सल्तनत में बादशाह नजाशी (नीगस के पास पनाह लेने को भाग गए ये मुल़्क बहर-ए-कुल्जुम के इस पर वाक़ेअ है यहां वो कई बरस तक हिज्रत के बाद रहे और सच्च है कि बाअज़ उन में से इस अव़्वल ज़माने में हब्श की कलीसिया में शामिल भी हो गए और इस तरह उन्होंने ज़रूर बाइबल से ख़ौफ़ वाक़फ़ीयत हासिल की ये भी जानने के लायक़ है कि जब जिलावतन अपने मुल्क में वापिस आने लगे तो आपके नबी ने नजाशी बादशाह को पैग़ाम भेजा कि अबू सुफ़ियान की बेटी उम्म हबीबा की शादी का इंतिज़ाम उनके साथ किया जाये और जब वो औरों के साथ मदीना में वारिद हुई तो वो फ़ौरन उसे अपने निकाह में लाए।

आपके नबी और आस-पास की मुमलकतों के दर्मियान बहुत कुछ ख़त-ओ-किताबत होती रही सन सात हिज्री में उन्होंने गर्द नवाह के सब बड़े हाकिमों के पास एलची भेजे। मसलन क़ैसर हरकलीस और ग़स्सान के शहज़ादे हारित के पास फ़ारस और हब्श के बादशाहों मिस्र के हाकिम और यमामा के सरदार के पास और उन में दावत की कि इस्लाम क़बूल करें हालाँकि किसी ने इस दावत को क़बूल ना किया मगर बाअज़ ने इन एलचियों को इन मुल्कों की किताबों और तर्ज़ इबादत मुरव्वजा से वाक़िफ़ होने का मौक़ा मिला।

मासिवा इसके आपके नबी की हरम में यहूदी और ईसाई मज़्हब की औरतें उन की इज़दवाज मौजूद थीं उसका ज़िक्र हो चुका है कि बनी करतीज़ा एक यहूदी फ़िर्क़ा था जो मदीना शहर के मुत्तसिल रहता था क़ुरैशियों ने एक बड़ी फौज़ लेकर सन पाँच हिज्री में शहर मदीना पर हमला किया उस वक़्त अगरचे इस यहूदी फ़िर्क़े को दुश्मन ना समझा लेकिन इस की दोस्ती का इतना शक किया कि जब ग़नीम पसपा हुए तो उन्होंने उनके मर्दों में से जो शुमार में आठ या नौ सौ थे थोड़ों को जिन्होंने इस्लाम क़बूल किया छोड़ कर बाक़ीयों को तहतेग़ किया और उनकी औरतों को और बच्चों को लौंडी ग़ुलाम बनाया एक ख़ूबसूरत यहुदन बनाम रिहाना बग़रत हरम में दाख़िल की गई और चूँकि उसने इस्लाम को क़बूल ना किया और अपने मज़्हब पर क़ायम रही नबी उस को अपने निकाह में ना लाए पर यूँही घर में डाल लिया।

फिर दो बरस के बाद मिस्र के हाकिम मक़ूक़स ने जब इस्लाम क़बूल करने की निस्बत दावत पाई जिसका ज़िक्र पहले हो चुका है तो इस्लाम को क़बूल ना किया मगर अज़राह लुत्फ़ ये जवाब भेजा कि तेरा एलची साथ इज़्ज़त के क़बूल किया गया और मैं उसके हाथ दो बहनों को जिनकी क़िबती लोगों के दर्मियान बड़ी क़दर है और एक चौड़ा कपड़ा और एक ख़च्चर तेरे सवारी के लिए भेजता हूँ उम्मीद है कि तू क़बूल करेगा ये ख़च्चर सफ़ैद रंग का था जो मुल़्क अरब में नायाब था ये हमेशा आप लोगों के नबी की सवारी में रहा लेकिन ख़च्चर से कहीं ज़्यादा उन्होंने मर्यम को जो इन दो क़िबती लड़कीयों में ज़्यादा दिल-फ़रेब थी पसंद किया उसको फ़ौरन अपने निकाह में लाए और उससे एक बेटा पैदा हुआ जो हालत तफ़ूलियत में राही मुल्क-ए-बक़ा हुआ फिर उस ही साल जब ख़ैबर पर फ़त्ह पाई तो नबी ने सफिया यहुदन से निकाह किया जिसका शौहर बनाम कनाना उस मग़्लूब फ़िर्क़े का सरदार था और उस जंग में काम आ चुका था।

पस जब यहूदी और ईसाई अज़वाज उनके हरम में मौजूद थीं तो आप लोगों के नबी को बख़ूबी मालूम था कि वो किताबें जो उनके के पास मौजूद थीं कौन कौन और कैसी थीं और इसी वजह से उन किताबों की क़दर और मंजिलत का ज़िक्र बार-बार क़ुरआन में आया है।

ये बात याद रहे कि नबी की वफ़ात के दो बरस बाद मुसलमान फ़ौजें अरब से निकल कर सरिया और आस-पास के मुल्कों में फैल गईं और उन्होंने यहूदीयों और ईसाईयों की गिरोह की गिरोह को जबरन दाख़िल इस्लाम किया ये मुल़्क गिरजों और ख़ानक़ाहों और यहूदीयों के इबादत ख़ानों से मामूर था पस सभों ने मसीही क़ौम की किताबों को ज़रूर देखा और जाना होगा ये वही किताबें हैं जो उस वक़्त तमाम दुनिया में जारी थीं और जिन पर आपके नबी यानी मुहम्मद साहिब क़ुरआन में शहादत देते हैं।

वह शख़्स जो आपके नबी के हालात-ए-ज़िंदगी से वाक़िफ़ है और बहुत कुछ लिख सकता है लेकिन जो कुछ इस बात के सबूत में मैंने कहा इतना ही काफ़ी है कि बाइबल जो सातवीं सदी में अश्या-ए-यूरोप और अफ़्रीक़ा के बीच यहूदीयों और ईसाईयों के पास मौजूद थी वही ख़ुदा की किताब है जो पुश्त दर पुश्त गुज़रती हुई आप लोगों के नबी के ज़माना तक पहुंची और इसी तरह हमारे वक़्त तक आई है मुम्किन नहीं कि ये कोई और किताब हो मगर हम आगे बढ़कर उसका और सबूत देंगे कि ये शुरू से हमारे पास बिला-तहरीफ़ चली आती है।

इस सबूत में पुराने और नए अह्दनामे के सहीफ़े जो असल में यहूदीयों और ईसाईयों को इल्हाम से मिले बिला-तहरीफ़ हमारे पास मौजूद हैं


ये तस्लीम करने के बाद कि अह्दे-अतीक़ व जदीद के सहीफ़े वही हैं जिन पर आप लोगों के नबी ने क़ुरआन में शहादत दी है ये जान लेना आपके पसंद ख़ातिर होगा कि और शहादतें भी मिलती हैं जिनसे साबित होता है कि ये किताबें असल और हक़ीक़त में वही हैं जो शुरू में यहूदीयों और ईसाईयों को दी गईं पस हम बतौर इख़्तिसार उनके गुज़शता तवारीख़ और सदाक़त की शहादतों का तज़किरा करेंगे।

अव्वल तवारीख़ नुज़ूल- ईसा के सऊद के बाद मसीही दीन की बशारत यहूदीयों और ग़ैर क़ौमों के दर्मियान की गई और थोड़े ही अरसा में सारी कमरो-रदम में फैल गई मसीही जमातें और कलीसियाएं हर कहीं क़ायम हो गईं। 2

और इस तरह उन किताबों की जो मसीही ज़िंदगी और ईमान के तालीम से पुर हैं दोनों ख़ल्वती और आम इबादत के लिए बहुत ज़रूरत है पस इस लिए तैयार की गईं और इस सारी सरज़मीन में फैल गए इसमें ना फ़क़त इंजील और दीगर मसीही किताबें और ख़ुतूत शामिल हैं बल्कि यहूदीयों के वो सहीफ़े भी जो ज़माना दराज़ से यहूदीयों के इबादत ख़ानों में पढ़े जाते थे और इस तरह ज़हूर ईसा के लिए दुनिया तैयार की गई लिहाज़ा दोनों पुराने और नए अह्द नामे ईसाईयों के नज़्दीक मुसल्लम कलाम-ए-ख़ुदा माने जाते हैं इस तरह बाइबल मशरिक़ और मग़रिब में असली ज़बान में फैल गई और सब क़ौमों के दर्मियान क़ायम हो गई और यूं सारी दुनिया में मुरव्वज और मुस्तअमल होने की वजह से पुश्त-दर-पुश्त हम तक पहुंची जिस तरह क़ुरआन आप लोगों के नबी की वफ़ात से अब तक वही ग़ैर मुतबद्दल किताब पाई जाती है।

इसका भी ज़िक्र करना ज़रूर है कि दीन ईसवी की आग़ाज़ से क़रीब तीन सदीयों तक रूमी बुतपरस्त शाहंशाह हुक्मराँ रहे मगर असल मतन में इन की तरफ़ से किसी तरह की दस्त-अंदाज़ी और तब्दीली वाक़े ना हुई अगरचे पैरौओंन ईसा ने अक्सर ज़ुल्म सहे और शहीद हुए लेकिन उन की किताब को जो सारी दुनिया में फैली हुई थी नेस्त व नाबूद करने की कोशिश करना बेसूद व ग़ैर-मुम्किन था।

दोवेम बाइबल के तर्जुमे

एक ख़ास और भारी सबूत हमारे किताब की मुहफ़ाज़त का ये है कि शुरू ज़माने से उसका तर्जुमा इन मुल्कों के ज़बानों में हो गया था जिनमें दीन ईसवी रिवाज पा चुका था जहां लोग ख़ुद यूनानी या इब्रानी ज़बान बोलते थे वहां तर्जुमें की ज़रूरत ना थी लेकिन और सब मुल्कों में वहीं की ज़बानों में तर्जुमा बाइबल का कर दिया गया था क्योंकि ईसाईयों की ये आदत कभी नहीं रही है कि वो अपनी ख़ानगी और आम इबादतों में असल ज़बान की क़ैद रखें जिसमें वो किताबें लिखी गईं जैसा कि मेरे दोस्तों आप लोगों की कैफ़ीयत क़ुरआन की निस्बत है बाइबल हर कहीं असल ज़बानों यानी इब्रानी और यूनानी में पाई जाती है और उसे वो लोग पढ़ते हैं जो उन ज़बानों से वाक़िफ़ हैं लेकिन मसीही हमेशा ज़्यादा-तर बाइबल का तर्जुमा उनके ख़ास ख़ास ज़बानों में होता आया है ख़ल्वत और घर और गिरजों में पढ़ते थे इस तरह शुरू ज़माना से पाक कलाम का तर्जुमा लातीनी, क़िबती, सुर्यानी, अर्मनी, और हब्शी ज़बानों में किया गया और अभी तक मौजूद है और वो लोग हमेशा उन्हें अपने अपने ज़बानों में पढ़ते आए हैं पुराने अह्दनामे का सीप्टोवाज्नट तर्जुमा का ज़िक्र हम कर चुके हैं इस को यहूदीयों ने ज़बान यूनानी में सिकंदरीया शहर में आप लोगों के नबी से सदहा बरस पेशतर किया था।

ऐ नाज़रीन ये तर्जुमा अब मौजूद हैं और आप खूद या आपके आलिम उन्हें जांच सकते हैं इस तरह एक बड़ा सबूत इन सहीफ़ों के बेतहरीफ़ होने का तर्जुमों के मुक़ाबला करने से मिलता है क्योंकि ये तर्जुमा हालाँकि मुतफ़र्रिक़ ज़मानों और ज़बानों में किए गए तो भी उस असल के मुताबिक़ हैं पस असल में तब्दीली वाक़े नहीं हुई जैसा कि वो उस क़दीम ज़माने में था वैसा ही अब है क्योंकि सारे तर्जुमे एक ही असल मतन से किए गए और उसी के मुताबिक़ पाए जाते हैं अब ऐ दोस्तो मुझे बड़ी तमन्ना है कि आप इस ख़ास बात पर ग़ौर करेंगे कि इब्रानी और यूनानी ज़बानों में असल और यही तर्जुमा जो आपके नबी के वक़्त से मुद्दत दराज़ पेशतर किऐ गऐ दोनों अरबिस्तान सरिया हब्श और दीगर मुल्कों के ईसाईयों और यहूदीयों के पास मौजूद थे बल्कि सच्च तो यूं है कि कुल क़ौमों के पास जो नबी के गर्दवपीश रहती थीं पाऐ जाते थे पस ये वही किताबें हैं जो असली या तर्जुमा के हालत में रोज़मर्रा मुस्तक़िल थीं और जिन पर आप लोगों के नबी ने ये गवाही दी है कि वो ख़ुदा का कलाम है जो क़ुरआन के पेशतर नाज़िल हुआ।

पाक कलाम के पुराने नुस्ख़े आप वो क़लमी नुस्खे़ आज देख सकते हैं जो आपके नबी के ज़माने से क़ब्ल नक़्ल किऐ गऐ थे ऐसे नुस्खे़ इंजील के बहुत पाऐ जाते हैं मगर यहां पर उनकी निस्बत तहरीर करने की कुछ ज़रूरत नहीं है क्योंकि हम बाइबल के बाअज़ मुसल्लम नुस्ख़ों का बयान किऐ देते हैं जो आपके ज़्यादा पसंद ख़ातिर होगा शहर रुम में वटीकन नुस्ख़ा और सेंट पीटज़बर्ग में सटीक नुस्ख़ा (वो नुस्ख़ा जो सेंट पीटर्सबर्ग में मौजूद है शहनशाह कसटानटाईन के हुक्म से क़ुस्तुनतुनिया के एक गिरजाघर के लिऐ नक़्ल किया गया था और वहां एक मुद्दत तक रहा था अब मौजूद है) ये दोनों चौथी सदी के शुरू हिस्से में यानी आपके नबी की विलादत से क़रीब तीन सो बरस पेशतर नक़्ल किऐ गऐ थे फिर शहर पार्स में अफ़्राईमी नुस्ख़ा और शहर लंदन के इंग्लिस्तान की अजाइब ख़ाने में सिकंदरिया नुस्ख़ा अब तक मौजूद हैं ये दोनों पांचवीं सदी के लिखे हुऐ हैं और किऐ एक छट्टी सदी के लिखे हुऐ यूरोप और तुर्किस्तान में पाऐ जाते हैं।

ये सब जिल्दें मौजूद हैं जिसका जी चाहे आज देख ले उनसे इस बात का पूरा सबूत मिलता है कि ये सब के सब आपके नबी के ज़माने से पेशतर के लिखे हुऐ हुऐ हैं पस साबित होता है कि जो किताबें हम आपके सामने पेश करते हैं ज़रूर बिल ज़रूर वही नविश्ते हैं जिन पर उन्होंने बारहा शहादत दी कि वो फ़िल-हक़ीक़त ख़ुदा का कलाम है।

अगर ज़्यादा सबूत की ज़रूरत है तो इस सच्चाई का एक और बड़ा सबूत ये है कि पुराने और नऐ अह्द नामों के कुल हिस्सों से उन मुसन्निफ़ों ने जो इस्लाम के आग़ाज़ से पहले हुई अपने किताबों में इक़्तिबास किया है ऐसे बहुत मुसन्निफ़ गुज़रे हैं जिनकी तस्नीफ़ें अब तक पाई जाती हैं इन किताबों में इन मुसन्निफ़ों ने बाइबल मुक़द्दस से इक़्तिबास इस ग़रज़ से मुतवातिर किया है कि अपनी राएं दलाईल व नसीहतें बह सबूत मुनकशिफ़ करें। पस अगर दूर ना जाये तो दूसरी और तीसरी सदी में हम मसुनफ़ान टरटोलीन, आईरीनीस, ओरीजन, और दीगर मुसन्निफ़ों की किताबों में तौरेत और ज़बूर और इंजील के बहुत हवाले पाते हैं और चौथी सदी में ग्रेगरी बैसल एंब्रोज़, जेरोम, अगसटीन और बहुत और मुसन्निफ़ों के ये हवाला जो आपके नबी के ज़माना से बहुत पेशतर इन किताबों से इक़्तिबास किऐ गऐ। इन किताबों से जो हमारे पास हैं बिल्कुल मिलते। और इस तरह उनके हमशबीया होने से पूरा सबूत पहुंचता है कि ये किताबें वही हैं जिन पर क़ुरआन शहादत देता है।

यह बात मुश्किल नहीं है कि ख़ुद आप या आपके आलिम फ़ाज़िल अहबाब जो दुनिया की सैर करते हैं इन जुदागाना शहादतों की जो मैंने पेश कीं तस्दीक़ कर लें। ऐसी बातों का कहना जो जाहिल हमारी किताब मुक़द्दस की निस्बत कहते हैं ऐसी नादानी की बात है। जैसे कोई शख़्स क़ुरआन की सेहत पर शक करे आप इस से कहें कि अच्छा कि अगर तुमको शक व शुब्हा है तो तुम शहर दमिशक़ के मस्जिद अक़्सा में ख़ुद ख़लीफ़ा उस्मान के हाथ के नक़्ल किऐ हुऐ नुस्ख़ा क्यों ना देख लो या तुम इस शख़्स से कहोगे कि ज़मक़शारी और दीगर मुसन्निफ़ों की तफ़ासीर को देखिऐ जिनमें तुम्हारी किताब की हर एक आयत वैसे ही पाई जाती है जैसे क़ुरआन में मौजूद है। या तुम उसके सामने अपने नबी की ज़िंदगी की तवारीख़ें जो इब्ने इस्हाक़ और इब्ने हिशाम और मैदानी ने तस्नीफ़ की हैं पेश करोगे। या वो तवारीख़ें उसके सामने पेश करोगे जिनको तबरी और मकरीज़ी और इब्ने अतहर ने लिखा है जिनमें क़ुरआन की सदहा आयतें इक़्तिबास की हुई नज़र से गुज़रेंगी। और यूं वो शक करने वाला उलमा के नज़्दीक मौरिद तम्सख़र और मुज़हका ठहरेगा। पस ऐसा ही हाल हमारी बाइबल मुक़द्दस का है इस की सदाक़त की शहादत के निस्बत मज़ीद सबूत ये है कि इसके क़दीम तर्जुमा भी मौजूद हैं जो अहले इस्लाम के पास क़ुरआन की शहादत में नहीं पाऐ जाते। 3

बाइबल की असलीयत के निस्बत क्योंकर शक व शुब्हा हो सकता है। अगर कोई शख़्स ज़रा तक्लीफ़ उठाकर तहक़ीक़ करे तो उसे साफ़ मालूम हो जाऐगा। कि ऐसा शक व शुब्हा करना मह्ज़ बे-सबात व गलत है।

ऐ मेरे दोस्तो क्या मुनासिब नहीं कि आप ज़रा तक्लीफ़ उठाकर उन शहादतों को जांचें जिससे ये बात साबित होती है कि ये तौरेत व इंजील जिनके मुतालआ करने की आपको दावत दी जाती है वही तौरेत इंजील हैं जो शुरू ज़माना इस्लाम में मौजूद थीं क्योंकि आप इस हक़ीक़त को वाग़ुज़ाशत नहीं कर सकते कि आपके नबी ने क़ुरआन में बड़ी ताकीद के साथ अहले यहूद और अहले नसारा की निस्बत फ़रमाया है कि अगर तौरेत व इंजील के हुक्मों पर जो उनके ख़ुदावंद ने नाज़िल कीं क़ायम ना रहें या अमल ना करें तो उनकी कोई बुनियाद नहीं है।

पस जबकि आपके नबी साहिब ने इंजील के हुक्मों पर अमल करना ही हमारी रुहानी ज़िंदगी व सलामती के लिऐ एक अम्र ज़रूरी व लाज़मी ठहराया तो हम ईसाई ताज्जुब करते हैं कि आप इन पाक सहीफ़ों की ज़्यादा क़दर-ओ-मन्ज़िलत क्यों नहीं करते। हमारी दिली आरज़ू ये है कि आप उनकी जांच और तिलावत करेंगे क्योंकि जब आपके नबी ने उनकी तारीफ़ व तौसीफ की है कि बग़ैर उनकी हमारी कोई बुनियाद नहीं तो ज़रूर बिल-ज़रूर इस इल्हामी कलाम में आप भी बहुत कुछ पाएंगे जिसे आप पसंद करेंगे और फ़ायदा ख़ातिर-ख़्वाह उठाएँगे कि आपकी रुहानी ज़िंदगी में बड़ी तरक़्क़ी होगी। ज़रा इस अम्र पर लिहाज़ कीजिऐ कि क़ुरआन में इन किताबों की तारीफ़ में कैसे हैरत-अफ़्ज़ा व पुर-माअनी अल्फ़ाज़ अल्क़ाब आऐ हैं।

 

असल ज़बानी अरबी
किताब-उल्लाह ही
  तर्जुमा
किताब अल्लाह की
كِتَابَ اللَّهِ   किताब अल्लाह की
بَصَاۗىِٕرَ لِلنَّاسِ وَهُدًى وَّرَحْمَةً
التَّوْرٰىۃِ وَہُدًى وَّمَوْعِظَۃً لِّلْمُتَّقِيْنَۭ
  इन्सान के वास्ते रोशनी और हिदायत और रहमत
किताब नूर और हिदायत और नसीहतें परहेज़गारों के लिऐ
وھدیٰ وذکرفی والالباب   हिदायत और तंबीह साहिब और अक़्ल व फ़हम के लिऐ
ضیا وذکر للمتقین   रोशनी और तंबीह मोमिनीन के लिऐ

जबकि क़ुरआन से ऐसी क़वी शहादत तौरेत, ज़बूर व इंजील के निस्बत दस्तयाब हो तो ऐ मेरे दोस्तो अब तुम्हें शक करने की जगह अब कहाँ रही ज़रा उन अल्क़ाबों पर जो क़ुरआन में पाक नविश्तों के निस्बत आई हैं ज़रा ग़ौर कीजिऐ।

इक़्तबासात
तौरात व ज़बूर व इंजील से

अब हम अपने दोस्तों के लिऐ चंद आयात तौरात व ज़बूर और इंजील से इक़्तिबास करके लिखते हैं ताकि उनको इन सहीफ़ों की ख़ूबी व फ़ज़ीलत मालूम हो जाऐ और अगर ये इक़्तिबास मुतालआ करने पर उनको पसंद आएं तो फिर इस रिसाला के ज़मीमा पर नज़र डालें ताकि उनको कलाम-ऐ-ख़ुदा से पूरी पूरी आगाही हो जाऐ।

शुरू में दो तीन मुक़ाम तौरात व ज़बूर से नक़्ल करता हूँ जिन को अम्बिया व मुसन्निफ़ ज़बूर ने खुदावंद मसीह की पैदाइश से सदहा साल क़ब्ल कलमबंद किया था। देखो कलाम जे़ल कितना ख़ूबसूरत है। ज़बूर 63:1-8- ऐ ख़ुदा तू मेरा ख़ुदा है मैं तड़के तुझको ढूँडूँगा मेरी जान तेरी प्यासी है और जिस्म ख़ुशक और धूप की जली हुई ज़मीन में। जहां पानी नहीं पड़ा मुश्ताक़ है ताकि तेरी क़ुदरत और तेरी हशमत को देखे। जैसा कि मैंने बैत क़ुद्दुस में देखा है। इसलिऐ कि तेरी मेहरबानी ज़िंदगी से बेहतर है। तो मेरे होंट तेरी सताइश करते रहेंगे। इसी तरह कि जब तक कि मैं जीता हूँ तुझको मुबारक कहा करूंगा और तेरा नाम ले लेके अपने हाथ उठाऊंगा। मेरी जान यूं सैर होगी गोया कि गूदा और चर्बी और मेरा मुँह ख़ुशी करते हुऐ होंटों से तेरी सताइश करेगा। जबकि मैं तुझे अपने बिस्तर पर याद करता हूँ। और रात के पहर दिन में तेरा ध्यान करता हूँ। इसलिऐ कि तू मेरा चारा हुआ पस मैं तेरे पैरों की छांवों तले ख़ुशी मनाऊँगा। मेरी जान तेरे पीछे लगी है तेरा दाहिना हाथ मुझको थामता है।

कलाम जे़ल यसअयाह नबी की किताब से हुआ है

बाब 2:1-3 :- और उस दिन तू कहेगा ऐ ख़ुदावंद में तेरी सताइश करूंगा कि अगरचे तू मुझसे नाख़ुश था पर तेरा ग़ुस्सा उतर गया और तूने मुझे तसल्ली दी। देखो ख़ुदा मेरी नजात है मैं इस पर तवक्कुल करूंगा और ना डरूँगा कि याह यहोवाह मेरा बूता और मेरा असरोद है और वो मेरी नजात हुआ है। सो तुम ख़ुश होके नजात के चश्मों से पानी भरोगे ।

और यह कलाम हबक्क़ुक़ नबी की किताब से है बाब 3:17-19 :-

हरचंद इंजीर का दरख़्त ना फूले और ताकों में मेवा ना लगें और जैतून के फल जाते रहें और खेतों में कुछ अनाज पैदा ना हो और गल्ला भेड़ साले में काट डाला जाये और गाय बैल थानों में ना रहें इस पर भी मैं ख़ुदावंद की याद में ख़ुशी करूंगा मैं अपनी नजात के ख़ुदा के सबब ख़ुशवक़त हूँगा।

अब ऐ अज़ीज़ दोस्तो मेरी दरख्वास्त आपसे ये है कि जे़ल की चंद आयतें हर दो इंजील शरीफ़ से मैं इक़्तिबास करता हूँ नज़र डालें।

खुदावंद मसीह ने फ़रमाया मुक़द्दस मत्ती की इंजील बाब 11:25-30 :-

उस वक़्त येसु कहने लगा ऐ बाप आस्मान और ज़मीन के मालिक मैं आपकी हम्द करता हूँ कि आपने ये बातें दानाओं और अक़्लमंदों से छुपाया और बच्चों पर ज़ाहिर किया। हाँ ऐ बाप कि यूँ ही तुझे पसंद आया। मेरे बाप की तरफ़ से सब कुछ मुझे सौंपा गया और कोई बेटे को नहीं जानता मगर बाप के और कोई बाप को नहीं जानता मगर बेटा और उसके जिस पर बेटा इसे ज़ाहिर किया चाहता है। ऐ तुम लोगों जो थके और बड़े बोझ से दबे हो सब मेरे पास आओ कि मैं तुम्हे आराम दूंगाI मेरा जुआ अपने ऊपर उठालो और मुझसे सीखो। क्योंकि मैं हलीम हूँ और दिल का फ़रोतन तो तुम्हारी जानें आराम पाएँगी। क्योंकि मेरा जुआ मुलाइम है और मेरा बोझ हल्का।

खुदावंद मसीह की तालीम मुक़द्दस मत्ती बाब 7:21 ना हर एक जो मुझे ख़ुदावंद ख़ुदावंद कहता है आस्मान की बादशाहत में शामिल होगा मगर वही जो मेरे बाप की जो आस्मान पर है इस की मर्ज़ी पर चलता है।

फिर मुक़द्दस मरक़ुस बाब 3:31-35 तक : उस वक़्त उसके भाई और उसकी माँ आई और बाहर खड़े रह कर उसे बुलवा भेजा। और जमात उसके आसपास बैठी थी और उन्होंने उससे कहा देख तेरी माँ और तेरे भाई बाहर तुझे तलब करते हैं। उसने उन्हें जवाब दिया कौन है मेरी माँ या मेरे भाई? और उन पर जो उसके आसपास बैठे थे नज़र करके कहा देखो मेरी माँ और मेरे भाई। इसलिए कि जो कोई खुदा कि मर्ज़ी पर चलता है मेरा भाई और मेरी बहन और मेरी माँ वही हैं।

यहया इब्ने ज़करिया की शहादत देखो मुक़द्दस युहन्ना बाब 1: आयत 29 :-

दूसरे दिन युहन्ना ने खुदावंद येसु मसीह को अपनी तरफ़ आते देखकर कहा देखो ये खुदा का बर्रा जो जहान का गुनाह उठा ले जाता है। 4

मुक़द्दस युहन्ना बाब 1:32-34 :-

और युहन्ना ने ये कहा कि मैंने रूह को कबूतर की तरह आस्मान से उतरते देखा और वो उस पर ठहर गया। और मैं तो उसे पहचानता ना था मगर जिसने मुझे पानी से इस्तिबाग़ देने को भेजा उसी ने मुझसे कहा कि जिस पर तुम रूह को उतरते और ठहरते देखो वही रूहुल-क़ुद्दुस से बप्तिस्मा देने वाला है । सो मैंने देखा और गवाही दी है कि ये खुदा का बेटा है ।

मत्ती बाब 3:17 :-

और देखो आस्मान से ये आवाज़ आई कि ये मेरा प्यारा बेटा है जिससे मैं ख़ुश हूँ।

जे़ल में मसीही दीन का ख़ुलासा दर्ज है जो मुक़द्दस पौलुस ने तीतस बाब 2:11-14 ख़त में तहरीर फ़रमाया है :-

क्योंकि खुदा का फ़ज़्ल की जो सारे आदमीयों के लिए नजात-बख्श है ज़ाहिर हुवा है। और हमें सिखलाता है कि बेदीनी और दुनिया कि बुरी ख़्वाहिशों से इन्कार करके इस मौजूदा जहान में होशियारी और रास्ती दीन-दारी से ज़िंदगी गुज़ारें। और इस मुबारक उम्मीद यानी अपने बुज़ुर्ग ख़ुदा और अपने बचाने वाले खुदावंद येसु मसीह के ज़हूर जलील का इन्तिज़ार करें जिसने आपको हमारे बदले दियाI ताकि वह हमें सब तरह की बदकारियों से छोड़ दे और एक ख़ास उम्मत को जो नेकोकारी में सरगर्म होवे अपने लिए पाक करेI

और मुक़द्दस पतरस का क़ौल ये है पहला पतरस बाब 1:3-5 :-

हमारे खुदावंद येसु मसीह का खुदा और बाप मुबारक हो जिसने हमको अपनी बड़ी रहमत से येसु मसीह के मुर्दों में से जी उठने के बाइस जिंदा उम्मीद के लिए सरे नौव पैदा किया ताकि हम वह बेज़वाल और ना-आलूदा और गैर-फानी मीरास जो आस्मान पर तुम्हारे लिए रखी गई पाएं I जो ख़ुदा के फ़ज़्ल से ईमान के वसीले उस निजात तक जो आखीर वक़्त में जाहीर होने को तैयार है महफूज़ कि हुई हैI

और रसूल मक़्बूल युहन्ना पहला ख़त बाब 2:1-5
में यूं मर्क़ूम है

ऐ मेरे बच्चो ! मैं ये बातें तुम्हें लिखता हूँ कि तुम गुनाह ना करो और अगर कोई गुनाह करे तो येसु मसीह जो सादिक़ है बाप के पास हमारा शफ़ीअ है और वह हमारे गुनाहों का कफ्फारा है फ़क़त हमारे गुनाहों का नहीं बल्कि तमाम दुनिया के गुनाहों का यही अगर हम और उसके हुक्मों पर अमल करें तो हम इससे जानते हैं कि हमने उसको जाना वह जो कहता है कि मैं उसे जानता हूँ और हुक्मों पर अमल नही करता सो झुटा है और सच्चाई उसमें नहींI

मुक़द्दस याक़ूब बाब 1:17 व 27 में
यूं फ़रमाते हैं

हर अच्छी बख़शिश और हर कामिल इनाम ऊपर से है और नूरों के बानी की तरफ़ से उतरता है जिसमें बदलने मबर जाने का साया नहीं I वह दीनदारी जो ख़ुदा और बाप के आगे पाक और बेएब है सो यही है कि यतीमों और बेवाओं कि मुसीबत के वक़्त उनकी ख़बरगीरी करना और आपको दुनिया से बेदाग़ रखना I

अब ऐ दोस्तों आखरी दो आयतें मुक़द्दस यहुदाह के ख़त से भी पेश करता हूँ उनको मुलाहिज़ा फरमाएं :-

पहला बाब 24 व 25 :-

अब उसके लिए जो तुमको गिरने से बचा सकता है और अपने जलाल के हुज़ूर कामिल ख़ुशी से तुम्हे बेएब खड़ा कर सकता है जो खुदाए वाहीद हकीम और हमारा बचाने वाला, जलाल और हशमत और क़ुदरत और इख्तियारात से अबद तक होवे I अमीन

इख़्तिताम

ऐ मेरे अज़ीज़ो दोस्तो मैंने चंद इक़्तबासात तौरात व ज़बूर और इंजील से बदींग़र्ज़ पेश किऐ हैं कि आप उनका मुतालआ करें जिससे आपको इन किताबों की तालीम से वाक़फ़ीयत हासिल हो। ये मुबारक किताबें आपके मुलाहिज़ा के लिऐ मौजूद हैं उनका मुतालआ आप जिस वक़्त चाहें कर सकते हैं लेकिन मैंने इसी रिसाले के ज़मीमा में और मुक़ामात पाक नविश्तों से इक़्तिबास किये हैं कि आप उनका मुतालआ करें ताकि और भी ज़्यादा आगाही आपको कलाम ईलाही की तालीम से हो जाऐ।

ऐ अज़ीज़ो आप को ये बात ख़ूब याद रखनी मुनासिब है। ये सारी तालीम इस किताब की है जिस पर क़ुरआन साफ़ साफ़ शहादत देता है और ये कहता है कि ये तमाम व कमाल कलाम-ऐ-ईलाही है।

जिसका लक़ब किताब-ऐ-मुनीर, और इन्सानों के लिऐ हिदायात और मुत्तक़ियों के लिऐ वाअज़ व नसहीत व हिदायत है। वो लोग जो ख़ुदा के इल्हाम व मुकाशफ़ा से ग़ाफ़िल हैं और यह कहते हैं कि हम कलाम-ऐ-ईलाही के एक हिस्सा पर ईमान लाऐ और एक हिस्सा से मुन्किर हैं और दोनों के दर्मियान की राह पर चलते हैं ऐसों की निस्बत आप के नबी का ये क़ौल है कि वो ख़तरनाक और होलनाक हालत में गिरफ़्तार हैं। मगर वो लोग जो ख़ुदा और उसके रसूलों पर ईमान लाऐ हैं और उन के दर्मियान कुछ फ़र्क़ नहीं करते उन को यक़ीनन ह्म अज्र अज़ीम देंगे।

ख़ुदा रहीम व करीम और बड़ा बख़्शने वाला है। सुरह निसा ऐ अज़ीज़ो दोस्तो क्या आप अपने पर ज़र्रा सी तक्लीफ़ उठाकर उन पाक नविश्तों का ख़ुद मुतालआ ना करेंगे और उनकी इल्हामी तालीम से मुस्तफ़ीद व मुस्तफैज़ ना होंगे?

आपने क़ुरआन-ऐ-मजीद में ये बयान ईसा इब्ने मरियम की निस्बत ज़रूर पढ़ा होगा जिसको मैं पहले इक़्तिबास कर चुका हूँ कि ईसा रसूलुल्लाह व रूहुल्लाह है। वो कलिमतुल्लाह है जिसको मर्यम बाकरा की तरफ़ मंसूब किया तुमने क़ुरआन में उसके मोजज़ों और करामात का भी हाल पढा होगा और यह भी ज़रूर नज़र से गुज़रा होगा कि उस पर इंजील नाज़िल हुई। अब हमें मुनासिब है कि इस की आस्मानी तालीम और मुकाशफ़ा से फ़ायदा उठाएं। हमें उसकी किताब आस्मानी इंजील की तिलावत करनी लाज़िम है और इसकी निस्बत ये जानना हम पर फ़र्ज़ है कि उसने एक जमात कसीर को चंद रोटियों से खिलाकर सैर किया। सदहा बल्कि हज़ार हाँ मरीज़ों को चंगा किया, लंगड़ों को पांव दीऐ, मफ़लूजों और मबरूसों को सेहत बख़्शी, तूफ़ान में समुंद्र पर चला। देवों को अपने सुख़न से निकाला। गूंगों को गोयाई की ताक़त और अँधों को बीनाई की क़ुदरत बख़्शी, दीवानों को शिफ़ा दी और मुर्दों को ज़िंदा किया। ऐ अज़ीज़ो दोस्तो उसकी तालीम पर ग़ौर करो। उसकी तम्सीलों पर सोचो। और उस तरीक़ा नजात को इख़्तियार करो जो कि उसने ईमानदारों के लिऐ तैयार किया है।

क्योंकि इस पाक किताब में ये साफ़ साफ़ लिखा है कि ईसा इब्ने मरियम आस्मान से इस दार-ऐ-फ़ानी में इसलिऐ आया कि गुनाहगारों के लिऐ अपनी जान दे और हमें ख़लासी बख़्शे। उसने इसलिऐ जामा इन्सान इख़्तियार किया है कि हमारा भाई बन कर हमारे लिऐ अपनी जान-निसार करे। पस वो इस दुनिया में ज़िंदा रहा और मर गया। फिर मुर्दों में से जी उठा और आस्मान पर चढ़ गया और अल्लाह तआला जलशाना व जलाला के दहने हाथ बैठा है कि हम गुनहगार ज़लील व ख़्वार इन्सानों को नजात अबदी व हयात जाविदानी व मीरास ग़ैर-फ़ानी बख़्शे।

ये सारा बयान इसी पाक किताब में जिसे बाइबल मुक़द्दस कहते हैं दर्ज है और जिसकी निस्बत आपके नबी ताकीदन अपनी ज़बान मुबारक से ये फ़रमाते हैं कि वो कलाम-उल्लाह है। ऐ दोस्तो क्या आप ख़ुद इस ख़ुशख़बरी का मुतालआ करके अपने तईं हलक़ा मोमिनीन में दाख़िल ना करेंगे और इस हक़ को ख़ुद तहक़ीक़ ना कर लेंगे जिस पर अंजहानी व आंनजहानी हयात व सरोर मौक़ूफ़ है?

और अगर हम ख़ुदा बाप के पास उस के मुबारक बेटे के नाम से आएं और दिली तौबा करें कि जो कुछ हमें करना था वो हमसे नहीं हुआ और जो कुछ करना ना था वो हमसे हुआ तो वो अपनी रहीमी व करीमी से हमारे गुनाहों को माफ़ करेगा और हमें इत्मीनान दिली व तस्कीन कलबी इनायत करेगा। आओ ऐ दोस्तो अब ताख़ीर ना करो मिसराअ ताजील ख़ूब नेस्त मगर दरअमल ख़ैर, जल्दी करो वक़्त को ग़नीमत जानो खुदावंद मसीह पर ईमान लाओ तो तुम विलादत सानी पाओगे क्योंकि ख़ुदा बाप ने ये वाअदा किया है कि जो उस के बेटे पर ईमान लाएंगे वो नया जन्म और रूह-उल-क़ूददस की हिदायत व अआनत पाएँगे। ये वाअदा ख़ुदा का कुल पैरवान ईसा कलाम-उल्लाह के साथ है। क्योंकि फ़क़त खुदावंद मसीह ही अकेला नजात- दिहंदा है। उसी के वसीले गुनहगार इन्सान ख़ुदा की बंदगी लायक़ तौर पर अदा कर सकता है और जन्नत के लायक़ बन सकता है। जो कोई खुदावंद मसीह पर ईमान लाता है वो रूह में तक़वियत पाता है। रास्तबाज़ी में मज़बूत हो जाता है। और अंदरूनी गुनाह से रिहाई पाकर शैतान लईन की क़ुदरत से नजात व ख़लासी हासिल करता है।

अब ज़रा इस पाक दावत पर गौर फ़रमाएं बाब 4:11-16 पस आओ हम कोशिश करें कि उस आराम में दाख़िल होवें ऐसा ना हो कि उस ना-फ़रमाअनी के नमूना पर कोई अमल करके गिर पड़े। क्योंकि ख़ुदा का कलाम ज़िंदा और तासीर करने वाला और हर एक दो धारी तलवार से तेज़-तर है और जान और रूह और बंद बंद और गूदे गूदे को जुदा करके गुज़र जाता है और दिल के ख़यालों और इरादों को जाँचता है । और कोई मख़्लूक़ उससे छिपी नहीं बल्कि जिससे हमको काम है सब कुछ उस की नज़रों में खुला हुआ और बे पर्दा है। पस जिस हालत में हमारा एक ऐसा बुज़ुर्ग सरदार काहिन जो अफलाक से गुज़र गया ख़ुदा का बेटा येसूअ है तो चाहिऐ कि हम अपने इक़रार पर साबित-क़दम रहें। क्योंकि हमारा ऐसा सरदार काहिन नहीं जो हमारी सुस्तियों में हमदर्द ना हो सके। बल्कि ऐसा जो सारी बातों में हमारे मानिंद आज़माया गया। पर उसने गुनाह ना किया। इसलिऐ आओ हम फ़ज़्ल के तख़्त के पास दिलेरी के साथ जाएं ताकि हम पर रहम होवे और फ़ज़्ल जो वक़्त पर मददगार हो हासिल करें। पस आओ हम आगे को अपने लिऐ ना जिएँ बल्कि मसीह की मुहब्बत के वास्ते अपनी ज़िंदगी बसर करें। क्योंकि उसने हमारे लिऐ अपनी जान फ़िदा की। ताकि हमको सारी शरारत व ख़बासत से पाक साफ़ करे कि हम उस की ख़िदमत के लिऐ एक ख़ास उम्मत और बर्गुज़ीदा क़ौम बन जाएं जो नेकोकारी में सरगर्म हों। इस जहाँ-ऐ-फ़ानी में अपनी हयात-ऐ-मुस्तआर ख़त्म करके आख़िरकार उस दयार मुक़द्दस में पहुंचे जहान गुनाह नहीं बल्कि फ़क़त मुहब्बत और ख़ुदाई ही अल-क़य्यूम की ख़िदमत व इबादत है।

रसूल मक़्बूल मुक़द्दस पौलुस का ये क़ौल हमारे मिस्दाक़ हो अब हम आईना से दहनदिलासा देखते हैं पर उस वक़्त रूबरू देखेंगे। इस वक़्त मेरा इल्म नाक़िस है पर उस वक़्त मैं बिल्कुल जानूंगा जिस तरह कि मैं सरासर पहचाना गया। फ़क़त

फिर और ये कलाम भी मुलाहिज़ा फ़रमाऐ मुकाशफ़ात बाब 7 आयत 15-17 :-

इसी वास्ते वह ख़ुदा के तख़्त के आगे हैं और उसकी हैकल में रात-दिन उस की बंदगी करते हैं और वोह जो तख़्त पर बैठा है उनके दरमियान सुकूनत करेगा। वह फिर भूखे नहीं होंगे और ना प्यासे और वह न धुप न कोई गर्मीं उठाएँगे क्योंकि बर्रा जो तख़्त के बीचो बीच है उनकी गल्लाबानी करेगा और उन्हें पानियों के ज़िंदा सुतून पास पहुंचाएगा और खुदा उनकी आँखों से हर एक आसूं पोछेगा I

ऐ दोस्तो ख़ुदा तुम्हारे और मेरे साथ ऐसा ही करेगा हम दोनों के दोनों अबदी हयात व सरोर में शरीक हों आमीन।

ज़मीमा
अहद-ऐ-अतीक़ व अहद-ए-जदीद से ज़ाइद
इक़्तबासात

उम्मीद है कि इन ज़ाइद इक़तिबासों के मुलाहिज़ा व मुतालआ करने से इस रिसाले के पढ़ने वालों को फ़ायदा होगा और वो उन को पढ़ कर इस बात के मुश्ताक़ होंगे कि बाइबल का मुतालआ करें और उसके मज़ामीन से वाक़िफ़ हो जाएं जे़ल में दस अहकाम जिसे हज़रत मूसा को कोह-ऐ-सेना पर दीऐ गऐ लिखे जाते हैं । देखो ख़ुरूज बाब 2: 3-17 :-

  1. मेरे हुज़ूर तेरे लिऐ दूसरा ख़ुदा ना हुऐ।
  2. तू अपने लिऐ कोई मूर्त या किसी चीज़ की सूरत जो ऊपर आस्मान पर या नीचे ज़मीन पर या पानी में ज़मीन के नीचे है मत बना। तो उनके आगे अपने तईं मत झुका और ना उनकी इबादत कर।
  3. तू ख़ुदावंद अपने ख़ुदा का नाम बेफ़ाइदा मत ले।
  4. तू सबत का दिन पाक रखने के लिऐ याद कर।
  5. तू अपने माँ बाप को इज़्ज़त दे।
  6. तू ख़ून मत कर।
  7. तू ज़िना मत कर।
  8. तू चोरी मत कर।
  9. तू अपने पड़ोसी पर झूटी गवाही मत दे ।
  10. तू अपने पड़ोसी के घर का लालच मत कर तू अपनी पड़ोसी की जोरू और उसके ग़ुलाम और उसकी लौंडी और उसके बेल और इस के गधे और किसी चीज़ का जो तेरे पड़ोसी की है लालच मत कर।

फिर किताब ज़बूर से मुलाहिज़ा फ़रमाऐ
ज़बूर 23 :-

ख़ुदावंद मेरा चौपान है मुझको कुछ कमी नहीं वो मुझे हरियाले चरागाहों में बिठलाता है। वो राहत के चश्मों की तरफ़ मुझे ले पहुँचाता है। वो मेरी जान फेर लाता है और अपने नाम के ख़ातिर मुझे सदाक़त की राहों में ले फिरता है। बल्कि जब मैं मौत के साया कि वादी में फिरूँ तो मुझे कुछ ख़ौफ़ व ख़तरा ना होगा क्योंकि तू मेरे साथ है। तेरी छड़ी और तेरी लाठी वही मेरी तसल्ली का बाइस है। तू मेरे दुश्मनों के रूबरू मेरे आगे दस्तर ख़वान बिछाता है तू मेरे सर पर तेल मलता मेरा पियाला लबरेज़ होके छलकता है। लाकलाम मेहरबानी और रहमत उम्र-भर मेरे साथ साथ चलेंगे और मैं हमेशा ख़ुदावंद के घर में रहूँगा।

फिर हज़रत दाऊद के गुनाह का इक़रार सुनिऐ और उसके शिकस्ता व ख़सता दिल की मुनाजात पर ध्यान कीजिऐ जो वो गुनाहों की माफ़ी के वास्ते बद्रगाह ईलाही करता है देखो ज़बूर 51:1-17 :-

ऐ ख़ुदा अपनी रहमदिली के मुताबिक़ मुझ पर शफ़क़त कर अपनी रहमतों की कसरत के मुवाफ़िक़ मेरे गुनाह मिटा दे। मेरी बुराई से मुझे ख़ूब धो और मेरी ख़ता से मुझे पाक कर। कि मैं अपने गुनाहों को मान लेता हूँ और मेरी ख़ता हमेशा मेरे सामने है मैंने तेरा ही गुनाह किया है और तेरी ही हुज़ूर बदी की है ताकि तू अपनी बातों में सादिक़ ठहरे और जो अदालत करे तो तू पाक ज़ाहिर हो। देखो मैंने बरुआई में सूरत पकड़ी और गुनाह के साथ मेरी जान ने मुझे पेट में लिया। देख तू अंदर की सच्चाई चाहता है सौ बातिन में मुझको दानाई सिखला। ज़ोफानसे से मुझे पाक कर कि मैं साफ़ हो जाऊं। मुझको धोओ कि मैं बर्फ़ से सफ़ैद होऊं। मुझे ख़ुशी और ख़ुर्रमी की ख़बर सुना कि मेरी हड्डियां जिन्हें तूने तोड़ डाला शादमान हों। मेरे गुनाहों से चशमपोशी कर और मेरी सारी बुराईयां मिटा डाल। ऐ ख़ुदा मेरे अंदर एक पाक-दिल पैदा कर और एक मुस्तक़ीम रूह मेरे बातिन में नऐ सरसे डाल मुझको अपने हुज़ूर से मत हाँक। और अपनी रूह पाक मुझसे ना निकाल अपनी नजात की शादमानी मुझको फिर इनायत कर और अपनी आज़ाद रूह से मुझको सँभाल। तब मैं ख़ताकारों को तेरी राहें सिखलाऊँगा और गुनहगार तेरी तरफ़ रुजू करेंगे। ऐ ख़ुदा मेरी नजात देने वाले ख़ुदा मुझे ख़ून के गुनाह से रिहाई दे कि मेरी ज़बान तेरी सदाक़त के गीत बुलंद आवाज़ से गाय। ऐ ख़ुदावंद मेरे लबों को खोल दे तो मेरा मुँह तेरी सताइश बयान करेगा। तो ज़बीहे से ख़ुश नहीं होता नहीं तो मैं देता सोख़्तनी क़ुर्बानी में तेरी ख़ुशनुदी नहीं। ख़ुदा के ज़बीहे शिकस्ता जान हैं दिल-शिकस्ता और ख़ाकसार को ऐ ख़ुदा तू हक़ीर ना जानेगा।

फिर यसअयाह नबी रोज़े कि निस्बत ये तालीम देता है देखो यसअयाह बाब 58:5-11 :-

क्या वो रोज़ा है जो मुझको पसंद है, ऐसा दिन कि इस में आदमी अपनी जान को कह दे और अपने सर को झाओ की तरह झुकाऐ और टाट और राख बिछाऐ?

क्या तुम रोज़ा और ऐसा दिन जो ख़ुदावंद का मंज़ूरे नज़र हो कहोगे क्या वो रोज़ा जो मैं चाहता हूँ ये नहीं कि ज़ुल्म की ज़ंजीरें तोड़ें और जुऐ के बंधन खोलें और मज़लूम को आज़ाद करें बल्कि हर एक जूऐ को तोड़ डालें। क्या ये नहीं कि तू अपनी रोटी भूकों को खिलाऐ और मिस्कीनों को जो आवारा हैं अपने घर में लाऐ और जब किसी को नंगा देखे तो उसे पहनाऐ और तू अपने हम-जिंस से रूपोशी ना करे। तब तेरी रोशनी सुबह की मानिंद फूटेगी। और तेरी आक़िबत की तरक़्क़ी जल्द ज़ाहिर होगी तेरी रास्तबाज़ी तेरे आगे चलेगी और ख़ुदावंद का जलाल तेरे गिर्द चमकेगा। तब तू पुकारेगा और ख़ुदावंद जवाब देगा तो चिल्लाएगा और वो बोल उठेगा मैं यहां हूँ। अगर तू इस जूऐ को और उंगलीयों से इशारा करने को और हर्ज़ा गोई को अपने दर्मियान से दूर करेगा। और अगर तू अपने दिल को भूके की तरफ़ माइल करे और तू आज़ुरदा दिल को सैर करे तो तेरा नूर तारीकी में तुलु करेगा और तेरी तीरगी दोपहर के मानिंद होगी। और ख़ुदावंद सदा तेरी रहनुमाई करेगा और ख़ुशक साली में तेरा जी भरेगा और तेरी हड्डीयों को पुरमग़्ज़ करेगा तू सेराब बाग़ के मानिंद होगा और पानी के चश्मे के मानिंद जिसका पानी ना घटे।

फिर देखो इसी नबी की किताब के बाब 57:15 को :-

जिसका नाम क़ुद्दूस है यूं फ़रमाता है कि मैं बुलंद और मुक़द्दस मकान में रहता हूँ और इस के साथ भी जो शिकस्ता-दिल और फ़रोतन ही कि आजिज़ों की रूह को जिलाऊं और ख़ाकसारों के दिल को ज़िंदा करूँ।

अब मैं अहद-ऐ-अतीक़ के आख़िरी नबी का क़ौल जिसको मलाकी कहते हैं पेश करता हूँ देखो मलाकी बाब 3:16-17 में जहां मर्क़ूम है :-

तब उन लोगों ने जो ख़ुदावंद से डरते थे आपस में बार-बार गुफ़्तगु की और ख़ुदावंद ने कान धर कर सुना और उनके लिऐ जो ख़ुदावंद से डरते और उन के नाम को याद रखते थे उस के आगे यादगारी का दफ़्तर लिखा गया और वो मेरा ख़ास ख़ज़ाना होंगे। उस दिन में जिसे मैंने मुक़र्रर किया है रब-उल-अफ़वाज फ़रमाता है और जिस तरह कोई अपने बेटे पर जो इसका ख़िदमत गुज़ार है शफ़क़त करता है मैं उन पर शफ़क़त करूंगा।

अब ज़रा इंजील शरीफ़ की तरफ़ रुजू हो कर मसीह की तालीम पर ग़ौर कीजिऐ जो उसने दुआ की निस्बत हमें दी है मुक़द्दस मत्ती बाब 6:5-15 :-

जब तू दुआ मांगे रियाकारो की मानिंद ना हो क्योंकि वह इबादतखानों में और रास्तों के कोनो में खड़े होकर मांगने को दोस्त रखते हैं ताकि लोग उन्हें देखेंI मैं तुमसे सच कहता हूँ के वह अपना बदला पा चुकेI लेकिन जब तू दुआ मांगे अपनी कोठरी में जा और अपना दरवाज़ा बंद करके अपने बाप से जो पोशीदगी में है दुआ मांग और तेरा बाप जो पोशीदगी में देखता है ज़ाहिर में तुझे बदला देगा और जब दुआ मांगते हो गैर कौमों के मानिंद बेफाइदा बक बक मत करो क्योंकि वह समझते हैं के उनकी ज़्यादागोई से इनकी सुनी जाएगी, पर उनके मानिंद मत हो क्योंकि तुम्हारा बाप तुम्हारे मांगने के पहले जानता है कि तुम्हे किन किन चीजों कि ज़रूरत है पस तुम इस तरह दुआ मांगों ऐ हमारे बाप जो आस्मान पर है तेरे नाम कि तक़्दीस हो, तेरी बादशाहत आवे तेरी मर्ज़ी जिस तरह आस्मान पर है ज़मीन पर भी बर आवे हमारे रोजाना कि रोटी आज हमको बख्श और जिस तरह हम अपने क़र्ज़दारों को बख्शतें हैं तू अपने दीं हमको बख्श दे  और हमें आजमाइशों में न डाल बल्कि बुराई से बचा क्योंकि बादशाहत और क़ुदरत और जलाल हमेशा तेरे ही हैं आमीन I

अब खुदावंद मसीह की तम्सीलों में से एक तम्सील बतौर नमूना लिखता हूँ मुलाहिज़ा फ़रमाएं मुक़द्दस मत्ती बाब 25:1-13 :-

उस वक़्त आस्मान की बादशाही इन दस कुँवारियों की मानिंद होगी जो अपनी मशालें लेकर दुल्हा के इस्तिक़बाल को निकलें । उनमें पाँच बेवक़ूफ़ और पाँच अक़्लमंद थीं। जो बेवक़ूफ़ थीं उन्होंने अपनी मशालें तो ले लीं मगर तेल अपने साथ ना लिया । मगर अक़्लमंद ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी ले लिया। और जब दुल्हे ने देर लगाई तो सब ऊँघने लगीं और सौ गईं । आधी रात को धूम मची कि देखो दुल्हा आ गया ! उसके इस्तिक़बाल को निकलो। उस वक़्त वो सब कुंवारियां उठकर अपनी अपनी मशाल दरुस्त करने लगीं। और बेवक़ूफ़ों ने अक़्लमंदों से कहा अपने तेल में से कुछ हम को भी दे दो क्योंकि हमारी मशालें बुझी जाती हैं। अक़्लमंदों ने जवाब दिया कि शायद हमारे-तुम्हारे दोनों के लिऐ काफ़ी ना हो बेहतर ये कि बेचने वाले के पास जाकर अपने वास्ते मोल ले लो। जब वो मोल लेने जा रही थीं तो दुल्हा आ पहुंचा और जो तैयार थीं वो उस के साथ शादी के जश्न में अंदर चली गईं और दरवाज़ा बंद हो गया। फिर वो बाक़ी कुंवारियां भी आईं और यूँ कहने लगी ऐ मौला ! ऐ मौला हमारे लिऐ दरवाज़ा खोल दीजिऐ । उसने जवाब में कहा मैं तुमसे सच्च कहता हूँ कि मैं तुम को नहीं जानता पस जागते रहो क्योंकि तुम ना उसको जानते हो ना उस घड़ी को।

फिर इस दूसरी तम्सील को भी देखिऐ जो ताख़ीर के ख़तरे को बयान करती है मुक़द्दस लूका बाब 13:6-9 :-

इसके बाद आपने उन्हें एक तम्सील इर्शाद फ़रमाई किसी आदमी ने अपने अंगूर के बाग़ में इंजीर का दरख़्त लगा रखा था। वो इस में फल ढ़ूढ़ने आया मगर ना पाया। तब उसने बाग़बान से कहा देखो में पिछले तीन बरस से इस इंजीर के दरख़्त में फल ढ़ूढ़ने आता रहा हूँ और कुछ नहीं पा सका हूँ। उसे काट डालो । ये क्यों जगह घेरे हुऐ है ? लेकिन उसने जवाब में से कहा : मालिक ! इसे इस साल और बाक़ी रहने दें, में इस के इर्द गर्द खुदाई करके खाद डालूँगा। अगर ये आइन्दा फल लाया तो ख़ैर वर्ना इसे कटवा देना।

अब मुक़द्दस युहन्ना का बयान कलाम के निस्बत सुनिऐ युहन्ना बाब 1:1-14 :-

इब्तिदा में कलाम था और कलाम खुदा के साथ था और कलाम ही खुदा था। यही इब्तिदा में खुदा के साथ था। सब चीज़ें उस के वसीले से ख़ल्क़ हुईं और जो कुछ ख़ल्क़ हुआ है इस में से कोई चीज़ भी उस के बग़ैर ख़ल्क़ नहीं हुई। उस में ज़िंदगी थी और वो ज़िंदगी आदमीयों का नूर थी। और नूर तारीकी में चमकता है और तारीकी ने उसे क़बूल ना किया। एक आदमी यहया नाम आ मौजूद हुऐ और जो खुदा की तरफ़ से भेजे गऐ थे। ये शहादत देने को आऐ ताकि सब उसके वसीले से ईमान लाएं । वो ख़ुद तो नूर ना थे मगर नूर की शहादत देने को आऐ थे। हक़ीक़ी नूर जो हर एक आदमी को रोशन करता है दुनिया में आने को था। वो दुनिया में थे और दुनिया उसके वसीला से ख़ल्क़ हुई और दुनिया ने उसे ना पहचाना। वो अपने घर आऐ और उनके अपनों ने उन्हें क़बूल ना किया। जिन्होंने उनको क़बूल किया उसने उन्हें ख़ुदा के फ़र्ज़न्द बनने का हक़ बख़्शा यानी उन्हें जो आप पर ईमान लाते हैं आप ना ख़ून से ना जिस्म की ख़्वाहिश से ना इन्सान के इरादे से बल्कि ख़ुदा से पैदा हुऐ । ओर कलमा मुजस्सम हुआ और फ़ज़्ल और सच्चाई से मामूर हो कर हमारे दर्मियान रहा और हमने उनकी ऐसी अज़मत देखी जैसी ख़ुदा के महबूब की ।

अब मैंने बहुत आपकी समाअ ख़राशी की मगर ज़रा मसीही नजात व महब्बत का बयान भी जो पौलुस रसूल ने किया है मुलाहिज़ा कीजिऐ दखो पहला कुरुन्थियो बाब 13:1-7 :-

अगर मैं आदमीयों और फ़रिश्तों की ज़बानें बोलूँ और मुहब्बत ना करूँ तो मैं ठनठनाता पीतल या झंझाती झाँझ हूँ। और अगर मुझे नबुव्वत मिले और सब भेदों और कुल इल्म की वाक़फ़ीयत हो और मेरा ईमान यहां तक कामिल हो की पहाड़ों को हटा दूँ और मुहब्बत ना रखू तो मैं कुछ भी नहीं। और अगर अपना सारा माल ग़रीबों को खिला दूं या अपना बदन जलाने को दे दूं और मुहब्बत ना रखूं तो मुझे कुछ भी फ़ायदा नहीं। मुहब्बत साबिर है और मेहरबान, मुहब्बत हसद नहीं करती, मुहब्बत शेख़ी नहीं मारती और फूलती नहीं, नाज़ेबा काम नहीं करती, अपनी बेहतरी नहीं चाहती, झुँझलाती नहीं, बद-गुमानी नहीं करती, बदकारी से ख़ुश नहीं होती बल्कि सच्चाई से ख़ुश होती है, सब कुछ सह लेती है, सब कुछ यक़ीन करती है, सब बातों की उम्मीद रखती है, सब बातों की बर्दाश्त करती है। ग़रज़ ईमान, उम्मीद मुहब्बत ये तीनों दाइमी हैं मगर अफ़्ज़ल इनमें मुहब्बत है।

अब मुक़द्दस पौलुस रसूल का बयान क़ियामत के निस्बत जो पहला कुरंथियों बाब 15:32-58 में है मुलाहिज़ा हो :-

अगर मैं इन्सान की तरह इफ़सस में दरिंदों से लड़ा तो मुझे क्या फ़ायदा ? अगर मुर्दे ना ज़िंदा किऐ जाऐंगे तो आओ खाओ पियों क्योंकि कल तो मर ही जाऐंगे। फ़रेब ना खाओ, बुरी सोहबतें अच्छी आदतों को बिगाड़ देती हैं। सच्चे होने के लिऐ होश में आओ और गुनाह ना करो क्योंकि बाअज़ खुदा से नावाक़िफ़ हैं। मैं तुम्हें शर्म दिलाने को ये कहता हूँ। अब कोई ये कहेगा कि मुर्दे किस तरह जी उठते हैं और कैसे जिस्म के साथ आते हैं? ऐ नादान ! तुम ख़ुद जो कुछ बोते हो जब तक वो ना मर जाये ज़िंदा नहीं किया जाता। और जो तुम बोते हो ये वो जिस्म नहीं जो पैदा होने वाला है बल्कि सिर्फ़ दाना है। ख़्वाह गेहूँ का ख़्वाह किसी और चीज़ का। मगर ख़ुदा ने जैसा इरादा कर लिया वैसा ही इस को जिस्म देते हैं और हर एक बीज को इस का ख़ास जिस्म, सब गोश्त यकसाँ गोश्त नहीं बल्कि आदमीयों का गोश्त और है, चौपाईयों का गोश्त और, परिंदों का गोश्त और है मछलीयों का गोश्त और, आस्मानी भी जिस्म हैं और ज़मीनी भी मगर आस्मानियों की बुजु़र्गी और है ज़मीनियों की और, आफ़्ताब की बुजु़र्गी और है महताब की बुजु़र्गी और, सितारों की बुजु़र्गी और है क्योंकि सितारे, सितारे की बुजु़र्गी में फ़र्क़ है। मुर्दों की क़ियामत भी ऐसी ही है। जिस्म फ़ना की हालत में बोया जाता है और बक़ा की हालत में जी उठता है। बे-हुरमती की हालत में बोया जाता है और बुजु़र्गी की हालत में जी उठता है। कमज़ोरी की हालत में बोया जाता है और क़ुव्वत की हालत में जी उठता है। नफ़सानी जिस्म बोया जाता है और रुहानी जिस्म जी उठता है। जब नफ़सानी जिस्म है तो रुहानी जिस्म भी है। चुनांचे लिखा भी है कि पहला आदमी यानी आदम ज़िंदा-नफ़स बना पिछ्ला आदम ज़िंदगी बख़्शने वाली रूह बना। लेकिन रुहानी पहले ना था बल्कि नफ़सानी था। इस के बाद रुहानी हुआ। पहला आदि ज़मीन से यानी ख़ाकी था दूसरा आदमी आस्मानी है। जैसा वो ख़ाकी था वैसा ही और ख़ाकी भी हैं और जैसा वो आस्मानी है वैसा ही और आस्मानी भी हैं। और जिस तरह हम इस ख़ाकी की सूरत पर हुऐ उसी तरह उस आस्मानी की सूरत पर भी होंगे। ऐ दीनी भाईयों ! मेरा मतलब ये है कि गोश्त और ख़ून ख़ुदा की बादशाही के वारिस नहीं हो सकते और ना फ़ना बक़ा की वारिस हो सकती है। देखो मैं तुमसे राज़ की बात कहता हूँ। हम सब तो नहीं सोएँगे मगर सब बदल जाऐंगे। और यह एक दम में, एक पल में, पिछ्ला नर्सिंगा फूँकते ही होगा क्योंकि नर्सिंगा फूँका जाऐगा और मुर्दे ग़ैर-फ़ानी हालत में उठेंगे और हम बदल जाऐंगे। क्योंकि ज़रूर है कि ये फ़ानी जिस्म बक़ा का जामा पहने और यह मरने वाला जिस्म हयात अबदी का जामा पहने। और जब ये फ़ानी जिस्म बक़ा का जामा पहन चुकेगा और ये मरने वाला जिस्म हयात अबदी का जामा पहन चुकेगा तो वो क़ौल पूरा हो जाऐगा जो लिखा है कि मौत फ़त्ह का लुक़मा हो गई। ऐ मौत तेरी फ़त्ह कहाँ रही? ऐ मौत तेरा डंक कहाँ रहा? मौत का डंक गुनाह है और गुनाह का ज़ोर शरीयत है। मगर ख़ुदा का शुक्र है जो हमारे खुदावंद ईसा मसीह के वसीले से हम को फ़त्ह अता फ़रमाते हैं। पस ऐ दीनी भाईयों ! साबित क़दम और क़ायम रहो और ख़ुदा के काम में हमेशा अफ़्ज़ायश करते रहो क्योंकि ये जानते हो कि तुम्हारी मेहनत ख़ुदा में बेफ़ाइदा नहीं है।

वो भी सुनो जो मुक़द्दस युहन्ना रसूल कहता है कि 1युहन्ना 3:1 देखो ख़ुदा ने हमसे कैसी मुहब्बत की है कि हम ख़ुदा के फ़र्ज़ंद कहिलाए और हम हैं भी। दुनिया हमें इसलिऐ नहीं जानती कि उसने उन्हें भी नहीं जाना। अज़ीज़ो ! हम इस वक़्त ख़ुदा के फ़र्ज़ंद हैं और अभी तक ये ज़ाहिर नहीं हुआ कि हम क्या कुछ होंगे। इतना जानते हैं कि जब वो ज़ाहिर होंगे तो हम भी उनकी मानिंद होंगे क्योंकि उनको वैसा ही देखेंगे जैसा वो हैं। और जो कोई उनसे ये उम्मीद रखता है अपने आपको वैसा ही पाक करता है जैसे वो पाक हैं। जो कोई गुनाह करता है वो शराअ की मुख़ालिफ़त करता है और गुनाह शरियत कि मुख़ालिफ़त ही है। और तुम जानते हो कि वो इसलिऐ ज़ाहिर हुऐ थे कि गुनाहों को उठाले जाएं और उन की ज़ात में गुनाह नहीं। जो कोई उनमें क़ायम रहता है वह गुनाह नहीं करता। जो कोई गुनाह करता है ना उसने उन्हें देखा और ना जाना है।

आस्मानी मीरास की निस्बत मुक़द्दस पतरस रसूल का बयान गौरतलब है देखो 1 पतरस 1:3-5 :-

हमारे खुदावंद ईसा मसीह के ख़ुदा की हम्द हो जिन्होंने खुदावंद ईसा मसीह के मुर्दों में से जी उठने के बाइस अपनी बड़ी रहमत से हमें ज़िंदा उम्मीद के लिऐ नऐ सिरे से पैदा किया। ताकि एक ग़ैर-फ़ानी और बेदाग़ और लाज़वाल मीरास को हासिल करें। वो तुम्हारे वास्ते (जो ख़ुदा की क़ुदरत से ईमान के वसीले से इस नजात के लिऐ जो आख़िरी वक़्त में ज़ाहिर होने को तैयार है हिफ़ाज़त किऐ जाते हो) आस्मान पर महफ़ूज़ है।

आख़िर में मुक़द्दस युहन्ना रसूल मुकाशफ़ात की किताब में आस्मान का बयान यूं करता है देखो मुकाशफ़ात 21:22-24 :-

और मैंने इसमें कोई मुक़द्दस ना देखा इसलिऐ कि ख़ुदावंद ख़ुदा क़ादिर-ऐ-मुतलक़ और बर्रा उस का मुक़द्दस हैं। और इस शहर में सूरज या चांद की रोशनी की कुछ हाजत नहीं क्योंकि ख़ुदा तआला की बुजु़र्गी ने उसे रोशन कर रखा है और बर्रा उसका चिराग़ है। और कौमें उस की रोशनी में चलीं फिरेंगी और ज़मीन के बादशाह अपनी शानोशौकत का सामान इस में लाएँगे।

और 22:1,5,10,21 :-

फिर उसने आब-ऐ-हयात की एक साफ़ नदी मुझे दीखाई जो बिलौर की तरह शफ़्फ़ाफ़ और ख़ुदा और बर्रे के तख़्त से निकलती थी। और इस की सड़क के बीच और इस नदी के वार पार ज़िंदगी का दरख़्त था जो बारह किस्म के फल लाता और हर एक महीने में अपना फल देता था और इस दरख़्त के पत्ते क़ौमों की शिफ़ा के वास्ते थे। और फिर कोई लानत ना होगी और ख़ुदा और बर्रे का तख़्त इस में होगा और उसके बंदे उसकी बंदगी करेंगे। और वो उस का मुँह देखेंगे और उस का नाम उनके माथों पर होगा। और वहां रात ना होगी और वो चिराग़ और सूरज की रोशनी के मुहताज नहीं फिर उसने मुझसे कहा कि तू इस किताब की नबुव्वत की बातों पर मुहर मत रख क्योंकि नज़्दीक है जो नारास्त है सो नारास्त ही रहे और जो नजिस है सो नजिस ही रहे और जो रास्तबाज़ है सो रास्तबाज़ ही रहे और जो मुक़द्दस है सो मुक़द्दस ही रहे और देखो में जल्द आता हूँ और मेरा अज्र मेरे साथ है ताकि हर एक को उसके काम के मुवाफ़िक़ बदला दूँगा में अल्फ़ा और ओमेगा, इब्तिदा और इंतिहा अव़्वल और आख़िर हूँ। मुबारक वो हैं जो उसके हुक्मों पर अमल करते हैं ताकि ज़िंदगी के दरख़्त पर उनका इख़्तियार हो और वो इन दरवाज़ों से शहर में दाख़िल होए मगर कुत्ते और जादूगर और हरामकार और ख़ूनी और बुतपरस्ती और झूटी बात का हर एक पसंद करने और घड़ने वाला बाहर रहेगा। खुदावंद मसीह ने अपना फ़रिश्ता इस लिऐ भेजा कि जमाअतों के बारे में तुम्हारे आगे इन बातों की शहादत दे। मैं दाऊद की असल व नसल और सुबह का चमकता हुआ सितारा हूँ। और रूह और दुल्हन कहती हैं आ और सुनने वाला भी कहे आ। और जो प्यासा हो वो आऐ और जो कोई चाहे आब-ऐ-हयात मुफ़्त ले।

मैं हर एक आदमी के आगे जो इस किताब की नबुव्वत की बातें सुनता है शहादत देता हूँ कि अगर कोई आदमी उनमें कुछ बढ़ाऐ तो ख़ुदा इस किताब में लिखी हुई आफ़तें इस पर बड़ा देगा। और अगर कोई इस नबुव्वत की किताब की बातों में से कुछ निकाल डाले तो ख़ुदा इस ज़िंदगी के दरख़्त और मुक़द्दस शहर में से जिनका इस किताब में ज़िक्र है उसका हिस्सा निकाल डालेगा। जो इन बातों की शहादत देता है वो ये कहता है कि बेशक में जल्द आने वाला हूँ। आमीन। ऐ खुदावंद ईसा आईऐ। खुदावंद येसु का फ़ज़्ल मुक़द्दसों के साथ रहे। आमीन।

ग़ज़ल
जज़ाकल्लाह ये ख़ुशख़बरी मुझे जिसने सुनाई है
मसीहा ही के ख़ूँ से सारे इस्यानों की सफ़ाई है
हुआ कुंदा नगीना दिल पर जिसके नाम ईसा का
वहां शैतान से मलऊन की फिर कब रसाई है
मिला विरसा में हमको गुनाह लो बाप दादों से
यही देखो हमारे बावा-आदम की कमाई है
हज़ारों शुक्र ईसा का उठाया बार इस्याँ का
मुबारक हो तुम्हें लोगो मसीहा से रिहाई है
तूही सच्चा मुंजी है तू इकलौता ख़ुदा का है
मऐ ख़र सनद ए हक़ तूही ने हमको पिलाइ है
मुबारक फिर मुबारक फिर मुबारक नाम हो तेरा
दी अपनी जान तूने और हमारी जां छुड़ाई है
उसी की बंदगी आज़ादगी लारेयब है यारो
हमारी रूह तो इस ने गु़लामी से छुड़ाई है
कुचल डालूंगा ओ शैतां तुझे फ़ज़ल-ऐ-मसीहा से
नहीं तो जानता आसी को ईसा का सिपाही है
ग़ज़ल
दिला क्यों रोज़-ऐ-महशर से हिरासाँ और लर्ज़ां हूँ
वसीला मज़हर हक़ है उसी पे मैं तो नाज़ाँ हूँ
मेरा ईमां तो क़ायम है उसी बहर शफ़ाअत पर
तो फिर ऐश दवामी का दिला क्योंकर ना शायां हूँ
खड़ा हूँ बार इस्याँ का लिऐ सर पर ख़ुदावंदा
रिहाई दे मुझे ख़ालिक़ में गिर्यां और नालां हूँ
कहाँ जाऊं मैं ग़मदीदा गुनाहों से शर्मिंदा
ख़ुदा या रहम कर मुझ पर मैं पकड़े तेरा दामाँ हूँ
नदादी ज़ात मुतलक़ ने ना हो मायूस ऐ आसी
हयात-ऐ-दाइमी ले मुझसे में फ़र्ज़ंद यज़्दाँ हूँ

 


1. नोट- मैं यहां सुरह बक़रा, निसा, माइदा और इमरान के आयतों का हवाला देता हूँ जिनमें मक्का के यहूदीयों के निस्बत जब वो आप लोगों के नबी से बह्स करते थे लिखा है कि वो ग़लत हवाले पेश करते हैं ज़बान मरोड़ कर पढ़ते हैं और लफ़्ज़ों को उन के जगह से हटा कर पढ़ते हैं ताकि तुम जानो कि वो किताब ही में से है।

2.  नोट: इसका बयान रसूलों के आमाल में जो नए अह्दनामे का एक सहीफ़ा है पाया जाता है उसमें पन्टिकोस्ट के दिन रूहुल-क़ुद्दुस के नुज़ूल का बयान पढ़े और पतरस रसूल का दर्स जो उसने यहूदीयों को बाब दोम में और ग़ैर क़ौमों को बाब दहम में दिया है और फिर पौलुस और दीगर रसूलों की तहरीर मुलाहिज़ा कीजिए।

3. नोट कहते हैं कि ख़लीफ़ा उस्मान ने अपने हाथ से तीन नुस्ख़ा क़ुरआन के लिखे थे जिनमें से ऐक नुस्ख़ा दमिश्क़ के जामा मस्जिद में रखा हुआ था। वो आग से तल्फ़ हुआ। और दीगर नुस्ख़ाजात जो ख़लीफ़ा उस्मान के हुक्म से लिखे गऐ वोह मदीना व क़ाहिरा और दीगर शहरों में रख दिए गऐ और वो नुस्ख़ा जिस पर ख़ून लगा हुआ है शहीद होते वक़्त उसके हाथ में था बस्रा की मस्जिद में रखा है। क्या ईसाईयों और यहूदीयों के क़दीम नुस्खे़ उन से कमक़दर हैं?

4. नोट- येसु ख़ुदा का बर्रा कहलाता है जिससे ये मुराद है कि जिस तरह ईद फसह में साल साल बर्रा की क़ुर्बानी इस लिऐ होती थी कि लोगों के गुनाह माफ़ किऐ जाएं पस येसु बर्रा ख़ुदा हो कर सलीब पर मस्लूब हुआ कि हमारे गुनाह माफ़ किऐ जाएं हज़रत यहया इब्ने ज़करिया ये वही शख़्स है जिसका ज़िक्र क़ुरआन में पाया जाता है। कि बुढापे में येही बेटा ज़करिया के पैदा हुआ जैसा कि ख़ुदा ने वाअदा किया था सुरह आल-ऐ-इमरान को देखो। यहया के क़त्ल करने का इन दोनों गुनाहों में से ऐक गुनाह है जो क़ुरआन में सुरह बनी-इस्राईल में मज़्कूर है जो बनी-इस्राईल से सरज़द हुआ।

Red & White Flower

حق و َباطَل کی شناخت

کھوج کھوج کر ڈھونڈو گے تب جھوٹھ  سچ کو جانو گے

Identification of the Truth and False
Bible or Quran


Published in Nur-i-Afshan May 15, 1896


فصل اَوّل درز کر آفرِینش

توریت

توریت میں زکر آفرینش آدم اس طرح سے لکھا ہے

ابتدا میں خدا نے زمین و آسمان کو پیدا کیا اور جملہ موجودات کو پیدا کر کے آفرینش کے چھٹے دن آدم کو زمین کی خاک سے اﷲ نے اپنی سورت پر بنایا  اور اُس کے نتھنوں  میں زندگی کا دم پھونکا  اور ساتویں دن کو سبت مقرر کیا اور عدن کے پورب طرف باغ لگا کر آدم کو اُس میں رکھا اور آدم کی پسلی  سے حواّ کو پیدا کیا اور درخت  ممنوعہ  کے کھانے   سے منع کیا۔  پھر شیطان نے بشکل سانپ حّوا  کو بہکایا  چطاطچہ درخت ممنوعہ  حوّا نے خود کھایا اور آدم کو کھلایا جبکہ آدم کو درخت  ممنوعہ کے کھانے سے نیئک و بد کی شناخت ہوگئ تو سمجھا کہ میں ننگا ہوں  پھر درختوں کی پتیوں  سے اپنا اور اپنی  بیوی حوّا کا جسم چھپایا  پھر اﷲ نے دونوں  کے واسطے طمڑے کے کرتے بنائے اور پہنائے اور درخت  ممنوعہ کے کھانے   کے قصور میں دونوں بہشت سے نکالے گئے اور شیطان ملعون ہوا۔

قرآن

سورہ اعراف آیت ۱۱۔

وَلَقَدْ خَلَقْنَاكُمْ ثُمَّ صَوَّرْنَاكُمْ ثُمَّ قُلْنَا لِلْمَلَائِكَةِ اسْجُدُوا لِآدَمَ فَسَجَدُوا إِلَّا إِبْلِيسَ لَمْ يَكُن مِّنَ السَّاجِدِينَ

 اور ہم ہی نے تم کو (ابتدا میں مٹی سے) پیدا کیا پھر تمہاری صورت شکل بنائی پھر فرشتوں کو حکم دیا آدم کے آگے سجدہ کرو تو (سب نے) سجدہ کیا لیکن ابلیس کہ وہ سجدہ کرنے والوں میں (شامل) نہ ہوا ۔

سورہ حجر رکوع ۳۔ ۲۶۔ ۲۹۔ آیت

وَلَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنسَانَ مِن صَلْصَالٍ مِّنْ حَمَإٍ مَّسْنُونٍ وَالْجَانَّ خَلَقْنَاهُ مِن قَبْلُ مِن نَّارِ السَّمُومِ

 اور ہم نے انسان کو کھنکھناتے سڑے ہوئے گارے سے پیدا کیا ہے اور جنوں کو اس سے بھی پہلے بےدھوئیں کی آگ سے پیدا کیا تھا۔

سورہ عمران رکوع  ۱۶۱۔ ۵۸  آیت

إِنَّ مَثَلَ عِيسَىٰ عِندَ اللَّهِ كَمَثَلِ آدَمَ خَلَقَهُ مِن تُرَابٍ ثُمَّ قَالَ لَهُ كُن فَيَكُونُ عیسیٰ کا حال خدا کے نزدیک آدم کا سا ہے کہ اس نے (پہلے) مٹی سے ان کا قالب بنایا پھر فرمایا کہ (انسان) ہو جا تو وہ (انسان) ہو گئے ۔

اور سورہ حج رکوع ۱آیت ۴

يَا أَيُّهَا النَّاسُ إِن كُنتُمْ فِي رَيْبٍ مِّنَ الْبَعْثِ فَإِنَّا خَلَقْنَاكُم مِّن تُرَابٍ ثُمَّ مِن نُّطْفَةٍ ثُمَّ مِنْ عَلَقَةٍ ثُمَّ مِن مُّضْغَةٍ مُّخَلَّقَةٍ وَغَيْرِ مُخَلَّقَةٍ لِّنُبَيِّنَ لَكُمْ  وَنُقِرُّ فِي الْأَرْحَامِ مَا نَشَاءُ إِلَىٰ أَجَلٍ مُّسَمًّى ثُمَّ نُخْرِجُكُمْ طِفْلًا ثُمَّ لِتَبْلُغُوا أَشُدَّكُمْ  وَمِنكُم مَّن يُتَوَفَّىٰ وَمِنكُم مَّن يُرَدُّ إِلَىٰ أَرْذَلِ الْعُمُرِ لِكَيْلَا يَعْلَمَ مِن بَعْدِ عِلْمٍ شَيْئًا  وَتَرَى الْأَرْضَ هَامِدَةً فَإِذَا أَنزَلْنَا عَلَيْهَا الْمَاءَ اهْتَزَّتْ وَرَبَتْ وَأَنبَتَتْ مِن كُلِّ زَوْجٍ بَهِيجٍ

لوگو اگر تم کو مرنے کے بعد جی اُٹھنے میں کچھ شک ہو تو ہم نے تم کو (پہلی بار بھی تو) پیدا کیا تھا (یعنی ابتدا میں) مٹی سے پھر اس سے نطفہ بنا کر۔ پھر اس سے خون کا لوتھڑا بنا کر۔ پھر اس سے بوٹی بنا کر جس کی بناوٹ کامل بھی ہوتی ہے اور ناقص بھی تاکہ تم پر (اپنی خالقیت) ظاہر کردیں۔ اور ہم جس کو چاہتے ہیں ایک میعاد مقرر تک پیٹ میں ٹھہرائے رکھتے ہیں پھر تم کو بچہ بنا کر نکالتے ہیں۔ پھر تم جوانی کو پہنچتے ہو۔ اور بعض (قبل از پیری مرجاتے ہیں اور بعض شیخ فالی ہوجاتے اور بڑھاپے کی) نہایت خراب عمر کی طرف لوٹائے جاتے ہیں کہ بہت کچھ جاننے کے بعد بالکل بےعلم ہوجاتے ہیں۔ اور (اے دیکھنے والے) تو دیکھتا ہے (کہ ایک وقت میں) زمین خشک (پڑی ہوتی ہے) پھر جب ہم اس پر مینہ برساتے ہیں تو شاداب ہوجاتی اور ابھرنے لگتی ہے اور طرح طرح کی بارونق چیزیں اُگاتی ہے

اور سورہ مومنون رکوع ۱۔   ۱۲، ۱۴ آیت۔

وَلَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنسَانَ مِن سُلَالَةٍ مِّن طِينٍ ثُمَّ جَعَلْنَاهُ نُطْفَةً فِي قَرَارٍ مَّكِينٍ ثُمَّ خَلَقْنَا النُّطْفَةَ عَلَقَةً فَخَلَقْنَا الْعَلَقَةَ مُضْغَةً فَخَلَقْنَا الْمُضْغَةَ عِظَامًا فَكَسَوْنَا الْعِظَامَ لَحْمًا ثُمَّ أَنشَأْنَاهُ خَلْقًا آخَرَ ۚ فَتَبَارَكَ اللَّهُ أَحْسَنُ الْخَالِقِينَ

اور ہم نے انسان کو مٹی کے خلاصے سے پیدا کیا ہے پھر اس کو ایک مضبوط (اور محفوظ) جگہ میں نطفہ بنا کر رکھا پھر نطفے کا لوتھڑا بنایا۔ پھر لوتھڑے کی بوٹی بنائی پھر بوٹی کی ہڈیاں بنائیں پھر ہڈیوں پر گوشت (پوست) چڑھایا۔ پھر اس کو نئی صورت میں بنا دیا۔ تو خدا جو سب سے بہتر بنانے والا بڑا بابرکت ہے ۔

سورہ سجدہ رکوع۱۔ آیت ۶

الَّذِي أَحْسَنَ كُلَّ شَيْءٍ خَلَقَهُ  وَبَدَأَ خَلْقَ الْإِنسَانِ مِن طِينٍ

جس نے ہر چیز کو بہت اچھی طرح بنایا (یعنی) اس کو پیدا کیا۔ اور انسان کی پیدائش کو مٹی سے شروع کیا

سورہ رحمن رکوع ۱۔ ۱۳ آیت

خَلَقَ الْإِنسَانَ مِن صَلْصَالٍ كَالْفَخَّارِ

اسی نے انسان کو ٹھیکرے کی طرح کھنکھناتی مٹی سے بنایا ۔

سورہ قیامت رکوع۔ ۲۔ ۳۷، ۳۹

أَلَمْ يَكُ نُطْفَةً مِّن مَّنِيٍّ يُمْنَىٰ ثُمَّ كَانَ عَلَقَةً فَخَلَقَ فَسَوَّىٰ فَجَعَلَ مِنْهُ الزَّوْجَيْنِ الذَّكَرَ وَالْأُنثَىٰ

کیا وہ منی کا جو رحم میں ڈالی جاتی ہے ایک قطرہ نہ تھا؟ پھر لوتھڑا ہوا پھر (خدا نے) اس کو بنایا پھر (اس کے اعضا کو) درست کیا پھر اس کی دو قسمیں بنائیں (ایک) مرد اور (ایک) عورت ۔

سورہ دھرَ رکوع ۱۔ آیت ۲

إِنَّا خَلَقْنَا الْإِنسَانَ مِن نُّطْفَةٍ

ہم نے انسان کو نطفہٴ مخلوط سے پیدا کیا

سورہ عبس ، ۱۹ ۔ آیت

مِنْ أَيِّ شَيْءٍ خَلَقَهُ مِن نُّطْفَةٍ خَلَقَهُ فَقَدَّرَهُ

اُسے (خدا نے) کس چیز سے بنایا؟ نطفے سے بنایا پھر اس کا اندازہ مقرر کیا

سورہجررکوع ۲آیت ۱۸

وَالْأَرْضَ مَدَدْنَاهَا وَأَلْقَيْنَا فِيهَا رَوَاسِيَ وَأَنبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ شَيْءٍ مَّوْزُونٍ

اور زمین کو بھی ہم ہی نے پھیلایا اور اس پر پہاڑ (بنا کر) رکھ دیئے اور اس میں ہر ایک سنجیدہ چیز اُگائی

سورہ سجدہ رکوع ۳۔

اللَّهُ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ

خدا ہی تو ہے جس نے آسمانوں اور زمین کو اور جو چیزیں ان دونوں میں ہیں سب کو چھ دن میں پیدا کیا

سورہ بقر رکوع ۴۔ ۳۰ آیت

وَإِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَائِكَةِ إِنِّي جَاعِلٌ فِي الْأَرْضِ خَلِيفَةً  قَالُوا أَتَجْعَلُ فِيهَا مَن يُفْسِدُ فِيهَا وَيَسْفِكُ الدِّمَاءَ وَنَحْنُ نُسَبِّحُ بِحَمْدِكَ وَنُقَدِّسُ لَكَ  قَالَ إِنِّي أَعْلَمُ مَا لَا تَعْلَمُونَ

اور (وہ وقت یاد کرنے کے قابل ہے) جب تمہارے پروردگار نے فرشتوں سے فرمایا کہ میں زمین میں (اپنا) نائب بنانے والا ہوں۔ انہوں نے کہا۔ کیا تُو اس میں ایسے شخص کو نائب بنانا چاہتا ہے جو خرابیاں کرے اور کشت وخون کرتا پھرے اور ہم تیری تعریف کے ساتھ تسبیح وتقدیس کرتے رہتے ہیں۔ (خدا نے) فرمایا میں وہ باتیں جانتا ہوں جو تم نہیں جانتے ۔

حدیث

میں لکھا ہے کہ فرشتوں نے کل آدم کو گوندھا  اور خشک کیا کہ مثل کھیر مل کے ہوگئی تھی اور ہو ا چلنے سے بچتی تھی اُس سے آدم کو بنایا اور پھر لکھا ہے کہ تمام روئے زمین کی شور و شیرین مٹی سے آدم بنایا گیا  اور  چالیس برس  آدم کے گارےمین ہوا و حرص خمیر کی گئی  اور حیات القلوب جلد اوّل میں لکھا ہے کہ امام زاو عبداﷲبن سلام نے محمد سےپو چھا کہ آدم تمام خاکوں سے بنایا گیا  یا ایک خاک سے جواب  ملا کہ اگر آدم ایک ہے ہی خاک سے بنایا جاتا تو تمام آدمی ایک صورت کے ہوتے اور شناخت نہ ہوتی عبداﷲ نے کہا کہ اس کی کوئی مثال ہے فرمایا کہ مثال آدم کی خاک ہے  کیونکہ خاک میں سفید و سرخ  و نیمرنگ و خود رنگ ہیں اور کسی جگہ کی خاک سخت اور کہیں کی نرم ہوتی ہے اسی وجہ سے آدمی سب رنگ کے اور سخت و نرم مزاج ہوتے ہیں۔ اور حوّا آدم  کی ہڈی سےبنائی گئی اور امام جعفر سے منقول ہے کہ یہ بات غلط ہے کہ حوا آدم کی ہڈّی سے بنائی گئی بلکہ آدم بنانے کے بعد جو مٹی بچی تھی اُس سے  حّوا بنائی گئی اور حدیث سے واضح ہے کہ گل آدم جب بہشت  میں پڑی تھی اُس وقت شیطان مٹی کو لات مار کر کہتا تھا کہ اگر اﷲ  مجھسے اس کو سجدہ کروائیگا تو ہر گز ہر گز نہیں کرونگا۔ اور امیر المومنین یعنے علی سے منقول ہے کہ جس وقت اﷲ نے نور محمد سے ایک گوہر بنایا ۱ پھر اُس کے دو ٹکڑے کئے ایک ٹکڑا آب شرین ہو گیا اور دوسرا عرش بن گیا اور عرش کو پالی پر قایم  کیا اور پانی کے دہوئیں سے آسمان  بنایا  اور پانی کی جھاگوں سے رنین بنائی اور پھر ایک فرشتہپیدا کیا اُس نے زمین کو اُٹھا لیا اور پھر اﷲ نے ایک  بڑا پتھر  بنایا اُس پر فرشتہ کھڑا ہوا  اور پھر گاؤ زمین کو بنایا اور سنگ گران کواُس کی پشت پر قایم کیا اور پھر ایک بڑی مچھلی بنائی اُس کی پشت  پر گاؤ زمین کو کھڑا کیا۔

مضامین متزکرہ صدر سے یہامر ناظرین کو کامل طور سے واضح  ہو گا کہ قرآن توریت کا  مخالف ہے مگر بھائی  محمد ی یقیناً اس کا یہی ضواب دیں گے کہ وجہ اختلاف یہ ہے کہ توریت تحریف کر دی گئی ہے۔ مگر پھر قرآن  توریت  کو تصدیق کرتا ہے دیکھو  سورہ یونسؔ  رکوع ۱۰۔ ۹۵ ۔ آیت میں وہی قرآن کہتا ہے  کہ جو توریت  کو نہیں مانتا وہ اﷲ  کی باتیں جُٹھلاتا ہے اور توریت محمد کے وقت میں معتبر اور سند ٹھہرائی گئی اور پھر  سورہ  ہودؔ  رکوع ۲۔ میں لکھا  ہے کہ توریت  کے منکر دوزخی ہو ح گے اور پھر سورہ عمران رکوع ۱۔ میں لکھا ہے کہ توریت و انجیل کلام اﷲ ہیں اور پھر سورہ توبہ رکوع ۱۴ میں لکھا ہے کہ توریت  سّچی ہے اور پھر سورہ عمران  رکوع ۹۔ ۸۳ آیت کا یہ مضمون  ہے کہ کہہ اے محمد  کہ ہم ایمان لائے اﷲ پر اور جو اُترا ابراہیم پر و اسماعیل و اسحاق  و یعقوب  اور اُس کی اولاد پر اور جو   ملا موسیٰ و عیسیٰ کو اور سب نبیوں کو اپنے  رب سے اور ہم جدا  نہیں کرتے  اُن میں سے ایک کو فقط ۔ اب ناظرین و محمدصاحب غور فرمائیں کہ ایک موقعہ پر قرآن  توریت و انجیل کو تصدیق  کرتا ہے۔ اگر حساب دعوی  محّبان دین محمدی توریت و انجیل مرّف  ہو گئیں یا آنکہ منسوخ ہو گئیں تھیں تو پھر  قرآن  اُن کو کیوں تصدیق کرتا ہے اور پھر سنّت وغیرہ کیوں جایز ہے۔ پس واضح ہو کے زمانہ محمد تک توریت و انجیل  صحیح  اور درست تہیں۔ تو اب  محمدی بھائی  بتلائیں کہ کتب مقدسہ محرف ہوئیں آیا قبل از عہد محمدی یا آنکہ خاص زمانہ محمد صاحب میں اگر قبل از زمانہ محمد  یا آنکہ اُن کے دعوے نبوت کے وقت محّرف  ہو گئیں تھیں۔ تو پھرقرآن  کیوں تصدیق  کرتا ہے اور اگر بعد محمد تحریف  کی گئیں  تو کب اور کس نے ایسا کیا  اور کیا کیا مضامین  تبدیل ہوئے ؟    اور زمانہ محمد میں ہزار ہا نسخہ توریت و انجیل کے ملک بملک موجود تھے تو کب ممکن  ہے کہ تمام  کتب سماوی ایک مقام پر جمع ہوں اور تحریف کر دی جائیں کیا کتب  سماوی کعبہ کے بت خانہ میں تھیں جو تحریف کر دی گئیں اور جو کوئی بھی نسخہ صحیح نہیں رہا۔ اس بات کو سوائے  محباّن دین محمدی کے کوئی نادان سے نادان  شبہ بھی نہیں  کر سکتا  کہ کتب مقدسہ تحریف کر دی گئیں۔ علاوہ ازیں سورہ یوسف رکوع ۱۱۔ میں قرآن  دعویدار ہے کہ قرآن  پہلی کتابوں کے موافق  ہے جو کچھ بنائی ہوئی بات نہیں ہے فقط  قرآن   و توریت کی مطابقت کا حال تو ناظرین  پر واضح ہو گیا اور حیکہ قرآن  توریت کے خلاف ہے   تو بموجب  اس آیت کے کیوں قرآن بنایا ہوا نہیں ہے۔ اب نفس قرآن  میں عرض کیا جاتا ہے دیکھو قرآنی جو اوپر لکھی گئیں ہیں ایک دوسرے کے مخالف  ہیں یعنے کہیں یہ زکر  ہے کہ آدم کی جان لون کی آگ سے بنائی۔ اور کہیں لکھا ہے کہ آدم میں اﷲ نے اپنی ایک  پھونکی  اور پھر لکھا  ہے کہ  زمین  کو پھیلایا اور اُس پہاڑ  کی میخ ٹھونکی  دوسری جگہ یہ زکر ہے۔ کہ اﷲ نے آسمان و زمین اور جو کچھ اُس کے بیچ میں ہے چھ دن میں بنایا اور پھر لکھا ہے کہ  سات آسمان دو دن میں بنائے اور پھر  سورہ نساؔء رکوع ۱۱ میں لکھا ہے کہ کیا غور نہیں کرتے قرآن کو اگر یہ ہوتا سوائے اﷲ کے کسی اور کا تو پاتے اُس میں تفاوت کا حال واضح طور سے لکھا گیا ہے ۔ پس ظاہری ہے کہ کلام  اﷲنہیں بلکہ محمد کا بنایا  ہوا ہے اور ثبوت قرآن  کی بطلان کا یہ ہے جو روایات اور حدیث  اوپر لکھی گئیں ہیں وہ بھی قرآن  کے خلاف ہیں۔ دیکھو جس آدم  کو اﷲ اشرف  المخلوقات  پیدا کیا اور جس کے واسطے قرآن میں زکر  ہے کہ اﷲ نے  آدم کو فرشتوں سےسجدہ کروایااُس کی تمہاری اماموں اور راویوں نے کیسی مٹی خراب کی ہے کہ شیطان  اُس کے منہ میں گھس کے مقصد  کے راستے سے نکلا کرتا تھا اور اﷲ نے اُس کو تمام شورِ زمین کی خاک سے بنایا اور آفرینش سے قبل ہی اچھی اور برُی اُس کی سرشت میں قایمکر دی  ور مخفی نہ رہے کہ توریت و انجیل کو قرآن  کی شہادت اور تصدیق کی کچھ ضرورت نہین ہے کیونہ اگر قرآن  کلام اﷲ ہوتا تو ضرور تھا کہ اُس کی تصدیق  لازمی ہوتی جیسا کہ جملہ انبیائے بنی  اسرائیل   نے توریت  کو تصدیق کیا اور جملہ صحف  انبیا توریت کے موافق  ہیں چنانچہ برائے  نمونہ مختصراً عرض کیا  جاتا ہے دیکھو کتاب پیدایش کے ۱۵ باب کے ۱۲، ۱۳ آیت میں اﷲ نے ابراھیم کو خبر دی تھی کہ تیری  اولاد ایک ملک میں جواُن  کانہیں  ہے پردیسی  ہو گی اور وہاں کے لوگوں کی غلام بنے گی اور ساڑھے  ۴ سو برس وہ لوگ اُس کو تکلیف دیں گے۔ لیکن  میں اُس قوم کی جو کے وہ غلام بنیں گے عدالت کروں گا اور بعد اُس کے بڑی دولت  لے کے وہاں سے نکلیگی   چنانچہ یہ اولاد ابراھیم کی یعقوب اور یوسف تھیجو مصر میں غلام  بنی اور یہ خبر موسیٰ کی تھی کہ اُس نے بنی سرائیل  کو مصر کی غلامی  سے آزاد کیا اور پھر حضرت داؤد نے مسیح کے ظہور کی خبر دی ہے اور مسیح  نےاکثر مقام  پر توریت کو تصدیق کیا ہے چنانچہ انجیل  یوحنا کے ۵ باب کی ۳۱ آیت می مسیح یہود سے فرماتا ہے کہ  دیکھو  توریت   کو کیونکہ تم سمجھتے ہو کہ اُس مں تمہارے واسطے ہمیشہ کی زندگی ہے۔ وہ ہی میری گو گولی دیتی ہے اور پھراُسی باب ۴۶آیت میں مسیح یہودیوں سے فرماتا ہے کہ اگر تم موسیٰ  پر ایمان لاتے تو مجھپر  بھی ایمان لاتے کیونکہ اسنے میری  گواہی دی ہے فقط  پس اِس صورت میں محمدیوں  کا دعویٰ کے  تحریف ایسا ہے جیسے کہ لولاک  لما خلقت الافلاک۔  کے معنی یعنے اس عبارت میں کہیں بھی محمد کا زکر نہیں پایا جاتا ہے مگر محمدی  صاحب  تو کھینچ کھانچ کے اِس کے معنے یہ کہتےہیں کہ اگر   نہ  پیدا کیاکرنا زمین و آسمان کو اے محباّن دین محمدیدیکھو تم کو ابھی تک قرآن کی بھی صحت نہیں ہوئی چنانچہ سورہ ناسوزلزلہ کی پیشانی  ایسی لکھی کہ مکہ یا مدینہ میں نازل  ہوئی پس یہ صحت  نہیںہے کہ مکہ میں نازل  ہوئی یا خاص  مدینہ میں تو پھر تم یہ کیونکر کہ سکتے ہو کہ سب قرآن  صحیح اور کلام اﷲ ہے اور پھر جس طرح پر قرآن  فراہم  ہوا ہے تم کو خوب معلوم ہے میں نظر طوالت قلم انداز کرتا ہوں  اور بعد اجتماع  قرآن جو قرأت میں اختلافات پیدا ہوئے اور اس وقت بھی موجود ہیں اُس کو تحریف  کیوں نہیں سمجھتے ہو اور پھر حدیث و روایات  کے اختلاف جو قرآن  کے خلاف بیان ہوئے ہیں اُن کی صحت کرو دیکھو آدم کے بہشت سے نکلنے کا حال حدیث و روایات میں بطور کہانی کے لکھا ہے کہ اول شیطان نے مور سے کہا کہ تو بہشت میں جا کے آدم کے سامنے ناچ اور اُس کو محو تماشا کرتاکہ میں آہستہ آہستہ بہشت کی دیوار  پر پہنچوں  اور پھر سانپ سے کہا کہ اپنے منہ میں بٹھا کے مجھکو بہشت  کی دیوار پر پہنچا چنانچہ اسی طرح سے شیطان  بہشت کی دیوار پر پہنچا اور وہاں سے آدم و حوّا کو بہکایا اور درخت ممنوعہ کے کھانے کی ترغیب دی حّوا کو  اﷲ نے جدہ میں اور شیطان کو جنگل مسان قریب بصرہ  اور سانپ اصفہان میں اور آدم ہندوستان میں اور مور کسی اور جگہ نکالے اے بھائیوں یہ داستان اور قصہ تمہارے  راویاں مختلف بیان کے سوائے محبان دین محمدی اہل کتاب  کیونکر صحیح خیال کر سکتے ہیں۔ 

تالمود اور قرآن

ہم نے لکھا تھا کہ پیدایش کے بارےمیں محمد صاحب نے بہت کچھ یہودیوں کی حدیث  سے لیا ہے۔ نوح  اور طوفان کے بارہ میں بھی وہی بات سچ ہے۔ اگرچہ بڑے بڑے واقعات مثلاًنوح راستی کا منّاد تھا۔  اُسنے  ایک کشتی بنائی۔ وہ اور اُسکا خاندان بچ گیا توریت سے لئے معلوم ہوتے ہوں مگر نوح کا عام  بیان جو قرآن میں درج ہے یہودی اُستادوں  کی حدیثوں  میں دئے ہوئے بیان سے زیادہ مشابہ ہے بہ نسبت  اُس بیان کے جو بائبل  میں درجہے۔ مثلاً نوح کی گفتگو لوگوں کے ساتھ اور وہ الفاظ جو لوگوں  نے تمسخر  کے طور پر کہے سورہ ۱۱: ۲۷۔ ۴۲ وہی ہیں جو تالمود میں ہیں سن ہیڈرن ۱۰۸۔

قرآن  کا یہ بیان  کہ لوگوں کو اُبلے ہوئے پانی سے سزا دیگئی سورہ ۱۱: ۴۲ اور سورہ ۲۳: ۲۷ قدیم یہودیوں کی تحریروں سے لیا گیا ہے  روش ہوشعنا ۱۶: ۲ اور سن ہیڈرن ۱۰ؔ۸۔

ایسی باتیں بہت غور  طالب ہیں اور اُن پر چاہے کتناہپی زور دیا جاوے تو بھی زیادہ نہیں ہے۔ ان سے بخوبی چابت ہے کہ قرآن کا دعویٰ کلام آلہی ہونیکا  باکل  بے بنیاد ہے۔  یہ صرف ایک مجمع ہے اَن بیانات  کا جو بائبل ؔ تالمودؔ سابینؔ تضیفوں اور جھوٹی انجیلوں سے جمعکیا گیا ہے۔ یہ بیانات ایسی صورت میں پیش کئے گئےہیں جن سے کہ پولیٹکل  اور دینی اصلاح  کرنیوالے وقتاً فوقتاً اپنا کام نکال سکیں ۔ کیونکہ ہم محمد کو ایسا ہی سمجھتے ہیں۔ قرآن کا الہامی کتاب ہونیکا دعویٰ باستثنا ء اُن الہامی الفاظ بائبل کے جو سہ بعینہ ٹھیک ٹھیک  نقل کرتا ہے بلحاظ اسبات کے کہ قرآن  کے خاص مضامین اُن  پچھلی  کتابوں سےلئے ہوئے ہیں۔ ایک لحظ بھر کے واسطے بھی تسلیم نہین کیا جا سکتا۔ 

ہم حدیثوں  کی احمقانہ کہانیوں پر جو آجکل  ہمارے   اخبار میں نقل ہوتی ہیں توجہ دلاتے ہیں۔ ہمکو ہنسی آتی ہے اور ہم ضرور ہنستے اگر ہمکو نہ یاد ہوتا کہ اگرچہ  تعلیم یافتہ محمدیوں کا حدیث پر بھروسہ کم ہے اور اُس کی تمام باتیں ماننے پر تیار نہیں ہوتے تو بھی عوام الناس کے نزدیک حدیثوں کے بیانات قریب قریب  الہام ہی  سمجھے جاتے ہیں اور اُن کا پورا پورا  بھروسہ اِن احمقانہ کہانیوں پر  ہے۔ یہ دیکھکر ہماری ہنسی گورے رحم  کے ساتھ بدل جاتی ہے۔  اور ہم چلاّ  اُٹھتے ہیں کہ جھوٹے نبی کی اُمت پر سے دین باطل کا  تاریک  بادل  کیسے دور ہوگا  تاکہ وہ راستی کے آفتاب  کو دیکھ  سکیں بہت لوگون پر سے بادل مٹتا جاتا ہے اور شگافوں میں سے روشنی  کی  جھلک پڑنے لگی ہے خدا کرے کہ دین باطل کے بادل جلد دور ہو جاویں۔

فصل دوم(۲) ۔ درزکر طُوفاَن نوح

توریت

توریت میں طوفان نوح کا یہ زکر ہے کہ نوح کے تین بیٹے  حامؔ۔ سامؔ۔ یافتؔ اور اُن کی بیویاں اور نوح  اور نوح  کی بیوی اور ہر قسم کے جانوروں کا ایک ایک جوڑا کشتی میں سوارہوئے اور بفضلہ طوفان سے محفوظ رہے اور بعد طوفان حام سے کنعان پیدا ہوا اور کنعان نوح کا پوتا تھا۔ 

قرآن

زکر طوفان نوح جو قرآن  میں ہے۔ سورہ مومنونؔ رکوع ۲۔  پھر ہمنے حکم بھیجا نوح کو کہ ایک کشتی ہمارے آنکھوں کے سامنے بنا اور جب اُبلے تنور تو ڈال لے اس میں  ہر قسم یعنے ہر چیز کا جوڑا  دوہرا  اور اپنے گھرکے لوگ اور سورہ ہود۔ رکوع ۴۔ اور جب جوش مارا تنور نے کہا ہم نے نوح سے لادلے  اُس میں ہر قسم کا جوڑا دو ہرا اور اپنے گھر کے لوگ اور پھر  پکارا نوح نے اپنےبیٹے کو  وہ ہو رہا تھا ڈوبنے والوں میں پھر وہ  نہ مانا اور ڈوب  گیا  سورہ انبیا رکوع ۶۔ نوح کی سب قوم طوفان میں ڈوب گئی۔

حدیث

حیات القلوب  جلد اوّل  میں بسند حسن حضرت صادق سے منقول  ہے کہ نوح نے ۲۲ بر س میں  کشتی  بنائی اور دو فرشتے کشتی بنانے میں نوح کی مدد کرتے تھے اور کشتی  میں نوح  کے ساتھ ۸۰ آدمی اور بھی سوار ہوئے تھے اور خدا نے نوح کو وہی بھیجی تھی کہ اپنی عورت  اور بیٹے ہو کشتی میں سوار نہ کرنا اور امام زادہ عبدالعظیم  لکھتا ہے کہ نوح  کی عورت کشتی میں سوار تھی اور محمد باقر لکھتا ہے یہ بات غلط ہے کہ نوح  کا بیٹا طوفان میں ڈوب گیا اور قصص الانبیا  میں لکھا  ہے کہ جو بیٹا نوح کا طوفان میں ڈوبا اُس کا نام کنعان تھا اور گدھے کی دم پکڑ کے شیطان بھی کشتی میں سوار ہو گیا تھا نوح  نے شیطان کو کشتی میں سوار ہونے  سے منع کیا تھا مگر شیطان  نہین مانا اور کشتی میں جا بیٹھا تھا اور ۸ یا ۱۰ یا ۲۰ آدمی اور بھی نوح کے ساتھ کشتی میں سوار ہوئے تھے اور آدم  کی نعش کا صندوق قبر سے نکال کے نوح نے  کشتی میں رکھ لیا تھا اور دو گوہر نورانی آسمانی  سے کشتی میں آئے تھے وہ چاند و سورج کا کام دئے تھے۔

اور جبکہ کشتی میں غلاظت بہت ہو گئی اور  بدبو آنے لگی تو نوح کو وحی آئی کہ ہاتھی کی دم پکڑچنانچہ نوح نے  ہاتھی کی دم پکڑی تو اُس میں سے ایک ۲ سور اور سورنی نکلے اور تمام غلاظت کشتی کی کھا گئے  اور کشتی میں یہ حکم تھا  کہ کوئی  جانور  اپنے مادہ سے جغت  نہو  مگر چوہا نہ  مانا اور اپنی مادہ سے جغت ہو گیا تو بہت سے چوہے پیدا ہو گئے اور کشتی میں سوراخ کرنے لگے تو خدا نے نوح سے کہا کہ شیر کے سر پر ہاتھ رکھ  چنانچہ نوح نے شیر کے ماتھے پر ہاتھ رکھا تو فوراً بلّیاں یعنے گرُبہ پیدا ہوگئیں اور سب چوہوں کو کھا  گئیں۔

اور پھر قصص الانبیا میں لکھا ہے کہ عوج آدم ۳ کا نواسہ تھا عوج نے نوح سے کہا کہ مجھکو بھی کشتی میں سوار کر لے مگر نوح نے انکار کیا اور تمام دنیا طوفان میں غرق ہو گئی  اور مر گئی مگر عوج نہ مرا  اور معالم میں لکھا ہے کہ طوفان کا پانی پہاڑوں سے چالیس   گز بلند  ہو گیا تھا مگر عوج ایسا لمبا تھا کہ طوفان کا پانی اُس کے زانوں تک نہین پہنچا تھا اُس قد ۳۳۳۳ گز سے زیادہ تھا ور بادل اُس کی کمر تک  آتے تھے اور سورج میں مچھلی کباب کر کے کھاتا اور تہ زمین سے مچھلی  ہاتھ سے پکڑ لیتا تھا صرف یہ ہی طوفان سے بچا تھا  اور موسیٰ نے اُس کو مارا تھا  اور اُس کی والدہ ایسی موٹی تھی کہ ایک جریب زمین میں بیٹھا کرتی تھی اور اُس کے ہاتھ کی انگلی تین تین گز کی تھی اور دو دو ناخن  مثل و نراتی کے تھے اور جس وقت اُس کو موسیٰ نے مارا تو اُس کی ۳۶۰۰ برس کی تھی۔

اب نہایت  ادب سے محباّن دین محمدی کی خدمت میں عرض  کی جاتی ہے دیکھو توریت  سے واضح ہے کہ نوح اور اُس کی بیوی اور حامؔ سامؔ یافتؔ تین بیٹے اور اُن کی بیویاں کشتی میں سوار ہوئیں اور بفضلہ محفوظ رہیں اور قرآن لکھتا ہے کہ نوح کا ایک بیٹا طوفان میں غارت ہو گیا اِس ہی وجہ سے تم کہتے ہو کہ توریت تحریف کر دی گئی مگر تم کو قسم ہے سورج اور چاند اور چڑھتے  دن اور کالی رات کی اور دوڑتے گھوڑوں کی یہ وہ قسمیں ہیں سخت جو تمہارے قرآن میں نے اللہ نے کھائی ہیں تم سچ  کہو کہ واقعی نوح کا ایک بیٹا طوفان میں غرق ہوگیا تھا ا س کا نام کنعان تھا مگر یہ بھی یاد رہے کہ اوپر محمد باقر نے لکھا ہے کہ یہ بات غلط ہے کہ نوح کا بیٹا طوفان میں غرق ہوگیا تھا دیکھو محمد باقر امام زادہ اور محمدی مذہب ہے وہ ہی قرآن کو غلط بتلاتا ہے اور پھر قرآن کہتا ہے کہ نوح کی بیوی کشتی  میں سوار ہوئی تھی مگر حضرت صادق کہتے ہیں کہ اللہ نے نوح کو منع کردیا تھا کہ وہ اپنی عورت کو کشتی میں سوار نہ کرے یہ حضرت بھی قرآن کو  جھوٹا بتلاتے ہیں ۔ ایک امام کہتاہے کہ نوح کے ساتھ دو آدمی کشتی میں سوار تھے ۔ دوسرا لکھتا ہے نہیں آٹھ یا دس یا بیس آدمی تھے اور تیسرا کہتاہے کہ سوائے نوح کے اور کوئی طوفا ن سے جانبر نہیں ہوا اور صدہا مبالغہ لکھتے ہیں اب تم خود ہی انصاف کرو کہ قرآن سچا ہے یا یہ امام زآدہ اور فرض بھی کیا جائے کہ اگر نوح  کا کوئی بیٹا طوفان میں ڈوب جاتا تو یہود کو کیا ضروت تھی جو اسبات کو پوشیدہ کرتے توریت میں صاف لکھا ہے ک کنعان نوح کا پوتا تھا فقط اور ملک کنعان اُس کے نام سے بعد طوفان آباد کیا گیا اور کنعان کا نسب نامہ اس وقت توریت میں موجود ہے فقط یہ امیر تواظہر من الشمس  ہے کہ قرآن توریت کے خلاف ہے اور روایات وحدیث قرآن کے مخالف ہیں اور ایک اور مقام پر قرآن توریت کے خلاف بیان کرتاہے اور دوسرے موقعہ پر وہی قرآن توریت کو تصدیق کرتا ہے جیسا سورہ نساء رکوع سات میں لکھا ہے کہ اے کتاب والو ایمان لاؤ اُس پر جو ہم نے نازل کیا سچ بتاتا تمہارے پاس  ہے۔ اور پھر سورہ احقاف  رکوع دس میں کہتا ہے کہ اس سے پہلے کتاب موسیٰ کی  راہ بتانے والی اوریہ کتاب اُس کو سچا کرتی عربی زبان میں اور پھر سورہ مائدہ رکوع سات میں ہم نے اُتاری توریت اُس میں روشنی ہے اور ہدایت اور پیچھے بھیجا عیسیٰ مریم کے بیٹے کو اوراُس کو دی ہم نے انجیل جس میں ہدایت ہے اور روشنی اوراُتاری ہم نے کتاب تحقیق سچا کرتی سب اگلی کتابوں کو اور سب میں شامل ہے اور پھر اسی سورہ رکوع چھ میں " اے محمد کس طرح تجھ کو منصف کریں گے اُن کے پاس توریت ہے جس میں حکم ہے اللہ کا فقط ۔ پس واضح ہے کہ اہل کتاب محمد کو پیغمبر نہیں مانیں گے کیونکہ اُن کے پاس کلام اللہ یعنی  توریت موجود ہے فقط ۔ پھر دیکھو سورہ عمران رکوع نو کی آیت کا یہ مضمون ہے اورجب لیا اللہ نے اقرار نبیوں کا کہ جو کچھ میں نے تم کو دیا کتاب اور حکمت اور پھر آئے تمہارے پاس کوئی رسول کہ سچ بتائیں تمہارے پاس والے کو توا ُس پر ایمان لاؤ گے اوراُس کی مدد کروگے فرمایا کہ تم نے اقرار کیا اور اس شرط پر لیا میرا ذمہ۔ بولے ہم نے اقرار کیا  فرمایا توشاہد رہیو اور میں بھی تمہارے ساتھ شاہد ہوں فقط دیکھ اور پھر لکھا ہے کہ اے محمد تجھ کو اہل کتاب کیونکر منصف کریں گے اُن کے پاس توریت ہے اور اس آیت سے معلوم  ہوتاہے کہ نبیوں سے اقرار ہوچکا تھا۔ اے مسلمانوں تم ہی انصاف کروگے قرآن کی کونسی آیت صحیح ہے اگر کوئی شخص  تم سے ایک مرتبہ کوئی بات کہے اورپھر اُس کے خلاف کچھ اور کہے تو تم اُس کو قطعی دروغ گو کہتے ہو اور صاف طرح پر کہدیتے ہو کہ تمہارے قول وفعل کا اعتبار نہیں ہے اور یہ ہی حالت قرآن کی ہے کہ ایک آیت دوسری کے خلاف ہے توپھر قرآن کیوں جھوٹا نہیں ہے اوراُس کو تم کلام اللہ سمجھتے ہو تو اللہ پر الزام وارد ہوتا ہے کہ وہ مثل انسانوں کی کبھی کچھ اور کبھی کچھ کہتا ہے۔ پس قرآن ہی سے واضح ہے کہ کلام اللہ نہیں بلکہ کلام محمد ہے اور دعویٰ نبوت بھی غلط اور بموجب  سورہ انعام رکوع گیارہ اور آیت 94 آیت کے جس کا یہ مضمون ہے کہ اُس سے ظالم کون جو باندھے اللہ پر جھوٹ یا کہے مجھ کو وحی آئی اور اس کو وحی کچھ نہیں آئی اور جو کہے میں اتارتاہوں برابر اس کے جو اللہ نے اتارا ہے فقط یہ مضمون خاص ذات محمد سے تعلق رکھتا ہے کہ رات کو ایک مضمون  اپنی طبعیت سے گھڑا اور  صبح ظاہر کیا مجھ کو وحی آئی اور اللہ پر جھوٹ باندھا۔ پیارے مسلمانوں تم خود ہی انصاف کرو کہ جملہ صحف انبیاء  بنی اسرائیل  موافق ومتفق ہیں مگر ایک قرآن اُن سب کے خلاف ہے دوسری روایات وحدیث  بھی قرآن کے خلاف ہے توپھر وہ کونسی  صورت ہے جوقرآن کو کلام  اللہ  کہتے ہو کیا صرف اُس اُمید پر کہ تم کو بہشت میں شیرو شہد کی نہریں اور حوریں ملیں گی۔ اے پیارو خوب یاد رکھو کہ بہشت کچھ سرائے یا ہوٹل نہیں ہے جہاں ایسے ناپاک خیالات آسکیں۔

تالمود اور قرآن
اِبرَاھیمِ کی متعلق

محمد نے ابراہیم کو نبیوں میں سے سب سے افضل سمجھا۔  اور قرآن  میں طول طویل حال لکھا۔  جیسا کہ سب جانتے ہیں چند باتیں  جو بائبل  میں ملتی ہیں قُرآن میں بیان کیگئی ہیں مثلاً فرشتوں کا ابراہیم  کے پاس اِنسان کی شکل میں آنا بیٹے کی قربانی اور سدوم کے نیست ہونے کا حکم دینا مگر یہاں ہمکو خصوصاً اُن باتوں  سے مطلب ہے جو تالمود سے لیگئی ہیں۔ باستثنا اِس بیان کے جو سورة البقر ۱۱۸۔ ۱۲۶ تک درج ہے۔  جہاں کہ دعویٰ کیا گیا ہے کہ ابراہیم اور اسمعیٰل نے کعبہ کو بتایا اور یہ ایک ایسا بیان ہے کہ جس کی تاریخی بنیاد بالکل نہیں ہے اور نیز اس بیان کے جو سورہ عمران  میں ۵۸ْ ۶ تک لکھا ہے کہ ابراہیم نہ یہودی تھا نہ مسیحی قریب قریب  ہر ایک بات یہودی حدیثوں سے نقل کی ہے ۴ ۔  مثلاً (۱) وہ طریقہ جس سے  واحد خدا کا علم حاصل کیا سورہ انعام ۷۴۔ ۸۲ (۲) اپنے  باپ اور اپنے اہل وطن  کو اپنے دین پر لانے کی کوشش سورہ مریم  ۴۲۔ ۵۱ اور سورہ انبیا ۵۲۔ ۵۸ ( ۳) اِس کا بتوں کو توڑ ڈالنا۔ سورہ انبیا ۳۹۔ ۶۶ ( ۴) لوگوں کا غصّہ ہونا  اور اُس کو جلانے  کی کوشش کرنا سورہ انبیا ۶۷۔ ۶۸ (۵) اُس کا  معجزہ  کے طور پر رہائی پانا سورہ انبیا ۶۹۔ ۷۰۔

اِن تمام مسبوق  الزکر باتوں کی اصل  تفسیر کتاب  پیدائش ،وسو،  مڈراش  راباّہ پارہ ۱۷ میں ملِتی  ہے۔ ہم نے اِن باتونکا انگریزی ترجمہ دیکھا ہے اور حقیقتاً  قرآن بالکل یہودیوں کے بیانات کو نقل کرنا ہے۔ ابراہیم کے متعلق محمد نے تاریخ کو بہت غلط لکھا اِس کی کئی مثالیں ہیں ( ۱ ) سورہ ہود ۷۱ میں ہے کہ سرہ پیشتر اس کے کہ فرشتوں نے اصحاق کے پیدا ہونے کی  خبر  دی  ہنسی۔ کیونکہ اُس کا ہنسنا  اِسی خبر پانے  کا نتیجہ تھا کیونکہ  لفظ اصحاق کے معنے ہنسنا ہے۔  ( ۲ ) سورہ صفات ۱۰۱ میں لکھا ہے کہ اصحاق کے پیدا ہونے سے پہلے ابراہیم  کو  ایک بیٹے کی قربانی کا حکم  ہوا تھا۔ مگر یہ تواریخ کے بر خلاف ہے کیونکہ فقط اصحاق  کے بارہ میں حکم  ہوا۔ اِس کادوسرا بیان بیشک ہو سکتا ہے۔  لیکن دونوں طرح سے قرُآن  کا بیان  دست نہیں رہتا۔ ہم نے اوپر تسلیم کیا ہے کہ بیٹے کی مراد اسمعیٰل  سے ہے  اور اگر اسمعیٰل  سے نہین ہے تو قرآن کا بیان الٹا ہے کیونکہ اِس کے مطابق جب یہ حکم ہوا تھا تو اُسوقت  اصحاق پیدا بھی  نہیں ہوا تھا لیکن وہاں  کا لفظ  یا بنیاہ ہے جس میں  تصغیر پائی جاتی ہے اور جس کے معنے چھوٹا بیتا ہیں  اور چھوٹا بیٹا اصحاق تھا اور اس طرحسے  ثابت ہوتا ہے کہ اسمعیٰل  کو قربان کرنے کا حکم  بھی نہیں ہوا۔ چنانچہ ہم دیکھتے ہیں کہ بعض محمدی علما کہتے ہیں  کہاسمعیٰل کے حق میں یہ  حکم ہوا اور بعض کہتے ہیں کہ نہیں ہوا مگر اصحاق کے حق میں خیراتنا معلوم  ہے کہ یہاں جھوٹی تاریخ یا اُلٹا بیان ہے۔  

فصل سوم ۔ در زکر ابراھیم

توریت

توریت میں ابراہیم کازکر اِسطرح  سے لکھا ہے کہ ابراہیم تارح کا بیٹا  تھا  اور سرہ ابراہیم  کی بیوی جبکہ ایک عرصہ  تک سرہ کے اولاد نہیں ہوئی اُسنے  اپنی لونڈی  ہاجرہ ابراہیم کو دی اُس سے اسمعیٰل پیدا ہوا اور پھر بالہام ربانی سرہ  سے اصحاق  پیدا ہوا اور وعدہ کا فرزند ہوا اور قربانگاہ پر چھڑھایا گیا اور اسمعیٰل  کی نسبت سرہ ابراہیم سے کہا کہ لوندی ہاجرہ اور اُسکے  بیٹے  کو نکالدے کیونکہ یہ لونڈیکا بیٹا میرے بیٹے اصحاق کےساتھ وارث  نہ ہوگا ۔ سرہ کی یہ بات ابراہیم کو ناگوار گزری تو خداوند  نے ابراہیم  سے کہا کہ سرہ ٹھیک کہتی ہے کیونکہ تیری نسل اصحاق  سے ہوگی۔ چنانچہ ابراہیم نے ہاجرہ اوراسمعیٰل  کو نکالدیا اور ہاجرہ نے بیرسبع کے جنگل میں جا کر گریہ  زاری کی تو فرشتہ نے ہاجرہ سے کہاکہ دلگیر  نہ ہو اِس لڑکے  کو   بڑی قوم  بناؤنگا اور اُس کے  ہاتھ  سب آدمیوں  کے خلاف  ہونگے اور یہ و حسنی ہوگا۔ چنانچہ اسماعیل  بیابان میں رہا اور تیرا نداز بنا اور ہاجرہ نےایک مصری عورت  اسماعیل کے واسطے لی اور اُس سے بارہ سردار  پیدا ہوئے  جنکے نام توریت میں لکھے ہیں۔ 

  قرآن

سورہ انعام رکوع ۹۔ ۷۵ آیت  اور جب کہا ابراہیم نے اپنے باپ  آزر  سے تو  پکڑتا ہے بتوں کو خدا۔ سورہ بقر رکوع ۱۵ آیت ۱۲۵۔ جب ٹھہرایا ہم نے  یہ گھر  کعبہ اجتماع کی جگہ لوگونکی اور پناہ  اورکھڑا   رکھو جہان کھڑا ہوا ابراہیم نماز کی جگہ وغیرہ اور پھر سورہ بقر آیت  ۱۲۷۔ اور جب اُٹھانے لگا ابراہیم بنیاد اُس گھر کی اور اسماعیل وغیرہ اور پھر سورہ بقر آیت ۱۳۰۔ اور کون نہ پسند کرے دین ابراہیم کا مگر جو بے وقوف  ہے اپنے جی سے فقط  اور پھر سورہ بقر رکوع ۱۷ آیت ۱۴۲۔ اب کہینگے  بےوقوف  لوگ کا ہے کو پھر گئے مسلمان اپنے قبلہ سے جسپر تھے اور پھر سورہ بقر آیت ۱۴۴۔ اور وہ قبلہ جو ہمنے ٹھہرایا جس پر تو تھا نہیں فقط اور پھر سورہ بقر آیت  ۱۴۵۔ اور ہم دیکھتے  ہیں پھر پھر  جاتا تیرا مُنہ  آسمان  میں سو البتہ  پھر ینگے جس  قبلہ  کیطرف   توراضی  ہے اور پھر سورہ بقر آیت ۱۴۶ اور اگر تو لاوے کتاب والوں پاس ساری نشانیاں نہ چلینگے تیرے قبلہ پر اور نا تو مانے اُنکا قبلہ اور  نا  اُن میں کوئی مانتا ہے دوسرے کا قبلہ اور پھر سورہ بقر آیت ۱۴۷ اور جنکو ہم نے دی ہے کتاب پہنچانتے ہیں یہ بات جیسا پہچانتے ہیں اپنے بتوں کو فقط  اور پھر سورہ صفات رکوع ۳ میں ابراہیم نے خواب دیکھا کہ اسماعیل  کو قربانی کرتا ہوں چنانچہ اسماعیل کو قربانی  کیا اور سورہ  انبیا رکوع  ۵ میں ابراہیم  نے اپنے باپ کے بتوں کو توڑ ڈالا اور اس قصور  میں ابراہیم کو آگ  میں ڈالا  اور وہ آگ برف ہو گئی وغیرہ فقط اور سورہ توبہ رکوع ۵ میں آزر بت پرست کو یہودی  اﷲ کا بیٹا کہتے ہیں۔

حدیث

تفسیر مدارک اور معراج و کنز سے واضح ہے کہ بیت المعمور ایک مسجد زمرد دیا قوت کی  بی ہوئی آسمان چہارم پر ہے اور وہکعبہ کے مقابل ہے اگر کوئی چیز  اس پر سے گرے تو کعبہ کی چھت پر آتی  اور طوفان موح کے وقت  سے پیشتر یہ مسجد زمین کعبہ  پر تھی طوفان کے وقت آسمان  چہارم پر چلی گئی اور بیت المقدس  ملک  شام میں ایک مسجد ہے اُسکی بُنیاد   داؤد نے ڈالی اور سلیمان نے اُسکوتیار کیا  اوت یہ اکثر  انبیا کا قبلہ تھا  اور حیات  القلوب  میں امام محمد باقر سے منقول ہے کہ بیت المعمور  اﷲ نے آسمان  چہارم  پر فرشتوں کی توبہ کے واسطے بنائی اور کعبہ اﷲ نے اہل زمین کی توبہ کیواسطے  بنایا اور ثعلمی سے روایت ہے کہ سلیمان  ایک مرتبہ کعبہ کیطرف  گئے تو دیکھا کہ اُس میں بہت سے بُت رکھے ہیں تو کعبہ سلیمان  کے سامنے  بہت رویا۔ سلیمان نے دریافت کیا کہ کیوں روتا ہے؟ کعبہ نےکہا کہ اِسیقدر  انبیا گزرے  مگر مجھ میں کسی نے نماز نہیں پڑھی۔ اور کتاب بحار الانوار سے واضح ہے کہ ابراہیم کے باپ نام تارخ تھا اور غلط  بیان کیا گیا ہے اور حیات القلوب میں حضرت صادق  سے منقول ہے کہ اصحاق کو  قربانی کیا تھا اور دوُسری  حدیث سے بگئ واضح ہے کہ اصحاق قربان  ہوا تھا۔ فقط

اب ہم ابراہیم کی پیدایش کا زکر سنو ۔ حسین امام جعفر سے منقول ہے کہ آزر نے نمرود بادشاہ سے کہا کہ ایک لڑکا پیدا ہوگا وہ تیرا دُشمن  ہو گا۔ اسوجہ سے نمرود  نے حکم دیا  کہ کوئی مرد اپنی عورت سے ہمبستر نہ ہو  مگر آزر اُسی روز اپنی  بیوی سے ہمبستر ہوا اور اُسکے ابراہیم پیٹ میں آگیا ۔ پھر آزر کی عورت نے ابراہیم  کو ایک غار میں جا کے جنا اور کپڑے میں لپیٹ کے غار میں بٹھلایا اور ۱۳ برس  ابراہیم غار میں رہا اور جب غار  سے نکلا تو چاند  و سورج و زہرہ  کو خدا سمجھا فقط اور حدیث سے واضح ہے کہ ابراہیم آزر کے گھر میں پیدا ہوا تھا جبکہ آزرنے چاہا کہ نمرود کے پاس لیجاوے  تو اُسکی مانے غار میں پھینکدیا اور ۱۳ برس تک بقدرت  جیتا رہا فقط دوُسری حدیث  یہ ہے کہ  آزر اور اُسکی جو رو نمرود بادشاہ کے ڈر سے بھاگے گئے  تھے راستہ میں ابراہیم پیدا ہو گیا اور اُسیوقت  جوان ہو گیا اور اپنے کپڑے اور لکڑی لیکر چلدیا یا فقط غرضکہ صد تماشہ بازی گروں کے سے لکھے ہیں۔ میں نے بہت سی کتابیں  محمُدی  مزہب کی دیکھی ہیں ہر شخص نے اپنے اپنے طور  پر یہ بیان مختلف لکھا ہے اور قرآن کے خلاف۔

اب یہ کہنا کہ قرآن توریت  کے خلاف بیان کرتا ہے  کچھ ضرورت نہین کیونکہ اور بیانات میں توکہیں کہیں  قرآن  نے توریت سے موافقت کی ہے مگر چونکہ محمد صاحب  ابراہیم کے بیٹے بنے ہیں لہذا ابراہیم کا زکر  تو مطلقاً  توریت کے خلاف  بیان کیا ہے۔ پس ہمکو قرُآن  ہی میں گفتگو کرنا چاہئے  دیکھو قرآن  سے واضح  ہے کہ ابراہیم آزر بُت پرست کا بیٹا تھا  اور کتاب بحار الانوار سے واضح ہے کہ ابراہیم کے باپ کا نام تارخ  تھا  اگرچہ توریت میں ابراہیم کے باپ کا نام تارح ہے۔ روای  صاحب  نے صرف ایک نقطہکا فرق کیا  فقط قرآن سے ظاہر ہے کہ ابراہیم  نے نماز کعبہ میں پرھیتھی اسکے خلاف ثعلمی کہتا ہے کہ کبھی کوئی نبی کعبہ  میں نہیں گیا اور کعبہ میں بت تھے فقط یہ بالکل سچ ہے پھر قرآن  کہتا ہے کہ  کعبہ ابراہیم اور اسمعیٰل  نے تعمیر کیا اُسکے خلاف  تفسیر مدارک  و معراج وکئیر سے واضح  ہے کہ قبل از طوفان نوح کعبہ یعنے مسجد کعبہ  زمین کعبہ پر تھی مگر طوفان کے وقت آسمان چہارم پر چلی گئی اُسکو بیت المعمور کہتے ہیں ۔ قرآن سے معلوم ہوتا ہے کہ محمد نے دین ِ ابراہیم  کا پسند کیا تھا  اِس کا صلہ دیا گیا  ہے کہ ابراہیم کو آزر بُت پرست کا بیٹا قرار دیا اِس کی وجہ یہ ہے کہ محمد کے تمام آباو اجداد  بت پرست تھے  اِ س لئے  واجب ہوا کہ ابراہیم کے باپ کو بھی بُت پرست قرار دیں  تاکہ محمد کا سقم ہٹ جائے دوسری  یہ ہے جملہ  انبیا نسل ابراہیم  سے ہوئے ہیں تو کسی کو یہ اعتراض  نہ رہے  کہ محمد ہی باپ و دادا بُت پرست تھے بلکہ جملہ انبیا کے مورث اعلے یعنے ابراہیم  کا باپ بھی  بُت پرست  تھا فقط  قرآن  سے ثابت ہے کہ اﷲ نے اوّل قبلہ کو سجود گاہ قرار دیا تھا چنانچہ محمدی و نیز  محمد قبلہ کیطرف  سجدہ کرتے تھے جسکی  وجی  بخاری  یہ بیان کرتا ہے کہ قبلہ کو سجدہ  محمد نے صرف  تفریح قلوب یہود کیواسطے کیا تھا  یہ غلط  ہے۔ کیونکہ یہ مضمون  قرآن کے خلاف ہے جسکا زیل میں زکر ہوتا ہے اور جبکہ محمد کو تفریح  قلوب یہود منظور تھی انتہا۔ یہ کہ یہود کی خاطر سے خلاف  کلام  اﷲ قبلہ کو سجدہ کیا تو پھر نبوت کیسے مانی جاتی ہے۔  سورہ بقر آیت ۱۴۴ سے واضح  ہے کہ محمد صاحب  کے خدا نے قبلہ کو سجود گاہ قرار دیا تھا۔ اور سورہ بقر آیت ۱۴۵ سے صاف ظاہر ہے کہ محمد قبلہ سے راضی نہیں تھا  نہیں تھا  اور خلاف  قرآن  کعبہ کو جو اُن  کے آباو اجداد کا موروثی تبخانہ تھا   اُس  کی طرف رجوع تھے اور اول قبلہ کو سجود گاہ قرار دینے کی خاص وجہ یہ تھی کہ بُت پر ستان عرب و نیز  محمد کے  چچا محمد کو کعبہ میں نہیں آنے دیتے تھے۔ اور جبکہ محمدی نماز کے وقت  ازان کہتے تھے تو  کعبہ کے پااجاری ازان کے خلاف سنگھبجاتے تھے چنانچہ مندروںمیں سنگھ  بجانے کی رسم جب سے ہی جاری ہوئی ہے۔ اور جبکہ عرب کو محمد نے بزور شمشیر  فتح  کر لیا تو فوراً  کعبہ کو سجدہ گاہ قرار دیدیا۔  چنانچہ سورہ بقر ۱۴۶ ۔ آیت سے بخوبی ثابت ہوتا ہے کہ کعبہ  صرف  محمدی کا قبلہ تھا۔ دیکھو قرآن کہتا  ہے کہ اہل  کتاب  تیرے قبلہ کو ہر گز  نہیں مانینگے  کیونکہ  ابراہیم  کا  بنایا ہواِ نہیں ہے بلکہ تیرے آباو اجداد کا بتخانہ ہے  اور اہل کتاب اِس امر  کوخوب جانتے ہیں اور قرآن  سے واضح  ہے کہ ابراہیم نے اسمعیٰل کو قربانی کیا اور حیات القلوب میں حضرت صادق  و روضتہ الاحباب و تفسیر بیضاوی اور نیز حدیث سے ظاہری  کہ اصحاق کو قربانی کیا تھا۔  اور یہ امر بھی تمہارے مفسرونکا مسلمہ ہی کہ قبلہ سلیمان کا تعمیر کیا ہواہے اور اُس میں یہودی اور اکثر نصاریٰ بھی جاتے ہیں اور کعبہ میں بجز محمدیوں کے کوئی نہیں جاتا تو کیا اس میں بھی کوئی  تحریف  ہوئی ہے۔  اے محمدی بھائیو قرض  کر لیا جائے کہ یہود  نے توریت  تحریف  ہی کر دی اور یہ ہی وجہ ہے کہ توریت  و قرآن  میں اختلاف  ہے تو پھر تمہاری حدیث و روایات کیوں قرآن کے خلاف ہیں کیا یہاں بھی یہود و نصاریٰ نے تحریف کی ہے۔ اے  پیارو توریت و انجیل  تو تحریف نہیں ہوئی اور نہ ہو سکتی ہیں بلکہ تمہارا قرآن  ہی غلط ہے اور جبکہ اصل  ہی میں  غلطی ہے تو پھر روایات  و حدیث  کیونکر  درست ہو سکتی ہیں۔ اے نصاریٰ بھائیو  دیکھو محّبان دین محمدی  کا ادب کہ کعبہ کی چھت کو ادباً  نہیں  دیکھتے کیونکہ اُسکو ابراہیم نے اینٹ و پتھر سے بنایا ہے اور آسمان  و ستارہ جو خاص خدا نے اپنی قدرت  کاملہ  سے پیدا کئے ہیں اُسکے دیکھنے اُسکے نیچے افعال  بد کرنے میں  زرا بھی تکلف نہیں کرتے اِسکی وجہ یہ ہے کہ آسمان  صانع قدرت نے بنایا ہے اور اُس میں کوئی  بھی نقص نہیں ہے اور کعبہ کی چھت میں تمام بتونکی  تصاویر ہیں اور اُن کو محمد کے آباو اجداد پوجتے تھے لہذللبحاظ بزرگی آباو اجداد محمد  صاحب  کے اُن کو دیکھنا  گناہ ہے اور دیکھو قرآن  کہتا ہے کہ یہودی آزر بت پر ست کو اﷲ کا بیٹا کہتے ہیں۔ حالانکہ توریت میں کہیں آزر کا نام بھی  نہیں ہے۔ پس صریح ظاہر ہے کہ قرآن  جھوٹھا ہے اور کلام اﷲ نہیں بلکہ کلام محمد ہئ اور یہ تو بہت ہی صاف بات ہے کہ محمد سے تقریباً چار  ہزار  برس پیشتر ابراہیم  کا زمانہ  تھا تو اُسوقت تمہارے مورخ کہاں تھے جو تمکو صحیح حالات معلوم ہوتے۔ ظاہر ہے کہ محمد   صاحب  کو یہود ونصاریٰ برہ تمسخر  توریت  و انجیل کے بعض مقام صحیح اور اکثر بنظر  صحت نبوّت محمد غلط  بتلا دیا کرتے تھے اور محمد بیچارے اُمی تھےاُسی بنیاد پر آیات قرآنی  نازل کر لیتے  تھے چنانچہ اُسکا زکر قرآن میں بھی ہے اور نیز حیات القلوب سے بھی واضح ہے کہ اکثر تمہارے امام اور محدث  یہود و نصاریٰ سے دریافت کیا کرتے تھے جیسا وہ بیان کرتے اور کچھ اپنی طرفسے  لا کے کتابوں میں لکھدیتے تھے فقط  اور پھر قرآن  سورہ یونس رکوع ۹ میں یہ لکھا ہے کہ ہم نے  حکم بھیجا موسیٰ کوکہ اپنا گھر قبلہ کیطرف بناٍ  ؤ اور نماز پڑھو فقط۔ اے محباّن دین محمدی دیکھو یہ آیت سورہ بقر  آیت۱۲۵ کے خلاف ہے اُس میں یہ لکھا ہے کہ جب ٹھہرایا ہمنے یہ گھر کعبہ اجتماع کی جگہ  لوگونکی اور پناہ  اور کھڑا رکھو جہاں کھڑا ہوا ابراہیم  نماز کی جگہ فقط اِس آیت سے واضح ہے کہ  ابراہیم  کے زمانہ میں کعبہ عبادت گاہ قرار پایا اور ابراہیم نے اُس میں نمازی پڑھی تھی اور سورہ یونس  سے ظاہر  ہے کہ موُسیٰ کے وقت میں کعبہ نہین تھا اِسلئے موسیٰ کو کہا گیا کہ قبلہ کیطرف  گھر بنا کے نماز پڑھ اور یہ امر تمہارے محدثوں کا مسلمہ ہے کہ قبلہ سلیمان کا بنایا ہوا ہے اور سلیمان صدہا سال بعد موسیٰ کے پیغمبر ہوئے تو اُسوقت  قبلہ کہاں تھا اور جبکہ کعبہ قبل از زمانہ موسیٰ بموجب قرآن موجود تھا تو پھر موسیٰ کو قبلہ کیطرف  گھر بنانے  کاکیوں حکم دیا گیا کیامحمد صاحب کے اﷲ کو یہ یاد نہیں  تھا کہ ابراہیم  کو کعبہ میں نماز وغیرہ   ادا کرنے  کا حکم ہمنے دیا ہے اور قبلہ جسکا موسیٰ کے وقت میں وجود بھی نہیں تھا اُسکی طرف گھر بنا کے نماز پرھنے کا حکم  دیدیا۔ اے پیارے بھائیو یہ تو تمہارے قرآن  کی آیات کا مضمون ہے کیاا سکو بھی یہود و نصاریٰ کی تحریک فرماؤ گے۔

علاوہ ازیں دیکھو  سورہ بقر  ۳۳ میں یہ لکھا ہے کہ جب  باہر ہوا تالوت یعنے ساؤل  فوجیں لیکر کہا اﷲ تجھکو آزماتا ہے ایک نہر سے پھر جسنے پانی پیا اُسکا وہ میرا نہیں اور جسے نہ چکھا وہ میرا ہے مگر جو کوئی باہر لے ایک چلو اپنے ہاتھ سے پھر پی گئے اُسکا پانی وغیرہ  فقط۔ اے برادران  دین محمدی دیکھو توریت یہاں محمد صاحب  نے پھر غلطی  کی ہے یہ زکر جدعون  کا ہے مگر اُس میں بھی اختلاف ہے۔ اﷲنے جدعون کے مددگاروں کی آزمائیش نہر پر کہ تھی اور محمد نے اِزکر کو تالوت کے زکر میں شامل کردیا حالانکہ تاتوت کو کبھی بھی یہ اتفاق  نہیں ہوا تھا  اور  جدعون ساؤل  سے بہت پیشتر گزرا ہے اور جدعون کے بعد آکر رُوت اور روت کے بعد سموئیل اور سموئیل کےآخر زمانہ میں تاتوت یعنی ساؤل تھا۔ 

یہودیوں کی احادیث  اور قرآن

متعلق یوسف

قرآن اور توریت کے بیانات میں  یوسف  کے متعلق اکثرفرق اِس سبب سے نظر آتے ہیں کہمحمد نے یہودیوں  کی کہانیوں سےبہت کچھ نقل کیا ہے زیل میں ہم اُن خاص باتوں  کو درج کرتے ہیں۔  جو کہ محمد نے بعینہ یہودیوں کی احادیث سے نقل کی ہیں ہمکو یقین  ہے کہ  اُن کو دیکھنے سے ناظرین بخوبی پہچان لینگے کہ محمد کہانتک  نقل کرتا تھا  (۱ )  سوز یوسف میں لکھا ہے کہ اگر یوسف اپنے خاندان کا خاص نشان  نہ دیکھتا تو گناہ کرتا   

ولَقَد ھَمّتَ بہ وَھَمّهِ بھاَ لولا اَنَّ ابرُ ھان رَبهّ الخ زیل کی کہانی سے ثابتہوتا ہے کہ یہ نقل کی ہوئی بات ہے۔ کہانی یوں ہے  منقول از ربّی جو چانہ+ دونوں نے گناہ کرنے  کا ارادہ کیا۔ زیخا نے یوسف کے کپڑے کو پکڑ کر  کہا میرے ساتھ ہمبستر ہو۔ یوسف کوکھٹرکی کے قریب   باپ یہ کہتے دکھائی دیا کہ یوسف یوسف  !!! تیرے بھائیوں کے نام  افود کے  پتھروں پر کندہ کئے جائینگے نیز تیرا نام بھی  کیا تو چاہتا ہے   کہ وہ مٹ جاوے۔ دیکھو سوتا۳۶: ۲۔

ایک محمدی مفسر اسی آیت کی تفسیر میں اِسی کہانی کا زکر کرتا ہے۔ ( ۲) سورہ یوسف ۳۰۔ ۳۲ مشہور بیان ہے کہ زلیخا نے مصر کی عورتوں کو ضیافت  میں بُلایا  اور سب کو ایک ایک چھری دی پھر یوسف کو بُلایا اور جب  اُنہوں نے یوسف کو دیکھا متحیرحسن ہو کر اپنے ہاتھ کو کاٹنے لگیں۔ یہ کہانی ایک بہت پرانی  کتاب بنا، جلکوت مڈراش  ۱۴۰ سے بعینہ کی گئی ہے۔  (۳) سورہ یوسف ۲۶۔ ۲۹ لکھا ہے کہ  یوسف کا کپڑا پھاڑا گیا۔ چونکہ پیچھے کی طرفسے  چھٹا  مجرم نہ  گروانا گیا۔ یہ کہانی حرف بحرف  اسی کتاب یعنی جلکوت مڈراش سے نقل کی ہے۔  دیگر  بیانات ہم اسوقت نہیں لکھتے ہیں لیکن اِتنے ہی سے بخوبی  ثابت ہوتا ہے کہ  قرآن کہاں تک پرُانی  کہانیوں کا مجموعہ ہے۔ ہم اِس مضمون سے ایک دو نتیجے  استخراج کرتے ہیں۔ 

اوّل۔ ہمارے حق  و باطل کے مضمون پر جو اِس ہفتہ درج ہوا ہے ۔ ناظرین کی توجہ اسبات پر دلاتے ہیں کہ خود  قرآن ہی میں آیتونکا با  ہم اختلاف  موجود ہے یعنے ایک دفعہ  زلیخا یوسف   کو مجرم ٹھہراتی ہے اور دوسری دفعہ یوسف کو عورتوں میں  بلا کر زبان ِ حال سے اپنا جرم عشق ظاہر کرتی ہے۔ 

دوم۔ قرآن سورہ یوسفمیں یوسف پر ناحق الزام  لگانا ہے۔ جبکہ کہتا ہے کہ  اُسپر شوق  غالب ہوا مگر نشان دیکھکر بازآیا ۔ سچ تویہ ہے کہ خود محمد اور محمدیوں کے لئے جو کہ نہ صرف دنیا میں بلکہ بہشت میں بھی کثرت  شہوت رانی کو  جائز سمجھتے ہیں۔ یہ سمجھنا مشکل ہے کہ بغیر خاص معجزہ کے  یوسف   کسطرح قایم  رہ سکتا تھا۔ ہم بھی اسبات کو تسلیم کرتے ہیں کہ بغیر خدا کے فضل کے انسان ایسے مؤقعہ پر ضابطہ  نہیں رہ سکتا تو بھی ہماری یہ شکایت ہے  کہ یوسف کی اخلاقی کمزوری کو مبالغہ کے ساتھ بیان  کیا ہے۔ البتہ اِس  مبالغہ کا یہ تو برخستہ عذر ہو سکتاہے کہ یہ تمام باتیں بے کم  دست کا یہودیونکی ۔

در زکر یوُسف

توریت

یوسف کے بھائی اُس سے ناخوش  تھے ایک مرتبہ اُس کے بھائی  وادی  سکیم میں  گلہ چراتے تھے یعقوب  نے یوسف سے کہا کہ اپنے بھائیوں کی خبر لا چنانچہ یوسف  گیا تو بھائیوں  کو وہاں نہ پایااور یوسف کو ایک شخص  ملا اُسنے  دریافت کیا کہ  کیا  دیکھنا ہے یوسف نے کہا کہ اپنے بھائیوں کو تلاش کرتا ہوں اُس نے جواب دیا کہ وادی دو تین میں ہیں  جبکہ یوسف  اپنے بھائیوں  کے پاس آیا تو بھائیوں  نے یوسف کو  دیکھ کے  کہا یہ صاحب  خواب آتا ہے اُس کو مار ڈالو  یا کوئے میں ڈالدو اُس کے باپ سے کہدینگے کہ اُسکو درندہ لے گیا ہے۔   چنانچہ یوسف کی بوقلمون قبا اُتاری  اور یوُسف کو کوئیں میں ڈالدیا   اور اُس چاہ میں پانی  نہیں تھا  تھوڑی دیر بعد  دیکھا  کہ اسمعٰیلیوں کا قافلہ گرم مصالحہ اور روغن  ملبان لیکر مصر  کو جاتا ہے یھودا یوسف کے بھائی  نے کہا کہ یوسف  کو بیچ ڈالو چنانچہ بھائیوں نے یوسف کو چاہ سے نکال کے بعیوص  ۲۰؎ اسماعیلیوں کے ہاتھ بیث ڈالا  اور یوسف کی قبا یعقوب کو گھر جا کے  دی اور کہا یوُسف کو بھیڑیا لے گیا ۔ یعقوب نے بہت  گریہ و زاری کی اور اسٰمعیلیوں نے مصر میں جا کے  یوسف کو  فوطیفار  نامی جو فرعون کا ایک امیر تھا اُس کے ہاتھ بیچ ڈالا  اُس نے یوسف کو اپنے گھر کا مختار  کر دیا چونکہ یوسف نہایت خوبصورت  اور نور پیکر  تھا لہذا فوطیفار کی عورت یوسف کو چاہنے لگی ایک روز  یوسف گھر میں  گیا اور اُسوقت وہاں کوئی موجود نہ تھا فوطیفار  کی عورت  نے یوسف  کا پیراہن  پکڑ کے  خواہش  ظاہر کی تو  یوُسفنے اِنکار کیا اور پیراہن چھوڑا کر گھر سے باہر بھاگ گیا۔  جبکہ عورت ناکامیاب  ہوئی تو چلاّ  کے گھر کے آدمیوں سے کہا کہ یوسف نے مجھُ  سے گستاخی کی اور جبکہ میں نے غُل  کیا تو اپنا پیراہن چھوڑا کے بھاگ گیا اور جب اُس کا شوہر گھر میں آیا تو عورت  نے اُس سے یوسف کی شکایت کی۔ پھر اُسکو غُصّہ  آیا اور یوسف کو پکڑ کے شاہی قید خانہ میں بھیجدیا۔ اور پھر یوسف نے فرعون  کے خواب کی تعبیر کی اور اُسکا  مختار  ہو گیا فقط۔  

قرآن 

دیکھو سورہ  یوسف ۱، ۲ رکوع یوسف کےبھائیوں نے  اپنے باپ سےکہا کہ یوسف کو ہمارے ساتھ بھیجدے اُسنے کہامجھ کو ڈر ہے کہ اس کو کوئی درندہ نہ لیجاوےبھائیوں نےکہا کہ اُسکےہم زمہ دار ہیں پھر یوسف کو لیچلے  تو باہم مشورہ کیاکہ یوسف کو کوئیں میں ڈالیں۔  چنانچہ کنوئیں میں ڈالدیا اور شام کو گھر پر آکے کہا کہ یوسف کو بھیڑیا لے گیا اور یوسف کے کرتے میں خون لگا کےیعقوب کو دیا اور ایک قافلہ آیا اُسکے پنسارے نے کوئیںمیں ڈول ڈالا تو یوسف نے ڈول پکڑ لیا پنسارے نے ڈول  کھینچ لیا اور جب یوسف  کو دیکھا تو بہت  خوش ہوا اور کئی پالیوں میں فروخت  کر دیا اور اِسی سورہ ۳ رکوع  مین اور جس شخص نے یوسف کو خریدا تھا مصر میں اپنی عورت سے کہا کہ اسکو آبرو سے  رکھ شایدٔ اُسکو ہم بیٹا بنائیں۔ پھر عورت نے یوسف کو پھُسلایا اور  دروازہ  بند کرکے بولی کہ شتاب شتاب کر  یوسف نےکہا خدا کی پناہ  عزیز  میرا مالک ہےمیں ایسا نہیں کرونگا توعورت  نے دروازہ بند کیا اور پھر دونوں دروازہ کی طرف دوڑے  عورت نی چیر ڈالا اُسکا کرُتہ پیچھے سے اور دروازہ  پر دونوں عورت کے خاوند  سے مل گئے عورت نے کہا  اور کچھ سزا نہیں ایسے شخص کی جو چاہے تیرے  گھر میں برُائی  مگر قید  میں پڑے یوسف نےکہا اس عورت نے خواہش کیتھی ایک شخص  نے عورت کے گھروالوں  میں سے کہا کہ اگر یوسف کا کرُتہ  آگے سے پھٹا ہے تو عورت سچی ہے اور اگر اُسکا  کرُتہ  پیچھے سے پھٹا ہے تو یوسف سچا ہے اور عورت  جھوٹی ہے۔ جب عزیز نے دیکھا کہ یوسف کاکرُتہ پیچھے  سے پھٹا ہے تو عورت سے کہا تو جھوٹی ہے اور یوسف سے کہا کہ تو جانے دے  اور عورت سے کہاکہ تویوسف سے اپناگناہ بخشوا پھر شہر کی عورتوں نے کہا  کہ عزیز   کی عورت اپنے غلام پر مرتی ہے تو پھر عزیز  ی کی عورت  نے سب شہر کو عورتوں کو مجلس میں بُلوایا اور سب سے کے ہاتھوںمیں ایک ایک چُھری دی اور یوسف سے کہا  کہ نکل آ۔  جبکہ یوسف نکلا تو سب عورتوں نے اپنے ہاتھ کاٹ ڈالے۔ پھر عزیز کی  عورت نے کہا کہ یہ وہ ہی ہے جس کا تم نے الزام لگایا کہ غلام نے اُس کی خواہش پوُری نہیں کی اور میں پھر کہتی  ہوں کہ اگر وہ میرا کہنا نہ کریگا تو قید میں پڑیگا۔ پھر یوں یوسف نے قید قبول  کی اور عورت  کا کہنا نہیں کیا۔ اور پھر اُن ہاتھ  کئی  تعریف  عورتوں نے بادشاہ کے سامنے یوسف کی پارسائی کی  تعریف کی اور  عزیز کی عورت نے اپنا قصور تسلیم کیا۔

حدیث

اول شیخ سعدی کہتا ہے۔
زمصرش  بوئے پیراہن شمیدی
چراور چاہ کنعاش نی دیدی

 اور قصص الانبیا میں لکھا ہے کہ  جنگل میں اوّل بھائیوں نے یوسف کو خوب مارا اور پھر ایک چاہ میں جو بیت المقدس کے قریب ہے باندھکر  ڈالدیا  وہ کنوُا ۷۰ گز گہرا تھا۔ تھوڑی دوُد تک رسی لٹکائی  پھر اُسے کا ٹکر  نیچے گرا دیا تو فوراً جبرائیل فرشتہ نے نصف  کنوئیں میں آکے تھام لیا  اور آہستہ آہستہ لیجا کر پتّھر  پر بٹھا دیا اور بہشت سے کھانا پانی  لا کر دیا کرتا تھا۔پھریوسف کا کرُتہ لیکر بھائی گھر پہنُچے اور یعقوب  سے کہا یوسف کو بھیڑیا لے گیا یعقوب نے کہا تم جھوٹے ہو اگر بھیڑیا یوسف کو لیجاتا تو اُسکا کرُتہ  چاک ہوتاا تم نے یوسف کے ساتھ فریب کیا ہے اچھا اُس بھیڑئیے  کو حاضر کو جس نے یوسف کو کھایا ہے  یوسف  کے بھائی جنگل سے ایک بھیڑ یا پکڑ لائے۔ بھیڑیئے نےکہا میں نے یوسف کو نہیں کھایا۔ پیغمبر وں کا بدن جانوروں کو کھانا حرام ہے اور یوسف ایک رات دِن یا تین رات دِن یا ساتھ رات دِن کنوئیں میں رہا۔ اور جبکہ قافلہ  والے یوسف کو مصر میں نے جاتے تھے توراستہ میں یوسف شتر پر سے کود کر اپنی ماں کی قبر پر رونے کو جاتا تھا تو قافلہ والوں نے اُس کو پکڑکر خوب طمانچہ مارے اور مصر میں جا کر عزیز مصر کے ہاتھ یوسف کو فروخت کیا اور اُس کی قیمت  یہ قرار پائی تھی۔  مشرؔفی دس لاکھ۔ شتر نجیؔ ہزار۔ موتؔیوں کے ہار ایکسو۔ روؔپہلے پاندان ہزار۔ شمامہؔ غبرزار۔ خطاؔئی غلام ہزار۔ کافورؔ ہزار من۔ ہتھیؔاروں کے دستہ ہزار ۔روُمی ؔ اطس کی پاشاک ہزار اور بحرالمواج میں لکھا ہے کہ یہ قیمت اور دولت دے کے یوسف مالک پر خفا ہوا اور کہا کہ نبی زادہ  ہوں مجھے فروخت  نہ کر بلکہ مفت عزیز کو بخشدے  مالک نے کہا اچھا میں کچھ نہیں لیتا مگر میرے اولاد نہیں ہے تو دعا کر کہ اولاد ہو۔ چنانچہ یوسف نے دُعا کی تو اُس کی عورت حاملہ ہوئی اور ہر حمل میں دو دو بیٹے پیدا ہوئے  یا اُسکی لونڈیاں  تھیں اُن کے دو دو بیٹے پیدا ہوئے اور پھر زلیخا نے ایک بُت خانہ  بنایا اور بُڑھیا سے جوان موئی اور یوسف کے ساتھ شادی کی۔ اور زلیخا یوسف   کے عشق میں تمام مصر کی گلیوں میں مثل دیوانوں کے پھرتی تھی وغیرہ اور حیات القلوب  میں  بردایت امام حضرت صادق لکھا ے کہ  جسوقت عزیز کی عورت نے یوسف سے حرام کرانا چاہا تو یوسف کو اُسکا باپ یعقوب  اُس مکان میں نظر آیا اور یوسف  سےیہ کہا کہ خبردار زنا مت کرنا۔ الغرض ہزار ہا  قصہ ایسے لکھے ہیں جس کا جی چاہے حیات القلوب اور قصص الانبیا میں    دیکھ لے میں بنظر طوالت اسی پر  ختم کرتا ہوں۔

اے محبان دین محمدی توریت اور قرآن   میں جو اختلاف ہے اُس کو جواب تو یقیناً تم یہ ہی دو گے کہ یہود منے توریت  کو بدل دیا ہے مگر زرا اپنے جی میں انصاف کرو کہ اگر یہود توریت کو بدلتے تو صرف  محمد کے حقمیں جو ہوتا اُسی کو بدلتے یوسف جو صدہا سال پیشتر محمد سے ہوا ہے اور اُس کے بعد موسیٰ و  جدعونؔ  رما روتؔ کا زکر اور پھر سموایل  تالوب یعنے ساؤل و  داؤدو  سلیؔمان و یوحناؔ و مسیحؔ وغیرہ گزرے اور اُس کے بعد محمد صاحب  نے دعویٰ نبوت کیا۔تو اُس وقت یہ قرآن اور یہ مضمون مندرجہ قرآن  کہاں تھا جو توریت میں تحریف ہوتی۔ اور یہ بھی واضح  رہے کہ اسی توریت کو محمد نے اپنے زمانہ میں صدہا مقام پر اپنی قرآن  میں تصدیق کیا ہے جیس کہ اوپر زکر ہو چکاُ ہے تو پھر کب توریت منحرف ہوئی اور اس تحریف کی بحث میں ڈاکڑ وزیر  خان  اور نیز تمہارے علما نے یہ بحث  کیہے کہ تحریف  الفاظ کا بدل ڈالنا  وہ باعتبار  لفظ  ہے یا با عتبار معنے۔ دوسرے یہ کہ وہ عمداً ہویا   سہواً یا معنی الفاظ کو خلاف بیان کرنا وغیرہ۔ اِس مقام پر تو یہ معاملہ نہیں؟  قرآن کا تمام مضمون توریت کے خلاف ہے تو یہاں تحریف کیسی ہے۔ لہذا بحث تحریف تمہاری ہٹ دھرمی ہے کیونکہ تحریف  کا کوئی ثبوت  تمہاری طرفسے  نہین پیش ہوا اب ہم منفس  قرآن کا زکر کرتے ہیں۔ دیکھو ایک مقام  پر  قرآن  سے واضح ہے کہ جب عورت اور یوسف دونوں اُس کے شوہر سے دروازہ پر مل گئے توعورت نے یوسف کی شکایت کی اور  دوسریجگہ اسی قرآن سے واضح ہے کہ عزیز کی عورت نے مصر کی عورتوں کومجلس میں بلایا اور جلسہ عام میں یہ کہا کہ اگر یوسف میری خواہش  پوری نہ کریگا تو قید میں پڑیگا تو اُسوقت عورت کے شوہر کو زرا بھی شرم نہ آئی  اور اپنی بدچلن عورت کی خواہش پر یوسف کو قید کیا اور جسوقت یوسف قید سے بادشاہ کے پاس پُہنچا تو عزیز کی عورت نے اپنا ناپاک  خیال جو یوسف کی طرف تھا ظاہر کیا اس سے کیا غرض تھی اور یہ امر تو مسلمہ ہے کہ تمام عورتیں مصر اور زلیخا کا شوہر  زلیخا کی ناپاک کواہش میں شامل  تھے۔ دوُسرے قرآن میں یہ لکھا ہے کہ عزیز نےاپنی عورت سے کہا کہ یوسف سے اپناگناہ بخشوا تو کیا  مصریوں  میں جو عورت خواہش حرام ظاہرکرے اور اُسکا انشا ہو جائے تو یہ رسم  باطریقہ ہے کہ خاوند  عورت سے کہے تو معافی چاہ۔

محمد صاحب نے  تو قرآن  میں عزیز مصر اور اُس کی جوروی کو زلیل کیا تھا اور یوسف کو صاف رکھا تھا۔ مگر راوی  صاحب  نے یوسف کی بھی خبر لی کہ زلیخا سے بُت کانہ بنوا کراﷲ سے ایسی مدد  دلیوائی کہ زلیخا کو ضعیف سے جوان بنا کے یوُسف سے شادی کرائی۔ تو اے ناظرین اصول دین محمدی پر  غور کرنا چاہئے اور  پھر قرآن اور قصص کا مقابلہ کرنیسے ظاہر ہے کہ قرآنسے روایات  وغیرہ وغیرہ غلط ثابت ہوتے ہیں اور حدیث و روایات سے قرآن کا بطلان ہوتا ہے۔ اور پھر لطف یہ ہے محمدی صاحب دونوں کو سچا جانتے ہیں۔ اب محمدی صاحب فرمائیں کہ توریت اور قرآن میں جو اختلاف ہے اُس کی تو یہ وجہ ہے کہ توریت منحرف ہوگئی لیکن قرآن و حدیث وغیرہ کیوں قرآن کے  خلاف ہین کیا یہاں بھی یہود اور نساریٰ نے  دست اندازی کی ہے اور یہ تو بتلا و کہ جسوقت یوسف عزیز کے مکان میں گیا اور عورت نے اُس پر الزام لگایا تو سوائے عورت اور یوسف کے اور کوئی  اُس مکان میں نہیں تھا ۔ چنانچہ یہ امر تمہارے  قرآن سے بھی چابت ہے تو پھر حضرت صادق کو یہ کیسے معلوم  ہوا کہ یوسف کا باپ یعقوب اُس گھر میں یوسف کو نظر آیا۔ اور عورت نے بُت پر کپڑا  ڈالدیا تھا۔ 


۱. محمدی کہتے ہیں کہ نور محمد سے ایک گوہر بنایا اُس سے زمین و آسمان بنائے۔ ہندو کہتے ہیں انڈے  میں برہما نے پرمیشر کا جپ کیا اور انڈا دو ٹکڑے ہوا۔ نصف سے آسمان  اور نصف سے زمین بنائی گئی۔  اب ناظرین غور فرماویں کہ محمد اور ہنود میں کیا فرق ہے چونکہ تمام عرب بت پرست تھے اس وجہ سے ہنود کے مسئلہ کو محمد پر سادق کرلیا ہے

۲. اے ناظرینجس وقت تمام مخلوقات کو اﷲ نے پیدا کیا تھا تو یہ دو جانور یعنے خوک اور گرُبہ پیدا نہیں ہوئے تھے حسب ضرورت اﷲ نے اُنکوکشتی میں پیدا کیا اور چونکہ محمدی مذہب میں فیل حرام  ہے اور سور اُس سے پیدا کیا گیا لہذا وہ بھی حرام کر دیا گیا اور اعلیٰ ہذا القیاس شیر بھی حرام  ہے تو بلیّ بھی حرام ہوئی مگر حنفی مذہب  بلی کو حلال کہتے ہیں یہ بھی ایک مثلہ ہے

۳. اے ناظرین تفصیل توراوی صاحب نے خوب لکھی مگر دو بات راوی صاحب بھول گئے اوّل یہ کہ عوج کی تاریخ تولید نہیں لکھی گئی دوسرے یہ کہ تعداد قد ک قدیم  کر دی فقط۔اے برادران دین محمدی تمہارے لوی تو ہنود سے بھی بڑھ گئے مگر ہاںایسا ہونا چاہئے کیونکہ محمد کے  آباو اجداد بھی تو وہی بت پرست تھے تو  خلقی بات کیونکر جا سکتی ہے اگر کوئی محمدایضا ہمارا بیان غلط یا مبالغہ تصور کریں تو اپنی کتابیں جنکاہم نے ذکر کیا ہے خود پڑھ لیں۔

۴. غالباً یہ بات ہے کہ فقیر سے توریت سے مطابق معلوم ہوتے ہین حقیقت  براہ راست توریت سے نہیں لئے گئے  ہیں بلکہ بزریعہ تالمود کے اُس سے اخز کئے ہیں۔ بائبل  کے بہت تھوڑے فقرے ہیں جو ٹھیک ٹھیک قرآن  میں اقتباس کئے گئے ہیں۔ اِس سے چابت ہوتا ہے کہ محمد توریت نہیں جانتا تھا لیکن توریت کے بیانات  یہودیوں  کی حدیث یعنے تالمود کے زریعے  سے معلوم کئے۔

Jesus Carrying the Cross

 

Dr. Imad ul-din Lahiz

مسیح کا عالم ارواح میں جانا

عماد الدین لاہز


Rev. Mawlawi Dr.Imad ud-din Lahiz

1830−1900

Jesus Descend into Sheol


Published in Nur-i-Afshan January 15, 1897


یہ بات سب اہل بیبل با اتفاق مانتے ہیں اور واجب ہے کہ سب قبول کریں کہ کوئی ایسی جگہ  ہے جہاں سب آدمیوں  کی روحیں جاتی ہیں اور قیامت تک وہاںمحفوظ  ہیں۔ مسیحی کلیسیا کا شروع سے یہ خیال چلا آتا ہے کہ ہمارے خداوند مسیح کی روح بھی بعد موت اُس جہان میں گئی تھی جس کا   نام عالم  ارواح یا عالم غیب ہے مگر عرصہ چار سو برس سے بعض مسیحی لوگ یوں لکھنے لگے کہ مسیح کی روح وہاں نہیں گئی۔    لیکن ہم  جو چرچ انگلینڈ کے ممبر ہیں ہمارا اعتقاد(بااتفاق  کلیسیاء قدیم اور بعض آیات کلام  آیات  اور کے مطابق یوں ہے کہ ضرور مسیح کی روح وہاں گئی تھی۔ اور کلیسیا   کے پہلے خادم الدین پطرس  رسول کا بھی یہی اعتقاد تھا جو ہمارا اعتقاد ہے کیونکہ اُس نے پنتیکوست کےدن اپنے وعظ میں صاف صاف اسبات کا اظہار کر دیا تھا ( اعمال ۲۔ ۳۱) کہ اُس کی جان عالم ارواح میں چھوڑی نہ گئی نہ اُس کا بدن سڑنے پایا یعنے اُس کی جان جو عالم ارواح میں گئی تھی وہاں ہمیشہ رہنے کے لئے  چھوڑی نہ گئی بلکہ واپس بدن میں آگئی تھی۔ جس لفظ کا ترجمہ  زبور ۱۶۔ ۱۰ میں عالم ارواح یا عالم  ہوتا ہے وہ لفظ شئول ہے اور یونانی  ہے اور یونانی میں ہادیس ترجمہ ہوتا  ہے اور لفظ  شئوُل  جیسے زبور ۱۶۔ ۱۰ میں بھی عالم ارواح آیا ہے ویسے ہی ( ایوب ۲۶: ۶ ، یسعیاہ ۵: ۱۴، ۱۴: ۹)  میں بھی موجود ہے اور ہر کہیں اُس کا ترجمہ پاتال یا اسفل یا ہادیہ بمغے دوزخ کا غار ہوتا ہے اور زکر آتا ہے کہ بعد موت روحیں وہاں جاتی ہیں ظاہر ہے کہ قبروں  میں  صرف مرُدہ بدن جاتے ہیں نہ روحیں اور پطرس نے صاف کہدیا کہ مسیح کی جان شئوُل  میں چھوڑی نہ گئی یعنے وہاں ہو کے واپس آئی۔ اور پولوس رسول نے ( افسی ۴: ۹)  میں کہنا کہ مسیح زمین کے نیچے اُترا  تھا  یعنے اسفل میں جو پاتال ہے لفظ نیچے سے مراد شئُول ہے نہ قبر کیونکہ  قبر میں بدن  دفن ہوتا ہے نہ روح جو حال سب آدمیوں کا موت میں ہوتا ہے وہی مسیح کا بھی ہوا فرق اتنا ہے کہ وہ پاتال کے قبضہ میں نہ رہا۔ تیسرے دن نکل  ( ف) کیا سبب ہے کہ بعض بھائیوں  نے اِس  بچھلے زمانہ میں مسیح کے وہاں جانے کا انکار کرنا شروع کیا ہے جو محض  خلاف  عقل اور نقل کے ہے شاید اِس لئے کہ اِس خیا ل سے رومن کیتھولک نے پر گڑی کا خیال نکالا ہے اِس لئے کہ مسیح کو گویا و عزت  دینا چاہتا ہیں کہ وہ پاتال  میں نہیں گیا۔  عزت تو مسیح کی اِس میں زیادہ ہے کہ وہ گیا لیکن اِسبات پر گور  واجب ہے کہ کیا کوئی آیت کلام میں ایسی ہے جس پر اُن کے اِنکار کی بنا قایم ہوتی ہے یا نہیں۔ ہاں ایک مقام ہے کہ مسیح نے چور سے کہا آج تو میرے ساتھ بہشت میں  ہو گا ۔ پس مسیح بعدموت بہشت میں گہا ہو گا نہ عالم ارواح میں۔  لیکن چور والی  آیت سے یہ  خیال نہیں نکلتا اُس کی مرُاد یہی تھی کہ تو آج  ہی میرے لوگوں میں شمات ہو کے بہشت میں جائیگا کیونکہ چور کی درخواست   یو ں تھی کہ جب کھبی  تو اپنی بادشاہی میں  آوے مجھے یاد کیجیو، اِ س کے جواب میں کہا گیا کہ جب کبھی کا کیا زکر ہے بلکہ  آج  ہی تو بہشت میں ہوگا۔ اور لفظ میرے  ساتھ اُسی معنے سےہے جیسے ہم سے بھی کہا  گیا کہ میں زمانہ کے آخر  تک ہر روز تمھارے  ساتھ ہوں۔ ( متی ۲۸: ۲۹)  اور جیسے ہم بھی مسیح کے ساتھ جی اُٹھکے  آسممانی مکانوں میں بیٹھتے ہیں (۱ فسی۲: ۶ ) پس یہ روحانی  رفاقت  ہے  کہ مسیح  اپنی آلہیٰ شان سے حاضر ناظر  ہوکے اور اپنی  اور روح  میں اپنے  لوگوں کو شامل کر کے اُن کے ساتھ رہتا ہے۔  اِس سے یہ نہیں نکلتا  کہ وہ عالم ارواح  میں نہ گیا بلکہ   بلکہ چعر کت ساتھ میں جا بیٹھا  گویا اُس کی جان بہشت کی بھوکھی پیاسی تھی کہ جلد اُس کو لیا چاہتی ہے اُس نے اپنے لئے بہشت حاصل کرنے کو دُکھ نہیں اُٹھایا بلکہہمارے لئے بہشت کی راہ  کھولنے کو دُکھ اُٹھایا ہے۔ پھر دیکھو ( یوحنا ۲۰۔ ۱۷) کہ اُس نے قبر سے اُٹھ کے مریم مگدلینی سے فرمایا کہ میں ابتک اپنے باپ کے پاس نہیں گیا۔ کوئی پوچھے کہ اے خداومد تو ابتک  کہاں رہا تین دن تیرے گزرے تو کیوں اُسی دن جس دن دفن ہوا جی  نہ اُٹھا تو تو ابتک اپنے باپ کے پاس بھی  نہیں گیا پھر تین دن غایب رہنے کی کیا وجہ ہے کیا چور کے ساتھ بہشت میں بیٹھ  کے باتین کرتا رہا۔ اور کیا چور قیامت اور عدالت سے پہلے  بہشت میں جا پہنچا بلکہ تیری قیامت سے بھی پہلے اب فرمائے کہ مسیح اِن باتوں کا کیا  جواب دیگا۔ میرے گمان میں وہی جواب دیگا جو انجیل  کے کلام  حق سے مترشح ہوتے ہیں وہ کہیگا کہ میں عالم ارواح  میں گیا تھا چنانچہ روح القدس   نے پطرس کی زبان سے تمہیں سُنا  دیا ہے کہ اُس کی روح عالم  ارواح میں چھوڑی نہگئی اور مین نے کود جان چھوڑتے وقت اپنے آخری  لفظوں میں صلیب  پر یوں پکا را تھا ( لوقا ۲۳: ۴۶) کہ اے باپ میں اپنی روح کو تیرے ہاتھوں  میں سونپتا ہوں کیاتم نہ سمجھے کہ یہ درخواست بڑے خطرے میں جنے کے وقت ہوتی ہے نہ بہشت میں جانے کے وقت مجھے عالم ارواح کے ہیبتناک  غار میں اُترنا تھا تب میں نے اپنے باپ کی طاقت اپنی روُح کی حفاظت کے لئے نہ مانگی اور میں گہرے پاتال میں اُتر گیا اور باپ نے میری انسانی روح کو وہاں  بھی خوب ہے سنبہالا۔ پس ثابت ہو گیا کہ اُسے عالم ارواح میں تین دن کچھ  کام کرنا تھا جیسے تین برس اُس نے دنُیا میں کام کیا عہد آدم  سے صلیبی موت تک جو مومنین و غیرہ مر گئے اُن کا حصہ بھی مسیح میں تھا  ہم جسمانی شخصوں کے پاس وہ جسم میں ہو کے آیا مردہ روحوں کے پاس وہ مرُدہ ہو کے روُح میں گیا ہمارے پاس نہایت پست ھالی میں آیا اُن کے پاس بھی رُوح  میں پستہ تک کہ ہاویہ ہے وہ  چلا گیا وہ گنہگاروں کا عوضی تھا اس لئے اُس کو ضرور ہوا کہ گنہگاروں  کے مقام میں جو پاتال ہے جاوےاُس کی نسبت تین لفظ لکھے ہیں ( یسعیاہ ۵۳: ۵)  گھایل ہوا کُچلا گیا اُس پر سیاست ہوئی آدمیوں نے اُسے گھایل  کیا ابلیس نے اُس کو کچلا اور خدا باپ نے اُس پر سیاست کی کیونکہ وہ ہمارے گناہون کا حامل تھا۔ پھر ہم یہ بھی دیکھتے  ہیں کہ جب صلیب پر اُس کی جان بدن سے نکلی موت کی تاثیر دو طرفہ ظاہر ہوئی کہ اِدھر ہیکل کا پردہ پھٹ گیا تاکہ سب  ایماندار  خدا کے گھر میں جائیں اور اُسے دیکھیں۔ اُدھر قبریں  پھٹ گئیں کہ مرُدگان سلف قبروں سے نکلیں۔ تو بھی ایک لاش نہ اُٹھ سکی جبتک کہ وہ  تیسرے دن پہلے  آپ نہ جی اُٹھا تیسرے دن تک قبریں پھٹی پڑی رہیں اس لئے کہ جب مسیح اُٹھ چکے  تب وہ اُٹھیں گی کہ اُس کی موت سے لعنت ہٹ گئی اور اُس کی زندگی سے زندگی آتی ہے۔  ( متی ۲۷: ۵۰ سے ۵۳)  اب کہو کہ یہ وقفہ تین دن کا قبروں کے پھٹنے اور لاشوں کے اُٹھنے کے درمیان کیوں  واقع ہے کیا اس لئے کہ مسیح چور کے ساتھ  بہشت میں گیا ہے یا اس لئے کہ عالم ارواح کے درمیاں  کچھ ضروری کام کر رہا ہے جب ٹوٹے گا تب مومنین کی روحیں شادیانہ بجائیں گی۔

اب ایک اورمقام ہے ( ا پطرس ۳: ۱۸ سے ۲۱)  روح میں  ہو کے اُس نے اُن روحوں کے پاس جو قید تھیں جا کے منادی کی جو آگے  نافرماں بردار تھیں جس وقت کہ خدا کا صبر نوح کے دنوں جب کشتی تیار ہوتی تھی اِنتظار  کرتا رہا۔ کسی نے کہا کہ یہ مقام سمجھنا مشکل  ہے میرے گمان اِس کا سمجھنا کچھ مشکل نہیں ہے۔ اُس کے ظاہری  معنے یہ ہیں کہ اُس  کا بدن تو قبر میں مرُدہ پڑا رہا اور اُس نے اپنی روح میں ہو کے اُن کو منادی کی جو قید تھیں ( یعنے ہادیسی میں تھیں) اور یہ وہ نافرماں بردار روحیں تھیں جنہوں نے نوح کے زمانہ میں نافرمانی کی جب کشتی تیار ہو رہی تھی اور خدا کا صبر منتظر تھا کہ وہ کشتی میں آویں مگر وہ نہ آئیں تھیں صرف آٹھ شخص آئے تھے اور روہی بچے تھے اسی طرح اب ہم بھی مسیحی بپتمسہ سے  جو نیک نیتی سے خدا کو جواب دینا ہے بشے جاتے ہیں مسیح کے جی  اُٹھنے کے سبب سے۔ نوح کی کشتی مسیحی بپتمسہ کی علامت تھی پس رسول کی نصیحت  صرف یہ ہے کہ مسیح پر ایمان لاؤ اور بپتمسہ پاکے  مسیحی کشتی میں سوار ہو جاؤ کہ تم ضرور بچ جاؤ  گے کیونکہ مسیح نے اولین و آخرین کے لئے ایک بار دُکھ اُٹھایا ہے۔ اگر ہم یہ معنے قبول  نہ کریں  اور یوں کہیں کہ مسیھ نے روح القدس میں ہو کے  بعد نوح منادی کی تھی تو ظاہر عبارت پر ظلم ہو گا اور ہم تحریف  معنوں کرنے والے ٹھہرینگے۔ کیونکہ ہمیں لفظ ( جسوقت) کو بلفظ ( منادی)  متعلق کرنا پڑیگا حال آنکہ اُس کا علاقہ  عبارت میں لفظ ( آگے) کے سااتھ ہے اور یہی اُس کا متعلق قریب  ہے متعلق قریب کے چھوڑ کے متعلقِ بعید کی طرف ہم کیوں جائیں۔ پھر لفظ روح سے رعح القدس  مراد کیوں لیں جبکہ اُس کی مرُاد جسم کا زکر موجود ہے تو اُسے مرُدہ جسم کی روح کا بھی زکر ہے روح  القدس کا بیان کچھ بھی زکر نہیں ہے۔  اور یہ جو لکھا ہے کہ روح  میں زندہ  کیا گیا اِس کے معنے یہ ہیں کہ بدن مر گیا اور روح جو زندہ تھی اُس میں ہو کے اُس نے روحوں کو  منُادی کی کیونکہ موت میں صرف بدن مرتا ہے روح  تو کبھی کسی کی نہیں مرتی کہ زندہ کی جائے۔ اور لفظ قید سے مرُاد  شئوُلی قید ہے نہ شیطانی قید جو بعض گنہگار فرشتوں کی نسبت  مرقوم ہے اور اُس سے رہائی ناممکن ہے پس وہ روحیں شئو کی میں تھیں جہاں سب گنہگار رہتے ہیں اور یہ جو لکھا ہے کہ منادی کی معلوم نہیں کہ کیا منادی تھی۔  اور اُس کا نتیجہ کیا نکلا  مگر یہ ہم جانتےہیں کہ مسیح قیدیوں کو چھوڑانے  کے لئے آیا تھا۔ (یسعیاہ ۴۲: ۷، ۶۱: ۱) اور یہ روحانی قیدی  قسم قسم کے ہیں بعض لوگ نجوشی  شیطان کی اطاعت  کرکے اُس کے قیدی ہیں بعض  حیراً قید میں ہیں بعض پھُسلائے ہوئے ہیں اور پولوس نے کہا کہ خدا نے سب کو بے ایمانی کی قید میں چھوڑا ہے تاکہ سب پر رحم  فرماوے( رومی ۱۱: ۳۳) پس ہم خدا کا عام بندوبست سب کو  سنُاتے  ہیں کہ جو کوئی ایمان لاکے اِس دنیا سے جاتا ہے وہی نجات پائیگا۔ تو بھی ہم نہیں جانتے کہ  خدا  جو سب کے دلوں کی جانتا ہے وہ بعض  روحوں کے ساتھ اُن کی باطنی کیفیت کے مناسب  کیا کچھ نہ کریگا ممکن  ہے کہ بعض  روحیں  دوسرے جہان میں کچھ فضل حاصل کریں کیونکہ صاف لکھا ہے کہ اُس نے روحوں میں  جاکے منُادی کی اور یہ کہ مغفرت  کی کسیقدر اُمید آنے والے جہان میں بھی دیکھو ( متی ۱۲: ۳۲، افسی ۱: ۳۱)  اور اِن باتوں کو سنُکے کوئی نہیں کہ سکتا کہ اب میں مسیح پر ایمان  نہیں لاتا  عالم  ارواح  میں جاکے دیکھا جائے گائے کیونکہ  جس نے اِس زندگی میں اپنی زندگی کورّد کیا وہ عالم ارواح میں ضرور محروم رہے گا پطرس کے بیان میں اُن روحوں کا زکر ہے جنہوں  کشتی بنتے ہوئے دیکھی اور نافرمان رہے کیونکہ وہ کشتی کا بھید نہ سمجھے تھے پس مسیح کو نہ پہچاننے والوں کا انساف اور طرح سے ہے اور سن و سمجھ کے نہ ماننے  والوں کا ھال اور ہے ( لوقا ۱۲: ۴۷، ۴۸)  کو پڑہو۔

حاصل کلام آنکہ رسولوں کے عقیدے میں جو لکھا  ہے کہ مسیح عالم ارواح میں جا اُترا  اُس  کا ثبوت ( اعمال ۲: ۳۱،  افس ۴: ۹، اپطرس ۳: ۱۸ سے ۲۱) ہے اور اس کی تائید ( لوقا ۲۳: ۴۶) سے ہے۔  اور رسولوں کے عقیدے کی نسبت یہ کہنا کہ وہ پچھلے  زمانہ کا ہے  رسولوں نے نہیں لکھا ہمارا بیان یوں ہے کہ البتہ بعض لوگ ایسا کہتے ہیں۔  لیکن بشپ بیویرج کی کتاب میں مرقوم ہے کہ بشپ امبر نور ساحب اس عقیدہ کو بہت سراہتے ہین اور اُس کو مفتاح الانوار، وا لظلمات لقب دیتے ہیں۔  اور روفینس ہر سٹ ایک حدیث  سے کہتے ہیں کہ روح القدس کے آنے کے بعد رسولوں نے یہ عقیدہ تالیف کیا تھا تاکہ ایمان  کا پورا بیان لیکے ہر رسول کہیں جائے اور یہ روفینس صاحب  جیروم ساحب کے بڑے دوستوں میں سے ہین ۔ پھر اگسطین  صاحب  کہتے ہیں کہ اس عقیدہ کا ایک ایک فقرہ ایک ایک رسول نے  بولدیا تھا  یوں یہ مرُتب ہوا ہے۔ ان کے سوا اور بہت بزرگ ہیں جو ایسی باتیں اِس عقیدے کی نسبت کہتے ہیں لیکن بعض ہیں جو کہتے ہیں کہ اِس  کی عبارت کا ثبوت رسوُلوں کی طرف سے نہیں ملتا۔ میں کہتا ہوں کہ اگر اس کی عبارت رسولوں سے ہے تو بہت خوب بات ہے اور جو عبارت اُن سے نہیں تو مضامین اِس کی ضرور اُن سے ہیں  کیونکہ عہد جدید میں یہ سب مضمون موجود ہیں۔ اور یاد رہے کہ سورِ اختلافیہ  میں مناسب نہیں ہےکہ ہم کلیسیا قدیم کی رفاقت  کا ہاتھ ڈھیلا چھوڑیں کیونکہ دین کی کونسی بات ہے جس میں لوگوں  کا اختلاف  نہیں ہے اگر ہم اختلافوں  کے درپے ہو کے  دینی باتوں مین سسُت ہوتے جائیں تو شاید کوئی کوئی بات ہمارے ہاتھ میں رہیگی  سارا دین اُڑ جائیگا  یا اور ہی کچھ بن جائیگا جو قدیم عیسائیوں  کا نہ تھا اور یوں ہمسے گّلہ کے نقش قدم چھوٹ جائیںگے واجب ہو کہ دینی معاملات  میں ہم مسیحی گّلہ کے نقشِ قدم پر جائیں دیکھو  کیا لکھا  ہے ( غزل الغزلات ۱: ۸)

Sun Rise

ماریہ قطبی اَور  محمد

راقم ۔۔۔۔ ابو یوسف


Muhammad and His Wife Maria al-Qibtiyya

Abu-Yousaf

Published in Nur-i-Afshan September 25, 1897


یہ کوئی نیا جھگڑا تو نہیں ۔ وہی پرُانی کہانی۔ کہ محمد ماریہ لونڈی  سے ہم بستر ہوا۔ اور خفصہ کی ناراضگی  کی وجہ سے محمد نے اُس کو اپنے لئے قسم کھا کر حرام کیا۔ اور پھر توڑ کر اُس کے ساتھ کارروائی  کی۔

مگر حال میں ایک رسالہ بندہ کی نظر سے گذرا ہے۔ جس میں ایک محمدی نے محمد کو اس الزام سے بری کر دیا ہے۔  خوب کیا۔ شاباش ۔ اب کوئی نہ کہے کہ محمد خفصہ کے گھر ماریہ لونڈی سے ایسا ویسا کرتا تھا۔ صاحب نور افشاں آپ بھی مہربانی سے مشتہر  کر دیں  تاکہ محمد کی تر دامنی سے کوئی داغ تو دور ہو۔ اوع ہمارے محمدی بھائیوں کو کچھ سہارا ملے۔  میں اس محمدی کو مختصر طور پر دو تین باتوں کا جواب دیتا ہوں۔ 

قولہ۔ یہ اعتراض  پادری فانڈر صاحب نے شیعوں کی کتاب حیات  القلوب  سے اخذ کیا ہے۔

قولہ۔ اچھا جناب تو پھر آپ پادریوں کو کیوں گالیاں دیتے ہیں۔ پادری صاحبان جھوٹ تو نہیں کہتے ۔ تمہاری کتابوں میں سورہ تحریم  کی شان نزول میں یہ حدیث ہے۔ آپکے پاس اس کے غلط  ہونے کا کیا ثبوت  ہے۔ آپ لونڈی کی روایت کو کہتے ہیں کہ معتبر  نہیں۔اس لئے کہ محمد کا حال کھُلتا ہے۔ اس کا جھگڑا آپ شیعوں سے کریں۔ جو آپ کے بھائی  ہیں۔ ہمارے ساتھ کوئی جھگڑا نہیں۔ ہم تو آپکی کتابوں کے بموجب یہی کہینگے کہ محمد ماریہ سے ہم بستر ہوا۔ بالغرض محال آپکی بات مان لیں۔ تو کیا ہوا۔ محمد سے اس گناہ کا دہّبہ اُٹھ گیا۔ باقی سب باتیں اس کے متعلق  آپ تسلیم  کرتےہیں۔ صرف ماریہ کے بجائے شہید ہے۔ باقی قسم کھانا اور قسم  توڑنا اور خدا کو اس میں شامل کرنا۔ آپ بھی تسلیم کرتے ہیں۔ آپ اسکی  ہزار تادیل  کریں۔ ہم ایسے خدا اور اُس کے ایسے رسول کو سلام کرتے ہیں۔

پھر کثرت ازدواجی  پر کہتے ہیں کہ جس طرح انبیا سابق  داؤد سلیمان وغیرہ  نے بہت عورتیں کیں۔ محمد نے بھی کیں۔ اس کا جواب  اسی قدر کافی ہے کہ  اُنہوں نے تضانیت  سے ایسا  کیا۔ اور محمد  نے بھی  ایسا کیا۔  علاوہ اس کے معلوم ہو کہ محمد کی کثرت ازداوجی اُس کی نبوت کی مانع نہیں۔ اور نہ ہم ایسا  مانتے ہیں۔ اس سے صرف اُس کی نفسیات  ظاہر ہے۔ جس طرح محمد کو اُس کے خدا نے قرآن  میں چچا۔ پھوپھا۔ ماموں وغیرہ  کی بیٹیاں عنایت کی ہیں۔ مگر انبیاء  سابق نے کبھی ایسا  دعویٰ نہیں کیا ۔ اگر اُنہوں نے کبھی خطا کی تو توبہ  بھی کی۔ مگر یہ تو عربی۔۔۔۔۔۔ تھے۔

قولہ۔ الہامی محاورہ میں عورت کی جوتی  سے تشبیہ دی گئی ہے۔

قولہ۔ نہیں معلوم وہ کونسا الہامی محاورہ ہے۔  اور وہ کونسی  الہامی  کتاب ہے۔ جس میں ایسی ناپاکی اور بے عزتی  اور شرارت کا محاورہ  ہے آپ نے اس کی بابت  گلدستہ شاداب صفحہ ۱۲۱ کا حوالہ  دیا ہے۔ خیر کہیں سے ہو آپ اس کو تسلیم کرتے ہیں۔ میں اس خیال ہی کو نجس  اور ناپاک اور لعین ٹھہراتا ہوں۔ لیکن آپکے قول اور ایمان کے مطابق  اگر سچ  مچ عورت  جوتیاں ہیں۔ تو مہربانی سے فرمائیے کہ عبداﷲ کی عورت آمنہ عبداﷲ کے واسطے جوتی تھی یا نہیں۔ جس کا ظہور محمد ہے۔ پھر محمد کی عورتیں مومنین کی مائیں کہلاتی ہیں۔ مگر چونکہ وہ عورتیں ہیں اس لئے وہ جوتیاں ہیں۔ بعد وفات  محمد کوئی اُن کو نکاح میں نہ لا سکتا تھا۔ اب مومنین  ان کو کیا کریں گے۔ سر پر ماریں گے اور کیا کریں گے۔ کیسی شرم اور بیحیائی کی باتیں ہیں ۔ آپ بھی تواپنے  باپ کی جوتی  سے پیدا ہوئے ہیں شرم ہے۔ ایسے لوگ بھی دین  کی صداقت  کا دعویٰ کرتے ہیں۔ اور محمد یت کو عیسائیت کے مقابلہ میں پیش کرتے ہیں۔ ایسے پلید  خیال عرب میں لیجایئے ۔  ہم تو تمام  بزرگ عورتوں کو اس طرح عزت کرتے ہیں جیسے  ماں کی۔ آپ  جوتیاں سر پر اُٹھائے پھرتے ہیں۔

قولہ ۔ پادری بتائیں کہ ( محمد نے) نے اپنی عمر کے ۴۰ سال تک کیوں دوسری  عورت سے نکاح  نہ کیا۔

قولہ ۔ حضرت آپ بھی اگر کسی مالدار  عورت سے شادی کر کے  مالدار ہو جاویں تب اس کا جواب مل سکتا ہے۔  دو لفظوں میں اس کا جواب یہ ہے کہ  خدیجہؔ کے ڈر سے۔  ورنہ جیوں اُس نے آنکھ بند کی اور حضرت نے  بیوہ۔ کنواری۔ مطلقہ کوئی نہ چھوڑی ۔  حتٰی کہ  متنبیٰ  کی چاہتی کو بھی نہ چھوڑا۔ ع۔ نبازینب  ک جو روزید کے گھر کو  اُجاڑہتی۔

قولہ ۔ ہاں یہ انسان کا اختیار  ہے کہ عبادت آلہی میں فراغت ملنے اور دنیا  کے مخصوں میں زیادہ پھنسے اورمصلحت  کے لحاظ سے ایک ہی پر اکتفا کرے اور صابر  ہو تو ایک بھی  نہ کرے۔

قولہ ۔ آپ کے قول  کے مطابق محمد اِن خوبیوں سے بھی  پیچھے رہگیا۔ وہ صابر نہ تھا۔ نہ اُس کو عبادت  کی پرواہ تھی۔  نفسانی آدمی تھا۔

قولہ ۔ صرف ایک عورت سے شادی  کرنا شازو نادر نہیں بلکہ سب سے زیادہ  تہذیب یا فتہ  مسلمان ملکوں میں  یہ ایک عام قاعدہ ہے۔ 

قولہ ۔ تو آپ کے قول سے زیادہ عورت سے شادی کرنا  بد تہذیبی  ہوئی  اور اس بد تہذیبی کا رواج دینے والا محمد ہوا۔ پس یہی ہمارا  مطلب ہے۔ سب سے تہذیب یا فتہ ملک آپ کے خیال میں کونسا ہے۔ کیا عرب ہے اُس کی تہذیب  تو عالم  پر روشن ہے۔ لڑکی ہے۔ جہاں شاہ عبدلعزیز کی عورتوں سے ۵۳ کشتیاں بھری تھیں ۔  اور جو مسیحیوں کی پاکدامن  عورت  کو ناپاک کرتے ہیں ۔ جہاں ساری دُنیا کی تاریکی اکھٹی ہو رہی ہے ۔  پھر اور کون ملک ہے۔  گیا ہندوستان ۔ آپ مہربان سے کھا تا پیتا رزق بھاگ والا صاحب ثروت ایک  آدمی ( جو  پکا  محمدی ہو) بتا دیویں جس کے گھر میں صرف ایک عورت ہو ۔ دو چار سے کس کے  ہاں کم ہونگی۔ واہ تمہاری  تہذیب ۔

قولہ ۔ تعدادازدواج  کے باعث  مسلمانوں کے ملک پیشہور عورتوں سے بالکل بری ہیں۔  

قولہ ترکی اور عرب کا تو ٹھیک پتہ نہیں جہاں بے شمار قحبہ خانہ پڑے ہیں۔ اور خاص عرب میں یہ حال ہے کہ ایک حاجی  صاحب  نے بیان کیا کہ مکہ میں جس قدر عورت  ہیں سب منکوحہ کسبیاں  ہیں۔ ہر مسافر سے نکاح  کر لیتی ہیں۔ اور صبح کو طلاق ۔ سنُ لیا۔ عرب کی تمام منکوحہ  عورت بھی کسبیاں ہیں۔ وہ حاجی صاحب  کہتے تھے کہ  ایک عورت نے بیان  کیا کہ بیس دفعہ نکاح کر چکی ہوں۔ جبکہ حلال وغیرہ اسلام کی شریعت  ہو۔ تو بس پھر کسبیاں کہاں۔

ہندوستان کا حال دیکھ لو۔ یہ سب ارباب نشاط مراسی  وغیرہ اور بازاری فاحشہ عورت یہ سب مومنات  ہونگی۔ پیشہ درکیوں۔ شرم کی بابت ہے۔ اس طرح  ایک  برُائی  کو چھُپانے کے واسطے  اور دس جھوٹ بے خوف  بولے جاتے ہیں۔ محمد ان الزاموں سے بریت نہیں ہو سکتی۔

Basilica of the Nativity

 

خدا کے تجسم کی ضرورت


The Need for the Incarnation of God

Published in Nur-i-Afshan Feb 26, 1897


’’ خدا  مجّسم نہیں ہوتا کہ وہ محدود ہو جاتاہے‘‘  ’’اُس کو کیا ضرورت ہے کہ مجسّم ہووے اور دُکھ  سہنے اور مصلوب  ہونے کے بغیر گنُاہ  کی معافی نہیں‘‘ ’’ کیا خدا گناہ بخش نہیں سکتا!‘‘ وغیرہ وغیرہ باتیں اور سوالات غیر مسیحیوں کے ساتھ گفتگو اور محبت کرتے وقت مسیحی مبشروں اور اُستادوں نے اکثر سنے ہونگے۔

حقیقت میں یہ باتیں اور سوالات نہایت عمیق اور گور طلب ہیں اور مناسب معلوم ہوتا ہے کہ اِن کی نسبت قدرے تحریر کیا جاوے۔ 

واضح ہو کہ مسیحی لوگ بائبل کو جس میں عہد عتیق اور  عہد جدید شامل ہیں خدا کا کلام مانتے ہین اور بائبل کے سوا اور کسی کتاب کو کلام ِ خدا نہیں  سمجھتے۔ 

بائبل کے اظہار سے ثابت ہے کہ الوہیت واحد ہے مگر الوہیت  واحد مین  اقانیم ثلاثہ  ہیں یعنے باپ اور بیٹا  اور روح قدس۔  یہ خدا مبارک ازلی و ابدی ہے جس کی عبادت اور پرستش آدم سے لیکر زمانہ حال تک تمام سّچے انبیاء اور رُسل اور مقُدّس لوگ کرتے ہیں اور کہ اِس  خدا کے سوا کوئی دوسرا خدا  نہیں  نہ معبود مگر  جو ہیں  سب انسان کی عقل کی ایجاد ہیں۔

یہ بائبل کا خدا پرسَنَل (Personal) خدا ہے یعنے نہ وہ ایک  سنٹرل (Central) طاقت ہے اور نہ بے حِس و حرکت اور نہ بے رنگ و روپ اور نہ بے پرواہ  اور نہ  بے ارادہ  و مرضی جیسا دنیا کے مذاہب  اپنے اپنے الہٰوں اور معبودوں  کی شان میں منسوب کرتے ہیں مثلاً اکثر سننے میں آتا ہے کہ خدامیں نہ رنگ ہے نہ روپ۔ نہ خواہش  ہے  نہ اچھیا ۔ نہ پرداہ ہے نہ مرضی اور نہ اراادہ اور نہ اُس کو دنیا کے انتظام  سے کچھ تعلق  ہے کہ جو کچھ کرنا تھا ایک دفعہ کر دیا  اور بس جس میں حس و حرکت ۔ مرضی و ارادہ۔ اِچھیا و پرواہ نہیں اور جس کا نہ رنگ  ہے نہ روپ اور جو عالم  (Universe) کےانتظام سے بے تعُّلق ہے وہ خود  عدؔم اور نیست ہے ہست اوروجود نہیں ۔

بائبل کا خدا تمام و کمال خوبیوں اور اوصاف  کا سر چشمہ ہے۔  اُس کی تمام صفتیں  کامل  اور بے حد ہیں۔ کامل رحم۔ کامل عدل۔ کامل راستی۔  کامل قدرت۔ کامل قدّوسی۔ کامل غیرت۔ غرض ہر صفت میں کامل ہے اور اُس میں نقص نہیں  اور یہ خوبیاں اور اوصاف  اُس کا رنگ وروپ  ہے وہ حکیمِ مطلق اور کامل مرضی اور کامل ارادہ والا خدا ہے۔ تغیرو تبدل کا اُس میں سایہ بھی نہیں۔ اُسکے سارے ارادے اور کام  خوب  و کامل  ہیںاور اُن کا انجام  اور علّت  غائی  اُس کا جلال ہے بائبل سے ظاہر و ثابت  ہے کہ خدا نے انسان کو زی روح فعل مختاراور نتیجھتاً  اپنے خیال و فعل و قول کازمہ دار اور جواب دہ پیدا کیا۔ انسان اپنی فعل مختاری کے بد استعمال  سے حکم عدول  ہوا اور خطا کا ر ٹھہرا اور اپنی خطا کا سزاوار۔

اب ہم غیر مسیحیوں سے  با ادب سوال کرتے ہیں کہ کیونکر خطا کار انسان قطعی اپنی خطا کی سزا  سے  بری بلکہ بے نقص  ٹھہرایا جاوے اور خدا  اپنی تمام صفات میں کامل اور بجد رہے اور اُس کی صفت خم نہ کھاوے۔  اِس سوال کا تسّلی بخش جواب ہر گز ہر گز نہیں ملتا۔ جوابات جو پیش  کئے جاتے ہیں زیل میں درج ہیں اور بالکل  خاطر خواہ نہیں۔

( ۱) محمد یوں کا جواب ۔ اعمال حسنہ اور محمد صاحب کی شفاعت۔ یہ جواب بالکل اطمینان بخش نہیں ہے کیونکہ کامل اعمال  حسنہ  جو خدا  کو پسند نہیں معدوم  ہیں کہ خراب درخت  کا پھل خراب ہی ہو گا اور  بائبل کے علم سے ہم پر بخوبی روشن ہو گیا ہے کہ گناہ کے سبب انسان کا دل بگڑ گیا ہے اور اُس میں سے برُے خیال برُے اعمال  اور برُے اقوال  برآمد ہوتے ہیں محمد صاحب  کی شفاعت  ایک فرضی  بات ہے کیونکہ  نہ کبھی محمد صاحب نے اِس کادعویٰ کیا  اور نہ یہ  قرآن  میں کہیں مذکور ہے۔ تاہم الغرض  محال اگر تسلیم  کیا  جاوے کہ محمد صاحب نے شفاعت کا دعویٰ کیا اور اُس کا زکر قرآن  میں بھی موجود ہے تو اگر خدا اس شفاعت و سفارش کو قبول کرے اور خطا  کار کو بری اور  بینقص  ٹھہراوے تو خود ملزم ٹھہرتا ہے کہ اُس کی عدالت صدق و قدّوسی پر دہبّہ لگتا ہے۔ پھر اِنسان فقط انسان  کیا طاقت رکھتا ہے کہ دوسرے ایک سان کی بھی شفاعت  کرے کیونکہخود وہ کامل اطاعت اور کامل نیکی کا محتاج ہے اور اگر فرض کیا جاوے کہ محمد صاحب کامل نیک تھے( اور یہ ایک فقط فرضی اور خیالی بات ہی ہے کیونکہ انجیل میں صادق القول گواہ فرماتا ہے کہ کوئی نیک نہیں  مگر ایک یعنے خدا)  تو نتیجہ یہ نکلے گاا کہ اُن کی کامل اطاعت  و نیکی  فقط اُن کے ہی کام آوے کیونکہ خدا ہر ایک  اِنسان سے کامل اطاعت اور کامل نیکی  کا طالب ہے۔ دوسرے کی شفاعت  کرنا ایک محال امر ہے چہ جائے کہ گنہگار انسان دوسرے خطا کار کی  کی شفاعت کرے اور و شفاعت قبول ہو۔ 

(۲)  ہندؤں۔ آریہ۔ برہمو۔ سکھوں۔ جینٔیوں۔ وغیرہ وغیرہ کا جواب فقط ایک ہی ہے یعنے جیس کرنے ویسی  بھرئی اور اِس جواب فقط دل کو مایوسی حاصل ہوتی ہے اور مخلصی  اور برئیت معدوم اور ندار دہی ہے۔

بائبل میں مذکور ہے کہ جو انسان  سے نہ ہو سکا خدا سے ہوا کہ اُس  نے اپنے بیٹے کو جہان میں بھیجا  کہ گناہ  کا کفارہ  اورفدیہ دیوے اور بیٹے  نے پاک انسانیت  کو اختیار  کر کے  اُس بھاری کام کو سر انجام دیا جو کسی اور مخلوق سے نہ ہو سکتا تھا کہ اپنی موت سے خدا اور انسان میں صلح کر دائے  اب جو کوئی خدا کی اِس تجویز کو قبول کرتا اور ایمان  سے بیٹے کے ساتھ پیوند ہو جاتا ہے اور نتیجتاً بیٹے کی زندگی حاصل کر کے روح سے متحرق ہو کر زندگی بسر کرتا ہے جسمانی مزاج آدمی نہین رہتا بلکہ روحانی انسان ہو جاتا ہے اُس کی مخلصی اور نجات اور اُس  کا بہشت یہاں ہی شروع ہو جاتا ہے اور وہ خداوند  یسوع کا چھوٹا بھائی بن کر خدا کے فرزندوں میں داخل ہوتا اور اُس پر روح اقدس کی مہرُ لگ جاتی  ہے اور وہ ابد الآباد  محفوظ رہتا ہے۔ اِس تجویز سے خدا کے عدل کا تقاضا خداوند یسوع نے اپنی موت سے تکمیل  تک پہنچایا اور خدا راست اور پاک  ٹھہرا اور اُس کی رحمت خداوند  یسوع کے وسیلہ اُن پر نازل ہوتی ہے جو اُس کے ساتھ پیوند ہو جاتے ہیں اِس طرح خدا کی تمام صفات کامل اور بے خم رہتی ہیں۔ اِس تجویز کے سوا اور کوئی طریق نجات نظر  نہیں آتاا اور ہمارا اس پر توکل ہے جو چاہے اعمال حسنہ پر فخر کرے اور گنہگار انسان کی شفاعت اور سفارش پر بھروسہ رکھتے ۔ جو چاہے تناسخ کو مانے اور جو چاہے خدا کی صفات کا لحاظ نہ کر کے اور خصوصاً اُس کی عدالت کو نظر انداز کر کے اُس کی رحمت پر تکیہ کرے مگر ہم تو خدا کے کو نظر انداز کر کے اُس کی رحمت پر تکیہ کرے مگر ہم تو خدا کے بیٹے کی موت پر بھروسہ  رکھکر  روح سے زندگی بسر کرنا نجات سمجھتے ہین مگر لوگ اس پر اعتراض پیش کرتے ہیں۔

(۱ ) کیا خدا جو کامل رحم والا خدا ہے گنہگار کو بغیر خداوند یسوع کیموت و کفاّرہ کے معاف کر کے بہشت  میں نہیں لے سکتا؟

جواب۔ مطلق نہیں۔ خدا کی کوئی صفت شکست یا خم نہیں  کھاتی وہ کامل  صفات والا خدا ہے اس میں کوئی نقص نہیں یہ محال مطلق ہے کہ خدا اپنی عدالت و صدق و قدّوسی کو شکست اور خم دیوے اور رحمت کو اجراء۔

(۲ ) بھلا اگر یہ  محال مطلق ہے کہ اپنی کسی صفت کو شکست یا خم دیوے تو کیا بہتر نہ ہوتا کہ کوئی نیک انسان کوئی مہاتما پرش گنہگاروں کے عوض  دُکھ  سہتا اور مارا جاتا اور نہ خداوند یسوع جو خدا کا اکلوتا بیٹا کہتے ہو۔

جواب۔ یہ بھی ہر گز نہیں ہو سکتا۔ کوئی نیک نہیں مگر ایک  یعنے ایک خدا۔ آدم سے لیکر قیامت تک ایک ایک بھی انسان نظر نہ آویگا جو بے گناہ اور بے نقص پایا جاوے سب نے حکم عدولی کی ہر کسی نے کم  کسی نے زیادہ سب خدا  کے قہر و غضب  کے تحت ہیں۔ سب شفاعت کے محتاج ہین چہ جائے کہ کوئی اُن میں سے کسی دوسرے کی شفاعت کرے۔

(۳ ) اگر یہ حال ہے کہ ایک بھی کامل نیک نہیں تو کیا بہتر نہ ہوتا  کہ خدا کسی نئے انسان کو جو آدم کی نسل سے نہ ہوتا برپا کر کے اِس اشدبھاری اوع ضروری مطلب  کے سر انجام کے لئے مقرر کرتا اور وہ دُکھ پاتا اور ماراجاتا اور خدا کا بیٹا نہ مرتا۔

جواب۔ یہ بھی ممکن نہیں ۔ کیونکہ ایسا نیا انسان جو آدم کی نسل سے نہہوتا اگر فرج کر لیا جاوے کہ گناہ سے مبّرہ اور پاک اور بے نقص رہتا اور کامل نیک ہوتا جیسا کہ  خود آدمتھا پیشتر اُس کے کہ اس نے حکم عدولی کی تو نتیجہ صرف یہ نکلیگا کہ انسان کہ وہ فقط انسان ہی ہے کامل نیکی اور کامل فرمانبرداری  اک زمہ دار اور جواب دہ ہے اس کی کامل نیکی اور کامل فرمانبرداری  اس ہی کے کام آتی اور بس کیونکر خدا انسان سے کامل نیکی اور کامل فرمانبرداری  طلب کرتا ہے۔

( ۴) ہمارا دل قبول نہیں کرتا کہ خدا کا بیٹا دُکھ پاوے اور مارا جاوے۔ کیا خدا کسی فرشتہ کو کہ فرشتہ  تو گناہ سے پاک ہے دنیا میں بھیجکر اِس اہم کام کو سر انجام  نہین دے سکتا تھا؟

جواب۔ یہ بھی محال مطلق  ہے۔ کیونکر فرشتہ اگرچہ بے گناہ  تو ہے اور نتیجتاً خدا کی خوشی اور آرام  میں شریک ہے کہ اُس نے حکم عدول نہیں کیا مگر پھر بھی مخلوق اور بندہ اور اور کامل نیکی اور کامل فرمانبرداری  کا زمہ داری اور جوابدہ ہے اور  خدا اُس سے بھی کامل نیکی اور کامل فرمانبرداری طلب کرتا ہے اُس کی اطاعت اُس ہی کے لئے بس و کافی  ہے چہ جائے کہ دوسرے کی شفاعت و وکالت کرے۔ علاوہ اِس کے فرشتہ کی اصل و نسل اور ہے اور گنہگار انسان کی جو شفاعت کا محتاج  ہے اور ہے۔ فرشتہ مخلوق ہے اور نتیتجاً محدود اور نجات کا کام غیر محدود کام کو کیونکر پورا کرے دہنے ہاتھ پر بٹھایا اور اُس کو ایسا نام اور عزّت بخشی کہ  ہر ایک کیا  آسمان پر کیا زمین پر یا زمین کے نیچے یسوع کے نام پر گھٹنہ ٹیکے اور ہر ایک زبان اقرار کرے کہ یسوع خداوند ہے تاکہ خدا باپ کا جلال ظاہر کرے۔ گناہ خلقت میں ایک ایسی برُی  شےُ  ہے کہ خدا اُس کی کبھی ہر گز ہر گز برداشت نہیں کر سکتا اور علاج اُس کا اور رفع کرنا  اُس کا فقط خدا کے بیٹے سے ہوا۔ خدا مجسم ہوا اور گنہگاروں کے بدلے کفاّرہ اور فدیہ میں مصلوب ہوا۔ اے گنہگار کیا تو پھر بھی سنگ دل رہے گا تیرا خون تیری گردن پر خدا نے ہو سکتا تھا کیا اگر تو ہلاک  ہو جاوے تو تیرا ہی قصور ہے  تو دوزخ میں بھیپکار پکار کر کہیگا کہ خدا اپنی تمام صفات میں کامل اور خوب ہے۔ 

Palm Tree Fruit

محمدُئیوں کے نا پائیدار خیالات

راقم۔۔۔۔۔ کمترین سعید الدین۔


The Ideas of Mohammed are not Sustainable

Syed-u-Din

Published in Nur-i-Afshan Sep 26, 1897


تھوڑے دن کا زکر ہے کہ جب میں بازار کو جا رہا تھا۔ ناگہاں ایک شخص کسی گاؤں کے رہینوالا جس سے میری واقفیت تو چنداں  نہیں تھی۔ملا اور اُس نے مجھے بڑی  محّبت سے بلایا۔ اور کچھ گفتگو کےبعد مجھسے پوچھا کہ میں نے  سُنا ہے کہ  آپنے سادات کے نام کو ڈبا دیا یعنے عیسائی  ہوگئے۔ مینے جواب دیا کہ ہاں بھائی یہ سچ ہے کہ مینے عیسائی دین کو بڑی  سے قبول کر لیا ہے۔ کیونکہ نجات خدا وند مسیح سے ہے۔ اور کسی سے مطلقاً نہیں ہو سکتی  ہے۔  یہ سنکر بولا  کہ افسوس کی بات ہے آپ نے دراصل  بہت  ہی نامناسب کا م کیا ۔ کہ حضرت محمد صاحب  کی آل و اولاد  میں سے ہو کر پھر آخحضرت  کو گویا ردّ  کر دیا۔ مگر آپ یہ سمجھ رکھیں کہ دن قیامت کے آپکا منُہ سیاہ ہو گا اور ابدی سزا کے وارث ہوگے۔ کیونکہ جب عیسیٰ کو صلیب دینے لگے تو خدائے  واحد کی قدرت  کا ملہ سے عیسیٰ کو آسمان پر اُٹھایا  گیا۔ اور عیسیٰ کی عوض  اُسی شکل  کا آدمی مصلوب ہوا۔ اور شیطان سے اہل نصاریٰ کے لئے کل نصیحتیں  جو آجکل اُس دین کی بنیاد ہیں ایجاد  ہوئیں ۔ بھلا یہ ہو سکتا ہے کہ عیسیٰ خدا کا بیٹا ہووے اور وہ گنہگاروں کے لئے قربان ہووے۔ خدا کو بیٹوں کی کچھ ضرورت نہیں  وہ خود خُدا ہے۔  اور عالم الغیب خدا ہے۔ یہ بڑا بھارا شرک ہے کہ عیسائی  لوگ خدا کی واحد و پاک  ذات کو جو لاشریک ہے۔  دھّبا لگاتے ہیں۔ میں سچ کہتا ہوں کہ جب عیسائی لوگ خدا کو ایسا دھّبہ  لگاتے ہیں تو عیسیٰ کو آسمان میں بڑی شرم آتی  ہو گی۔ اور توبہ کر کے حضور  میں کلمۂ استغفار  کا پڑہتا ہوگا۔ اور نہ آجکل اور نہ اس سے پہلے کوئی عیسائیوں میں سے بزرگ  ہو کر مرا ہے۔ کہ جس کی خانقاہ پر خلق اﷲ اُس بزرگ کے زریعہ سے اپنی رفع حاجات  کے واسطے آویں۔ اور فیض پاویں۔ چنانچہ ایسے بزرگ دین محمدی میں ہیں کہ جو صدہا  سال سے اِس جہان فانی سے رحلت کر گئے۔ الا ان کی خانقاہیں آجتک موجود ہیں۔ اور خلق خدا اُن کی خانقوہوں پر جاتی  اور اِن کی رفع حاجات  ہوتیں۔ اور اِگر کوئی اُن بزرگوں کی کانقاہ پر جاوے۔ اور کسی قسم کی بے عزتی کرے تو اُس کو سزا ہوتی۔ اور یہ بھی آپ  سمجھ لیویں کہ محمد صاحب اور خدائے واحد میں کچھ فرق نہیں ہو۔ چنانچہ ایک دفعہ کا زکر ہے کہ جب وحی آخحضرت کے پاس کچھ پیغام آلہی لے کر آیا تو اُس وقت حضرت محمد دستار مبارک باندہ رہے تھے۔ اِس موقعہ پر حضرت نےجبرائیل فرشتہ سے پوچھا کہ جو  احکام  آپ میرے واسطے  لاتےخدا کی حضور سے کس طرح ملتے۔  اُس نے جواب دیا کہ میںایک نور چادر کے باہر بلایا  جاتا ہوں اور جوحکم مجھے ملتا ہے میں آپ کے پاس لاتا ہوں تب حضرت نے کہا کہ آج آپ نے ضرور اُس پردہ کے اندر جانا۔ فرشتہ نی یہ مصرع پڑہکر کہ  ( اگر ایک سرِموئے برتر پرم۔ فروغ تجّلیبسوز د پرم) کہاکہ میری کیا مجال کہ ایک بال سر کے موافق   آگے جاؤں۔ مگر حضرت نے فرشتہ کو برملا پردہ کے اندر جانے کا حکم دیا۔  سو جب وہ مجبور ہوا، تو وہ اُس دن پردہ  کے اندر گیا۔ کیا دیکھتا ہے کہ حضرت وہاں بھی دستیاب مبارک باندہ رہے تھے۔ سو فرشتہ ہکاّ بکاّ رہگیا۔ اورکہنے لھا کہ سبحان اﷲ سچ ہے کہ حضرت سب جگہ آپکا ہی نور و ظہور ہے۔ تب حضرت نے کہا کہ سچ ہے کہ اول   ماخلقﷲ نوری یعنےسب سے پہلے ہمارا ہی نور تھا۔ اور پھر خدا نے  آخحضرت  کے حق میں صاف  فرمایا ہے کہ    لولاک لما خلقت الافلاک (یعنے اے محمد اگر میں ناپیدا کرتا تمکو تو نہ پیدا کرتا زمین و آسمان کو)

اور سنُئے کہ حضرت نے جب وفات پائی تو اصحابوں سے ایک اُس وقت  موجود نہ تھا۔ اُس کی کاطر لاش کو امانتاً زمین میں گاڈ دیا جب وہ اصحاب آیا۔ اور لاش  نکالی گئی۔ تو حضرت کے ہونٹھ  مبارک ہلتے ہوئے پائے تب سب نے غور کیا۔ کہ ہونٹھ کیوں ہلتے ہین اور کیا الفاظ  نکلتے ہیں جب اصحابوں نے غور کیا۔ تو لفظ  امتؔی۔ امتؔی نکل رہا تھا۔ جس کا ترجمہ یہ ہے کہ  ( اے خدا اے خدا  میری اُمت کو بخش) اور یہ کلمہ  تارو ز قیامت حضرت کی زبان سے جاری رہے گا۔  سو آپنے بڑی غلطی کری۔ کہ ایسے حضرت کو چگوڑ کر عیسیٰ کے پیچھے ہو لئے۔ اور خصوصاً گڑھے میں گر گئے۔  آّپ جلدی توبہ کریں غرض  اُس شخص نے برا طول و طویل قصہّ کیا۔ اور اِس اثناء میں بہت آدمی جمع ہو گئے۔ اور میری کوئی نہیں سنُتا تھا۔ جب یہ آدمی تھک گیا۔ تو مینے کہا کہ بھائیو اب اگر  کہو تو میں کچھ عرض  کروں ۔ تب ایک نے کہا کہ اچھا کہو اور وہ خود ہی اگر کوئی کچھ میری بات چیت  میں بولتا  تھا تو کہتا تھا   کہ سن  زرا چپ  رہو اس کی بھی سن لو۔ اُس دقت مینے اُن سے کہا کہ جو محمد صاحب کی بابت آپنے زکر کیا یہ کہاں لکھا ہے زرا مجھے بتلادیں۔ کیونکہ قرآن میں ایسا زکر کہیں نہیں ہے۔ حالانکہ قرآن اہل اسلام کے لئے ایک بھاری بنیاد ہے اور اس پر سارا اس دین والوں کا دارو مدار ہے۔  اور خاص کر قرآن میں لکھا ہے کہ جب خدا نے حضرت کو گنہگار دیکھا تو  سورہ مومن میں اگر آپ دیکھیں تو ساف لکھا  ہے کہ  فاصبروانُ عدﷲ حق واستغفرالزنبک وبسیح بحمد ربک بالعشی والربکار یعنی اے محمد تو صبر کر کہ وعدہ  سچا ہے اور اپنے گناہوں وے معافی مانگ اور صبح و  شام  خدا کا شکر کر۔ پس اس سے معلوم ہوتا ہےکہ جب محمد  کو خدانے گناہوں میں غلطاں و پیچان دیکھا تو فرمایا کہ بس اب صبر  کرو اور میرا وعدہ سچ کر مان کہ میں گنہگاروں سے نفرت کرتو ہوں اور ضرور تو مجھسے معافی  مانگ۔ اور میرے رحم کےلئے  کہ میں تجھے ایسی ناپاکی کی حالت  میں دیکھکر حکم دیتا ہوں  کہ اب  صبر  کر اور معافی  مانگ شکر کر۔ کہ میں نے بجائے  دینے سزا کے تمہیں معافی دینی مناسب  سمجھی سو سچ ہے کہ وہ رحیم  خدا کسی گنہگار  کی حلاکت  نہیں چاہتا  جیسا کہ اِنجیل  متی کے ۱۱: ۲۸ آیت میں ہے کہ خداوند مسیح خود فرماتا ہے ( اے تم لوگو جو تھکے  اور بڑے بوجھ سے دبے ہو سب میرے پاس آؤ کہ میں تمہیں  آرام  دونگا) سو اے بھائیو خداوند مسیح گنہگاروں کیواسطے اس جہان میں انسان بنکے آیا۔  اور ہزاروں طرح کے دُکھ  اور تکلیف اُٹھا کر  آخر کار مصلوب ہوا۔ اور وہ گنہگاروں کو اپنے پاس بڑی محّبت سے بولاتا ہے اور سب پیغمبر  کہتے ہیں کہ خدا کے پاس جاؤ پر مسیح فرماتا ہے کہ میرے پاس آؤ۔ اس لئے کہ وہ خدا ہے۔  اور پھر خداوند  مسیح فرماتا ہے کہ ( میں تمہیں آرام دونگا) اور اور پیغمبر  لوگ کہتے ہیں کہ آؤ  ہم تمہیں بتلاویں گے کہ کہاں سے آرام مل سکتا ہے۔  الا اس پر خدا وند مسیح فرماتا ہے کہ  ( آؤ میں تمہیں آرام  دونگا)۔

اب آپ زرا غور فرماویں کہ یہ کس کی آواز ہے  آیا خدا کی ہے یا کسی مخلوق کی۔ میرے بھائیو ایسی بات کبھی کسی مخلوق نے نہیں کہی۔ کہ تھکی ماندہ روح کو میں آرام  دونگا۔  اور نیز کسی مخلوق کو ایسی بات کہنی صریحاً کفر ہے۔  مگر صرف خدا کو جائیز ہے جو سب پر قادر ہے اور سب پر اختیار  رکھتا ہے۔  سو خداوند مسیح خود خدا ہے اور وہ فرماتا ہے۔ اور سچ ہے کہ ہر ایک قسم کا دُکھ  و تکلیف وغیرہ خدا سے دوری میں ہیں  اور سارا آرام  و خوشی و سکھ خدا کی نزدیکی  میں ہے۔  پس اگر کوئی آدمی  نجات چاہے تو  جو طریقہ خدا  نے مقرر کردیا  ہے اُسی طریقہ سے لے سکتا ہے اور مقررہ طریقہ ضرور آرام ملے گا۔ اور معرفت کے اسرار رکھیں  گے۔ اور خداوند مسیح تمام گنہگاروں کے لئے صلیبی موت سے مرا ہے۔ اور محمد صاحب کو جس  حالت میں خدا معافی مانگنے کے واسطے فرماتا ہے نجات کے لئے کیا اُمید کیجاسکتی ہے۔ اور اُنکی پیروی کرنی بالکل نادانی ہے۔

میرے بھائیو کہیں قرآن میں ایسی آیت نہیں ملتی کہ جس سے گنہگاروں کے لئے تسلّی حاصل ہووے آپنے جیسا قصّہ  مجھے سنُا یا وہ قرآن میں  کہیں  نہیں ہے۔  اس لئے میں جانتا ہوں کہ یہ آپکے لچرو لوچ خیالات ہیں۔ خدا کا شکر آپ لوگوں کے دل کی آنکھیں کھولے اور آپ لوگ خداوند مسیح کے پاس  آؤ  اور خدا تعالیٰ کے حضور پکار کر کہو کہ اے ہمارے باپ آسمانی ہم گنہگاروں پر خداوند  مسیح کی خاطر سے رحم کر۔ اس کے بعد ناراض ہو کر لاحول لاحول  کہتے ہوئے چلے گئے۔ سو سوائے افسوس کے ایسے خیالات کو اگر نابائیدار  نہ سمجھا جاوے تو اور کیا سمجھا جاوے۔

Caesarea Aqueduct

 

Dr. Imad ul-din Lahiz

تہمت لگانا گناہ  ہے۔

علامہ جی ایل ٹھاکر داس

از گوجرانوالہ


Rev. G. L. Thakur Das

Slander is a Sin

Published in Nur-i-Afshan May 08, 1896


کسی کی بد گوئی کرنا کلام اﷲ کی رو سے  گناہ ہے اور سزا کے لایق ہے ۔ شاید ہی کوئی سوسائٹی اس عیب سے خالی ہوگی۔عالموں اور جاہلوں  میں ۔ غریبوں اور امیروں میں۔ خلوت میں اور پبلک  میں  عبادت اور ضیافت  میں اُس کے مرُید ہوتے ہیں۔ اس عیب سے  نہ دنّیا خالی ہے نہ کلیسیا اور یہی زیادہ  افسوس کی بات ہے۔  اس مکروہ اور مضّر عادت کا سبب یہ ہے کہ انسان کی موجودہ فطرت میں ایسے اُصول  ہیں جو اُس کو اِس  گناہ کی طرف مایل کرتے اور ہمیشہ کریں گے اگر ضبط نہ کئے جاویں۔ چنانچہ دنیاوی اور نفسانی چیزوں کی  حرصؔ۔غصُہؔ۔ رشؔک۔ اور کینؔہ  اور خودغرضیؔ  وہ باتیں  ہیں جو اِس گناہ کی طرف زور کے ساتھ مایل کرنے والی ہیں۔ پس تہمت لگانا وہ حیلی بازی ہے جس  کے زریعہ  لالچی اور کینہ وار بد امل  اور بیہودہ لوگ کوشش کرتے ہیں  کہ اپنے ہمسایہ کو گرادیں اور اپنے آپ کو بڑھاویں یعنے دولؔت  میں عزؔت میں مرتبہؔ اور اختیار ؔ ہیں۔  اس لئے خدا کے کلام میں تہمت لگانا منع کیا گیا ہے  اور اُس  کی ہر قسم  کو بُرا کہا گیا ہے اور سزا کے لایق قرار دیا گیا ہے۔ چنانچہ

(۱ ) عوام کو ہدایت ہے کہ ’’ تو کسی کی جھوٹھی  خبر مت اُڑا‘‘۔  (خروج ۲۳:۱)

(۲ ) چھپکے  تہمت لگانے کی یوں  ممانعت ہوئی ہے کہ ’’وہ جو چھپکے اپنے ہمسایہ پر تہمت لگاتا ہے میں اُسے  جان سے مارونگا‘‘۔  (زبور ۱۰۱: ۵)

( ۳) بد گوئی سننے والوں کی بابت یہ لکھا ہے کہ ’’ بہ کردار  آدمی جھوٹھے  لبوں کی سنُتا ہے اور دروغ گو کجرو زبان کا شنوا ہوتا ہے۔‘‘ ( امثال ۱۷: ۴)

( ۴) دینکے ہادیوں کو حکم  ہے کہ لوگوں کو یاد دلاویں کہ’’ کسی کے حق  میں برُا نہ کہیں‘‘۔  ( طیطس۳: ۲)

(۵ ) لتُرا بننا منع کیا گیا ہے ’’ جہاں لتُرا نہیں وہا ں جھگڑا رفع ہوتا ہے۔ ‘‘ (امثال ۲۶: ۲۰)

( ۶)’’ عیب نہ لگاؤ‘‘ ’’اے بھائیو  تم آپس میں ایک دوسرے کی بد گوئی نہ کرو‘‘  (متی۷: ۱۔ یعقوب  ۴: ۱۱)

( ۷) کسی محکمہ میں کسی پر الزام لگانے سے پہلے خلوتی طریق عمل میں لانیکی ہدایت  ہے جیسا کہ متی ۱۸: ۱۵ میں مامور ہے کہ ’’ اگر تیرا بھائی تیرا گناہ کرے جا اور اُسے اکیلے میں سمجھا‘‘۔ ’’ اگر توبہ کرے اُسے معاف کر‘‘ ( لوقا ۱۷: ۳) اس حکم کی تقلید پر قواعد انتظام ؔ کلیسیاؔ کے تیسرے حصّے  کے تیسرے باب میں تاکید  کی گئی ہے کہ پہلے ہدایت بالا کے موافق عمل کرے ورنہ وہ مدعی  نہیں بن سکتا۔

یاد رہے کہ اس  ساری کائنات میں صرف ایک قسم کے لوگ مستثنا ہیں۔  مگر وہ بھی اس لئے مستثنا نہیں ہیں کہ عیب جوئی اور بد گوئی  کیا کریں  اور بس صرف  دوسروں کو بدنام کیا کریں۔ نہیں لیکن اگر کوئی شخص صاحب  اختیار ہو یا نیک دل اور خدا کے فضل ست بھرا ہو ا اور ناجائیز غصّہ  یا بدخواہی یا خود غرضی  یا عداوت کا اُس پر شک نہ ہو سکے  ( ہر ایک اپنے تئیں جانچے کہ وہ ایسا ہے یا نہیں)  تو ایسےشخص علانیہ یا کسی محکمہ میں یا خلوت  میں خطاکار کو اُسکی خطا سے آگاہ کریں۔  ملامت کریں تاکہ اُسے سُدھاریں  اور اوروں  کو خوف  دلاویں۔ ( ۱ تمط ۵: ۲۰)  قدیم زمانہ میں خدا تعالیٰ کے نبی اور مسیح  کے زمانہ میں یوحنا بپتمسہ دینے والا اور خداوند  مسیح کود بھیایسا کرتے تھے اور اپنے پاکدل  کے غصّہ  سے لوگوں کو ملامت کرتے تھے۔ ایسا اب بھی ہو سکتا ہے۔ مگر چونکہ اس اعتدال  سے بڑھ  جانے کا اندیشہ ہے اس لئے  بڑی ہوشیاری درکار ہے۔ اور کسی طرح  جائیز نہیں  ہو سکتا  کہ مزکورہ جایز صورت کو ہم اپنے  دل کے کمینے  اور کینہ ور ارادوں  کو پورا کرنے کا پردہ بناویں۔ اور چونکہ غمازی یا غیبت کی کئی ایک قسمیں ہیں اور اُس  کو عمل میں لانے کے کئی طریق ہیں اور اُن سب سے واقف  ہونا ضروری ہے تاکہ اس بھاری گناہ کے ہر پہلو سےبچے رہیں جو برادرانہ  محبّت اور صلح  کا دشمن  ہے اور جدایاں اور جھگڑے جنتا ہے جیسا سُلیمان کہتا ہے کہ  ’’جہاں لتُرا نہیں وہاں جھگڑا رفع ہوتا ہے‘‘  ( امثال ۲۶: ۲۰ اور ۱۶ : ۲۸)  اس لئے  حتی المقدور غیبت کے ہر پہلو کی تفصیل کرتا ہوں۔ اور جیسی تعلیم میں ایک م حوم  مسیحی فاضل  سے اس امر میں پائی ہے وہ اوروں  کو سکھلاتا ہوں۔

اوّل ۔ غماّزی یاغیبت  کیا ہے؟  کینہؔ یا برُی نیتؔ  یا بے پرواؔئی  یا بیہودہ  ؔ پن  سے اپنے ہمسایئ کے حق میں جھوٹھی یا جھوٹھہ کے برابر بات کہنا تاکہ اُس  کی نیک نامی اور رعافیت  میں نقصان آوے اُس کو تہمت کہتے ہیں۔ اُس کی سب قسمیں مختلف  الفاظ میں بیان کی گئی ہیں۔ یعنے جھوٹھیؔ گواہی دینا  ( خروج ۲۰: ۱۶) جھوٹھا الزام  لگانا ( زبور ۳۵: ۱۱)  لعن طعؔن  کرنا ( مانہ یہودا آیت ۹)  دغابازؔی ( لوقا ۱۹: ۸۔ ۳ : ۱۴)  عیبؔ جوئی یا لتُراپن  ( احبار ۶۹: ۱۶۔ امثال ۲۶: ۲)  کاناؔپھوسی  ( امثال ۱۶: ۲۸۔  ۲قر ۱۲: ۲۰) چغل خوؔری  ( زبور ۱۵: ۳۔ روم ۱: ۳۰) ۔

دوم۔ چونکہ تہمت ہر حال  میں تہمت ہے اور اُسکے مختلف وجوں یا قسموں کے سبب سے ممکن ہے کہ لوگ گمان کریں کہ ہم صرف  باتیں کرتے ہیں حالانکہ دراصل  تہمت لگا رہے ہیں۔ اس لئے اُس کی مختلف  صورتیں بیان کرتا ہوں جن کا تہمت لگانے والوں کو ضرور خیال رکھنا چاہئے۔ چنانچہ

( ۱) ایک قسم تہمت  کی وہ  ہے جو دس (۱۰)  حکموں میں منع کی گئی ہے۔  یعنے تو اپنے پڑوسی پر جھوٹھی  گواہی مت دے۔ یعنے اُس پر ایسی باتیں مت لگا جو کبھی سر زد نہیں ہوئیں۔ اور وہ اُنکا گناہ  گار نہیں۔ نہ صرف عدالتوں میں بلکہ خاص ع عام مجلسوں میں اور  خلوت میں بھی ایسی گواہی زبون ہے۔

( ۲) ایک اور قسم یہ ہے کہ دوسرون پر بدنام کرنے والے خطاب یا نام دھرنے جن سے اُن کی سیرت برُی ظاہر ہو جیسا کہ فریسیوں نے ہمارا  خداوند جو کفرؔ بولنے والا اور جادوؔگر۔ اور کھاؔؤ اور شرابیؔ  اور قیؔصر کے برخلاف کہنے والا  اور لوگوں کو گمراؔہ  کرنے والا کہا تھا۔  یہ قسم تہمت کی عام  ہے اور بہت برُی نہیں سمجھی جاتی ہے لیکن  اگر انصاف  سے دیکھا جائے تو قسم اول سے بھی بدتر معلوم ہوتی ہے۔ کیونکہ یہ دوسرے پر ایسے الزام  دھرتی ہے۔ جواس میں برُی عادت بیان کرنے والے ہین اور ایسی تہمت کو دور  کرنا اُس کے لئے  دشوار ہوتا ہے کہ اس لئے کہ اس میں کسی بات کی نظیر نہیں بتلائی جاتی جس کی بیچارہ  ملزم  سر دست تردید کر سکے  اور جب تک وہ اپنی  چال چلن سے ایسی باتوں کا برعکس  ثابت نہو یہ زبون  نام اُس  پر لگے رہتے ہیں اور الزام  لگانے والے مزے میں رہتے ہیں۔

( ۳) ایک اور قسم یہ  ہے کہ دوسرے شخص کے الفاظ  یا افعال  کی غلط  تعبیر کرنا تاکہ اُس کی نسبت بدگمانی  پیدا کرے۔ ظاہر ہے کہ اکثر  الفاظ دومعنے ہوتے ہین۔ اچھےّ معنے بھی ہو سکتے ہیں اور برُی مراد بھی نکالی جا سکتی ہے۔ یہی حالت افعال کی ہے۔ ایسی حالتوں میں کسی کے الفاظ یا افعال کے غلط معنے کر کے برُی مراد بتلانا  اور اُس کو برُا آدمی  جتانا  نہایت کمینی  قسم کی تہمت دی ہے۔  چنانچہ جب دو آدمیوں نے مسیح پر گواہی دی کہ وہ کہتا ہے کہ اس ہیکل  کو گرادو اور میں تین دن  میں اُس کھڑا کر دوں گا تو یہ اسی باتوں اور کاموں کو سچائی اور انصاف کے ساتھ تعبیر کیا کریں نہ کہ تہمت لگانے کی غرض سے غلط معنی مشہور کریں۔ اور یوں  اُس کو بدنام کریں۔ 

(۴) ایک  اور قسم یہ بھی ہے کہ کسی کے بیان یا عمل کو پورے طور سے پیش نہ کرنا بلکہ اُس میں سچّی  بات کو دبا رکھنا اور ایسے حالات کو چھپانا جو اُس کے بیان  یا عمل  کو صفائی سے واضح کرتے۔ اس صورت میں تہمت لگانے والا خود تو کوئی ظاہر ا جھوٹھہ نہیں بالتا ہے۔  لیکن ایسی حیلہ بازی سے وہ دوسرے  کو بدنام کر سکتا ہے اور کرتا ہے۔  مثلاً اگر کوئی شخص مباحثہ میں یا اعتراض کے طور پر کوئی بات  بالفرض  پیش کرے اور دوسرا اُس کی بابت یہ خبر اڑاوے کہ متکلم  اُس اعتراض کا دل سے قایل ہے اور اُس کو سچ جانتا ہے اور اُس کا مدعی ہے تو ایسی مشہور کرنے والا اُس متکلم  پر سراسر تہمت لگاتا ہے۔ اور پھر فرض کرو کہ زیؔد دھوکھے سے یا ظلم کا ماارا برُے  لوگوں کی مجلس میں جا پڑے تو اگر کوئی شخص زیؔد کی بابت یہ خبر اُڑاوے کہ وہ ارادة ً ایسی  برُی مجلس میں گیا  کیونکہ خراب  آدمی ہے تو یہ اُس بے  قصور کی سخت بدنامی کرنا ہے۔  تہمت لگانے والے نے اُن حالات کو چھپایا جن سے زید  کی بے گناہی صاف  ظاہر تھی۔ اور وہ غماّز اس  بات پر فخر نہیں کر سکتا کہ میں نے کوئی جھوٹھی بات تو مشہور نہیں  کی بلکہ ایک واقعہ کا بیان کیا ہے  یہ عذر بالکل  لچر ہے اور ایک ایک بہانہ ہے۔

( ۵) ایک قسم یہ ہے کہ  کسی شخص کی بابت اوروں کے سامنے حیلہ بازی سے ایسے اشارے بیان کرنا جن میں صاف جھوٹھی  باتیں تو نہین کی جاتی ہیں تو بھی سنُنے والوں کے دلوں میں وہ برُی  رائے پیدا کرنے والے ہوتے ہیں۔ خصوصاً  اُن دلوں مین جو زور اعتقادیؔ یا حسدؔ یا تعؔصّب  یا بے پروائیؔ کے سبب ایسی رائے زنی کی طرف مایل ہو سکتے ہیں۔  ایسے حیلہ آمیز اشارے کئی طرح سے کئے جا سکتے ہیں۔ یعنے فرضی باتیں پیش کرنے سے۔ حیلہ بازی کی تحریک  یا ترغیب سے۔ دھوکھے کے سوالوں سے۔ کسی بات کا یقین دلانے کے لئے  اغلبات پر زور دینے سے۔ مثلاً  تہمت لگانے والا  کہتا ہے کہ کیا اُس  کی ( تہمت زدہ کی) طبیعت ایسی نہیں ہے کہ اُس کو ایسے فعل کے کرنے  پر مایل کرے؟ کیا ایسا یا ویسا کرنے میں اُس کو نفع نہیں تھا؟ کیا وہ فعل کرنے کے لئے اُس کو عمدہ موقع اور بڑی رغبت نہ تھی؟کیا ایسی حالتوں  میں اُس نے پیشتر  بھی ایسا ہی نہیں کیا ہے؟ پس آپ  خود  دریافت کریں اور سمجھیں کہ اُس نے ایسا کیا ہے یا نہیں۔ غماّز کی یہ منطق ہے۔ اور یوں دہ بیگناہوں کی بابت دوسروں کی رائے خراب کرتا ہے۔ اور جس طرح شیطان نے دھوکھا  آمیز  اشاروں اور سوالوں سے حوّا کو اپنے  خالق کے حق میں بدظن کر دیا اور اس سے  گناہ کروایا یا غماّز  بھی ٹھیک اسی طرح کرتے ہیں ظاہراً سفارش کوتے ہوئے معلوم ہوتے ہین مگر مد نظر اُس کی بدنامی اور نقصان  ہوتے ہیں۔ یہ حیلہ تہمت لگانے کا لوگ اکثر برتتے ہیں  کیونکہ بے معلوم کئے موُثر ہو جاتا ہے۔ مگر یہ نہایت مضّر  اور مکروہ قسم کی غیبت ہے۔ 

(۶ ) ایک اور قسم غیبت کی  یہ کہ دوسروں کے چھوٹے چھوٹے قصوروں کو بڑہا کے بیان کرنا اور اُن کو بڑے بھاری جرم جتانا۔ اور کسی خفیف کمزوری کو ایک قبیح بد صورتی  کہنا۔ اور یوں اپنے بھائی کی آنکھ کی  کانڑی کو شتہیر بتلاتا  ہے۔ اور یہ حرکت خداوند  کے حکم کے عین برخلاف ہے۔ ( متی ۷: ۳، ۴، ۵)  اور تعلیم محّبت اُلٹ پلٹ کرنے والی ہے جس کا  ایک جو ہر یہ ہےکہ  ’’وہ سب باتوں کو پی جاتی ہے‘‘۔’’بدگمان نہیں ہے‘‘ ( اقر ۱۳ باب) ۔ غیبت  کی ان مروجہ  قسموں کے علاوہ کئی  ایک خاص طریقے  ہیں جن کے زریعے  سے وہ عمل میں لائی جاتی ہیں۔ چنانچہ۔ 

( ۱ ) سب سے زبون طریق یہ ہے یعنے جھوٹھہ بنانا یا ایجاد کرنا ۔ اور اُس کو مشہور کرنا۔ جیسا کہ داؤد  شریر کی بابت کہتا ہے کہ تو زبان  سے دغا  کا منصوبہ  باندھتا ہے۔ ( زبور ۵۰: ۱۹)  اور جیسا ہمارا خداوند  شیطان کی بابت کہتا ہے کہ وہ جھوٹھا ہے اور جھوٹھ کا بانی ہے۔  ( یوحنا ۸: ۴۴) یہ اِس قسم کی شرارت ہے کہ جہنم  بھی اس سے بڑھکر نہیں کر سکتا۔ اُن لوگوں کا کیا حال جو اپنے ہمسائے پر اس طرح جھوٹھ باندھتے ہیں۔

( ۲) ایک اور طریق یہ ہے کہ دوسروں سے جھوٹھی باتیں سنُنا یا جن کو وہ جانتے اور جان  سکنے کا اچھا موقع رکھتے ہیں کہ جھوٹھی ہیں مگر پھر بھی اُن کو مشہور  کرنا۔ ایسے لوگ غیبت کے گویا بیوپاری ہیں۔  سوداگر ہیں۔  اِدھر سے سنی اُدھر اُڑا دی۔  جھوٹھ کا بانی اور اُس کا ایسا  بیوپاری ایک ہی سے ہیں وہ جو جھوٹھ ایجاد کرتا ہے بڑا ُہنر  مند ہے مگر وہ جو اُس  کو مشہور کرتا اور پَر لگاتا شرارت اور کینہ میں کچھ کم نہیں۔ دیکھو سلیمانؔ کہتا ہے  کہ ’’ بد کردار  آدمی جھوٹھے  لبوں کی سنتا ہے اور دروغگو  کجر و زبان کا شنوا ہوتا  ہے ‘‘ ( امثال ۱۷: ۴) پس جھوٹھ بنانے والا اور اُس کو شہرت دینے والا دونوں کے دونوں یکساں بد کردار اور دروغ گو ہیں ۔  فتامل) اس چال کا  عام رواج ہے اور مشہور  کرنے والا گمان کرتا ہے کہ یہ جایز ہے کہ اوروں سے سنکے مشہور کرے  اگر وہ اپنی شنید کی سند دیسکتا ہے۔ ہاں ہاں وہ کہتا ہے کہ یہ میری اپنی ایجاد نہیں ہے جیسا میں نےسُنا ویسا کہتا ہوں ۔ اگر  جھوٹھ ہو تو اُس کا قصور  ہے۔ جس نے مجھے سنُایا۔ قصور اُس کا ہے  نہ کہ میرا۔ ایسے لوگ یہ خیال نہیں رکھتے کہ اپنے ہمسائے کو بدنام کرنے اور رنج  اور نقصان  پہنچانے کا وہ ہتھیار بنے اور نہیں  سمجھتے کہ ان کے دل میں بھی ویساہی بد اُصول تھا جیسا اُس جھوٹھ کے بانی میں تھا۔  اور نتیجے بھی ویسے ہی بد ہوئے۔  کسی شخص کا یہ منصب نہین ہے کہ ’’عیب جوؤں کی مانند اپنی قوم میں آیاجایا کرے‘‘ ( احبار ۱۹: ۱۶) یہ برُی سوداگری ہے۔ اور زبور ۱۵میں نیک بخت افسان  کی یہ ایک علامت بیان کی گئی ہے کہ ’’وہ اپنے  ہمسائے سے بدی نہیں کرتا اور اپنے پڑوسی  پر عیب  نہیں لگاتا۔ مگر جو کوئی  تہمت لگاتا  ہے بیوقوف ہے۔ ( امثال ۱۰: ۱۸) عقل  اور انصاف  اس بات کی عادات  اور حالات کو جانچے  اور تہمت زدہ کی طرز  زندگی اور اُس کے منصب اور کام اور اصول  پر نگاہ کرے پیشتر اس سے کہ جھوٹھ کے بانی کا ساتھ دیوے اور اپنے ہمسائے  کو نقصان پہنچانے کے لئے اُس کے ساتھ ہم مشورہ  ہووے۔  اگر ایسی احتیاط  سے گوفل رہتا ہے تو وہ ظاہر کرتا ہے کہ وہ جھوٹھ  کے بانی کے ساتھ اپنے ہمسائے کے برخلاف کینہ اور نقسان رسانی میں شریک ہے اور اس فتوے کے تحت  میں آتا ہے جو زبور ۵۰: ۱۸ میں مرقوم  ہے۔ اور یوں اپنے ہمسائے  پر چھپکے تہمت لگاتا ہے جس کی سزا خداوند تعالیٰ نی یہ فرمائی ہے کہ میں اُسے جان سے ماروں گا۔ ( زبور ۱۰۱: ۵)

( ۳) ایک اور طریق یہ ہے کہ محض خیالوں یا شبہوں کی بنا پر الزام تجویز کرنا۔ یاد رہے کہ شبہوں اور خیالوں  کی کوئی حد نہیں اور جو کوئی اس کھوج نہیں لگا رہے تو ضرور اُس کو کوئی نہ کوئی شُبہ ہاتھ آجاتا ہے۔  ایسے لوگ کو اسبات کی پروا نہیں کہ ایسے کرنا دانشمند  ی ہے اور یاکہ جس کی بابت جستجو میں ہیں وہ بے قصور ہے۔ غرض صرف یہ ہوتی ہے کہ کوئی گمان یا  شبہ نکالیں جسکی بنا پر الزام بناویں۔ اگر ایسی باتیں سنی جاویں  تو کوئی آدمی بھی نیک نام نہیں رہ سکتا ۔ دیکھو متی  ۹: ۴ اور ۱تمط ۶: ۴ میں اس قسم کی عادتوں کا زکر ہے۔ اب جو کوئی اس طور سے اپنے ہمسائے پر دعویٰ جمانےکی کوشش  کرتا ہے وہ تہمت دہی اور رغبت  کا گناہ گار ہے۔ ۲۔ سموئیل ۱۹: ۲۷)  سچائی ؔصاف روشنی میں نظرآسکتی  ہے اور انصافؔ ثبوت چاہتا ہے۔اور محّبت بدگمان نہیں ہوتی۔ ان اُصولوں کو نگاہ رکھو۔

سومؔ۔ اِس سلسلہ میں اس بات کو واضح کرنا  بھی ضروری ہے کہ کسی کو کلام اﷲ کی رو سے یہ  پروانگی نہیں کہ دوسروں کی بابت محض  چغلیاں اور بدگویاں سُنا کرے اور چغل یا غماّز کو بند نہ کرے۔ اور جو کوئی چغلی اپنے تک آنے دیتا اور اُس کو پالتا اور مدد کرتا وہ خود غماّز اور عیب جو ہے۔  جو کوئی بد نیتی سے چالاکی کے ساتھ غیبت کرنے والے کو اُبھارتا اور دلیری دیتا ہے کہ اپنے ہمسائے پر اپنی زبان کو تیز  اُسترے کی مانند  چلائے۔ اور جو کچھ سنتا یقین کرتا جاتا ہے اور خوش ہوتا ہے تو وہ غیبت میں ویسا ہی مجرم ہے جیسا اُس کا چغل مُجر ہے۔ ایک کا گلا اور دوسرے کا کان غیبت کرتے ہیں۔ ایک ایجاد کرتا ہے دوسرا  قبول کرتا ہے۔ دونوں یکساں شریک ہیں۔  ایک غیبت کی ماں ہو دوسرا دائی ہے۔ اگر لوگ بدگویاں  اور چغلیاں نہ سنُیں تو چغل خوروں کے پیٹ ہی میں مرجاویں اور فساد بند ر ہیں۔ جس طرح سے کہ اگر لوگ شراب نہ پئیں تو شراب خانے کود ہی بند پڑ ٍٍٍجائیں۔ اگر لوگ حرامکاری  سے باز رہیں تو کسبیاں گھر گرستی  رٍہیں۔ اسی طرح اگر غیبت کی پرورش نہ کی جاوے توبھوکھی مر جاوے۔  اے غیبت کرنے والو اور اے سنُنے والو سنو کہ سلیمان کیا کہتا ہے۔ ’’بد کر دار  آدمی جھوٹھےلبوں کی سنتا ہے۔ اور دروغ گو کجرو زبان کا شنوا  ہوتا ہے‘‘۔ ( امثال ۱۷: ۴) پس اگر ہم چاہیں کہ ایسی شراکت سے بچیں تو بد گوئی کرنے والوں کی باتوں سے نفرت کریں۔  اور جتاویں کہ ہم چغلی پسند نہیں کرتے۔ پر جب اپنے ہی دل  میں کینہ اور دشمنی اور بد خواہی  اور انصاف  اور محّبت کی بوبھی نہیں تب تو شراکت خود بخود ہو گی اور وہ جو دین کے ہادی ہیں اُنکو رسول پولوس ہدایت کرتا ہے کہ اپنے لوگوں میں  سے بدعادت کو نکالنے کی کوشش کر۔ ’’اُنہیں یا دلا کہ کسی کے حق میں بُرا نہ کہیں۔‘‘ ( طیطس  ۳: ۲) افسوس اُن ہادیوں پر جو غیبت کرنے والوں کو پسند کرتے اور اُن کی مدد کرتے ہیں۔ اور یوں اُن کے ساتھ ملکر بد گوئی کو رواج  دیتے اور جس کا نتیجہ جھگڑے اور فساد ہوتے ہو۔ اور ہادی  اور پیر و اپنے آپ کو مسیح کے نہیں  مگر دنیا کے لوگ ظاہر  کرتے ہیں۔

چھارم۔ یہ بھی معلوم کرو کہ تہمت لگانے والوں کا انجام کیا ہے۔اوؔلاً ۔ چغُلی کرنے والے کو ہر کوئی اپنادشمن  سمجھتا ہے۔ اور خطرناک  دشمن۔ اور اس لئے لوگ اُس سے نفرت  کرنے لگتے ہیں۔ دغاباز  زبان کی بابت  لکھا ہے کہ ’’ خدا ابد تک  تجھے  برباد کرے گا‘‘۔  ( زبور ۵۲: ۴، ۵) ۔ ’’جھوٹھے لبوں سے خداوند کو نفرت ہے‘‘۔ ( امثال ۱۲: ۲۲) تہمت لگانے والا اپنے تئیں آسمان سے خارج کرتا ہے۔ اگر وہ تو بہ کر کے اپنی عادت کو ترک  نہ کرے۔ خداوند فرماتا ہے کہ ’’ وہ چھپکے اپنے ہمسائے  پر تہمت  لگاتا ہے میں اُسے جان  سے ماروں گا‘‘۔ ( زبور ۱۰۱: ۵) انجیل مقدس میں بد گوئی کو دیکھو کن برُائیوں  میں گنا گیا ہے اوع اُس کا نتیجہ کیس خطر ناک بتلایا  گیا ہے۔ ’’میں نے اب تمہیں یہ لکھا ہے کہ اگر کوئی بھائی کہلا کے حرامکار یا لالچی یا بت پرست  یا گالی دینے والا یا شرابی یا لٹُیرا ہو تو اُس  سے صحبت نہ رکھنا‘‘ الخ۔ ( ا قر ۵: ۱۱) اور پھر ۶: ۱۰ میں کہتا ہے کہ ایسے  لوگ  خدا کی بادشاہت کے وارث  نہوں گے۔ پھر مکاشفات ۲۲: ۱۵  میں لکھا ہے ’’ کہ کتُے  اور جادو گر اور حرامکار  اور خونی  اور بت پرست اور جو کوئی  جھوٹھ کو چاہتا اور بولتا ہے سب باہر ہیں‘‘۔ اور خداوند  نے یہ بھی فرمایا تھا  کہ’’  ہر ایک بیہودہ بات  جو کہ  لوگ  کہیں عدالت کے دن اُس  کا حساب دیں گے‘‘۔  ( متی ۱۲: ۳۶) پس وہ گالی یا جھوٹھ یا بیہودہ بات جو تہمت کے طور پر ہمسائے پر لگائی جاتی ہے  تاکہ اُس کی بد نامی ہو اور نج  اور نقصان  ہو اُس  اک انجام ایسا ہولناک ہے۔  تہمت لگانا بھاری گناہ اور محّبت  کے اُصول  کو ضایع کرنے والا ہے اور اس لئے اُسکی ایسی بھاری  سزا  ٹھہرائی گئی ہے۔ کچھ مضایقہ  نہین اگر دنیا میں اور کلیسیا  میں بھی تہمت لگانیوالے ہوں اور اُن کی مزے میں گزران ہوتی ہو لیکن خدا ضرور اپنے حکم کےموافق اُن سے سلوک کرے گا۔

پر اگر یہ منظور  ہو کہ دنیا میں اور کلیسیا میں امن رہے  اور محّبت بڑئے اور ہلاکت  سے بچاؤ  تو چاہئے کہ اپنے ہمسائے  کےحق میں کوئی بات نہ کہیں جو محنت کی راہ سے نہ ہو ۔ کینہ اور خود غرضی اور بد خواہی کے اُصول  چھوڑ کر فقط محّبت  کے اُصول کے پابند ہوویں تو سب دلوں میں چین رہے گا۔ رسول فرماتا ہے کہ ’’ تمہاری سب باتیں محبت کے ساتھ ہوں‘‘ ( اقر ۱۶: ۱۴) اور ہمارے الفاظ اُن سب باتوںؔ کا بہت بڑا حصہ ہیں جوہم اپنے ہمسائے  کی بابت کرتے ہیں۔ اور ان کے زریعہ سے ہم  محّبت کو ظاہر کر سکتے ہیں۔ پس  باتیں جو ہم اُس کی بابت کریں چاہئے کہ ہم ظاہر کریں کہ ہم اُس کی نیک نامی کی حفاظت کرتے ہیں۔ کہ ہم اُس کا فائدہ اور آرام  چاہتے ہیں۔ اگر  ہم اُس کا کچھ قصور  بھی دیکھیں تو اُسے آگاہ کریں ایسا کہ بد گواہی کو اپنے دل میں جگہ نہ دیویں۔ کیونکہ ’’ چاہئے کہ تمہارا کلام ہمیشہ فضل کے ساتھ اور نمکین ہو‘‘۔  ( قلس ۴: ۶) اور ’’ ہر کوئی ہم میں اپنے پڑوسی  کو اُس کی بھلائی کے واسطے خوش کرے تاکہ اُس کی ترقی ہووے‘‘۔ ( روم ۱۵: ۲) سچ ہے کہ ’’ جہاں لتُرا نہیں وہاں جھگڑا رفع ہوتا ہے‘‘۔  ( امثال ۲۶: ۲۰) مگر کان پھوسی کرنے والا دوستوں کو بھی جُدا کر دیتا ہے‘‘۔ ( امثال ۱۶: ۲۸)

پنجم ۔ تہمت  اور محّبت کامقابلہ اور تہمت کرنیوالے کا خاص عزر  اور تہمت زدہ کا خاص نقصان  معلوم ہووے کہ تہمت لگانا سب جھوٹھوں سے برُا ہے۔ کیونکہکینہ یا بطلان  کی راہ سے ہوتا ہے۔ اور جس سے سخت نقصان ہوتا ہے۔ جھوٹھ  بولنے والا ظاہر کرتا ہے۔ کہ اُس کا خدا پر بھروسہ نہیں ہے۔ جو راستی  سے ہر اچھے کام اور ارادے کو انجام دے سکتا ہے۔ اور نہ اُس کو نیک زریعوں پر اعتبار ہے جس سے مطلب  حاصل  سکتا ہے۔ اور یوں تہمت لگانے  والا اکڈا اور انسان دونوں کی طرف دغابازی  کے ساتھ بے ایمان بنتا ہے۔  تہمت لگانا خود ہی دشمنی  کی دلیل ہے۔  اور جب تک دل مین کینہ یا خود غرضی یا دونوں ہی نہوں تو کوئی دوسرے کے ساتھ  ایسی دشمنی نہیں کرتا۔

تہمت لگانے والے نہایت تنُد اور ظالم  دشمن ہیں۔ اور اس لئے نہایت کمینے  اور نالایق ہیں۔ اُن کے ہتھیار ناجائز اور خطرناک ہیں۔ ’’ جن کے دانت برچھیاں اور تیر میں جن کی زبان تیز تلوار ہے‘‘۔  ’’ وے اپنی زبان کو تلوار کی مانند  تیز کرتے ہیں اور کمان کھینچتے ہیں تاکہ کڑوی  باتوں کے تیر چلاویں۔ اور چھپکے کامل آدمی کوڑیں وے ناگہانی تیر لگاتے ہیں‘‘۔ ( زبور ۵۷: ۴ اور ۶۴: ۳، ۴) ۔ یہ کیفیت  ظاہع کرتی ہے کہ تہمت لگانے والا  ہر طرح کی شرارت اور نقصان  کرنے کے لئے  تاریکی کے ہتھیاروں سےمسلح ہے۔ دور سے اور نزدیک سے۔ ظاہرا اور چھپکے چوٹ کرنے کے ہتھیار رکھتا ہے۔ زخم  جو غماّز کے ہتھیاروں سے لگیں زخم کاری ہوتے ہیں لاعلاج ہوتے ہیں ۔ نقصان  جو وہ پہنچاوے اُس کا کوئی چارہ نہیں ہوتا۔ وہ جو غماّز کی باتوں پر کان دھرتے ہیں۔ ان کے دلوں میں صادق آدمی کی بابت شبہے اور برُی رائے کے سیاہ داغ کچھ نہ کچھ بنے رہتے ہیں۔ یہ غماّز ستم گر کی غماّزی کے  نتیجے ہیں۔ غور کرو کہ یہ ساری کارروائی کلُ نیکیوں کی ملکہؔ  یعنے محبؔت کی کارروائی  کے کیسے برخلاف  ہے۔ اور عین ضد میں ہے۔ جس کی ایک خوبی یہ ہے۔ کہ سب کچھ باور کرتی ہے۔ ( ا قر ۱۳: ۷)  یعنے سب کچھ جو ہمسائے کے فائدے اور بھلائی کے لئے ہے۔ بلا کسی لاریب  وجہ کے اُس کی بابت برُائی کا شبہ تک نہیں کرتی تو کجا یہ کہ اُس کی بابت کبھی جھوٹھ ایجاد کرے یا مشہور کرے۔ ایک اور  وصف  محّبت کایہ ہے کہ ’’ محبت  سارے  گناہوں کو ڈھانپ دیتی ہے‘‘۔ ( امثال ۱۰: ۱۲ ۔ اپطرس ۴: ۸)  اور وہ اس طرح سے جیسا سلیمان  پھر کہتا  ہے۔ کہ ’’ وہ جو تصور کو چھپا ڈالتا ہے۔ دوستی کا جو یاں ہے۔ پھر وہ جو ایسی بات دوبارہ زکر  کرتا ہے۔ دوستوں میں جُدائی  کرتا ہے‘‘ ( امثال ۱۷: ۹) جبکہ محبت کی یہ خوبی ہے تو یہ بات  اُس سے کس قدر  بعید ہے کہ جھوٹھ ایجاد کر کے یا مشہور کر کے تہمت لگا وے۔  ایسا کرنا کینہ ہو گا نہ کہ محّبت۔

اب تہمت لگانے والا اگرچہ ایک طرف تو ۔ محُبت کی عدم پیروی  کا قصور وار  ہے اور دوسری  طرف ۔ کینہ دوزی کا گناہگار اور سخت  سزا کے لایق ہے۔ تو  پھر بھی یو ں عذر  کرتا ہے کہ جو کچھ میں کرتا ہوں کوئی بڑی بات نہیں ہے۔ میں بڑے شور شار کے ساتھ کوئی حرکت نہیں کرتا ہوں۔  لیکن صرف عام لفظ بولتا  ہوں۔ جو گزر جانے والے ہیں اور وہ بھی اپنے ہمسائے  کی عزت کی بابت جو کہ اصل میں کوئی محسوس چیز نہیں ہے۔ یعنے میں نے کوئی  ہڈی نہیں توڑی کسی طرح کا خوف نہیں جمایاصرف  اپنی زبان سے ہوا کو مارا ہے۔ جو ہلتے ہلتے دوسرے کے کان تک جا پہنچی ہے۔ اور ہمسائے  پر اُس کو دھّبہ جاننا صرف ایک  خیالی بات ہے اور اِس طور سے غماّز سمجھتا ہے۔کہ میں نے کچھ نقصان نہیں کیا اور بے قصور ہوں۔

یہ عذر غماّز  کا صرف  بے پروائی کا وجہ سے ہے۔ مثل مشہور ہے۔ ’’ چڑی دی موت۔ نے گنوار داہا سا‘‘۔ وہ  اپنےآپ کو فریب  دیتا ہے انسان فطرت  کے حکم سے نیک نامی کا خواہاں ہے۔ اور نیک نامی کی سب چیزوں سے زیادہ قدر کا خواہاں ہے۔ اور نیک نامی کی سب چیزوں سے زیادہ  قدر کرتا  ہے بلکہ جان جائے تو جائے  لیکن نیک نامی ضایع نہ ہو۔ اب اگر ہم زبردستی  یا حیلہ بازی سےہمسائے کو اُس کی اس بیش قیمت چیز سے محروم کریں۔ تو ہم اُس کا بڑا نقصان  کرتے ہیں۔ چوری کرنا اُس کے اسباب کو زبردستی  یا فریب سے لیجانا۔ اور اُس کو اس سے محروم  کرنا ہے۔ اورایسا ناحق کرنا گناہ ہے۔ مگر تہمت لگانا اس کی نیک نامی کو چُرالیجانا اور اُس کو محروم کرنا ہے۔  اور ایسا کرنا کسی کا حق نہیں ہے اور سخت گناہ ہے۔ چوری برآمد ہو سکتی ہے۔ اور زخم چنگے ہو سکتے ہیں۔ پر اگر نیک نامی مجروح ہو جاوے تو کس یا بسام سے اچھی ہو گی اگر کھوئی جاوے تو کہاں سے برآمد ہو گی۔ اے غماّز  اپنے ستم کو ذرا سوچ اور خدا سے ڈر!!

نیکؔ نامی اپنے آپ میں  کوئی  ادنی سی چیز نہیں ہے۔ بلکہ بڑی مہنگی اور بیش قیمت چیز ہے ۔ سلیمان کہتا ہے  نیک نام  بے قیاس خزانہ سے زیادہ تر پسند کیا جاوے۔  اور احسان۔ روپے سونے سے۔ (امثال ۲۲: ۱) نیک نامی مہنگ مولے عطر سے بہتر ہے۔ ( واعظ ۷: ۱) نیک نامیؔ اپنے نتیجوں  کے باعث  زیاہد  تر بیش قیمت ہے۔ چنانچہ آدمی کی بہتری  اور کاروبار میں کامیابی اور اپنے اور اپنے دوستوں اور ہمسایوں کے ساتھ بھلائی کرنے کی قابلّیت۔ اور اُس کی اپنی سلامتی اور زندگی کے آرام  اور آسائیش بلکہ زندگی بھی اُس پر منحصر ہیں۔ اس لئے جو کوئی کسی کو اُس کی نیک نامی  سے محروم کرتا ہے تو  وہ اپنے ہمسایہ کو ایک دائیمی نقصان پہنچاتا۔  اُس کو لوٹتا بلکہ اُس کا خون کرتا ہے۔ نیک نامیؔ  اکثر انسان کی کلُ  کا اجرا اور اُس کی کل محنت کشی کا پھل ہوتی ہے۔ سو اُس  سے محروم کرنا گویا اُس کی ساری ملکیت  کو لوٹ لینا ہے اور اُسکو ننگا اور عاری کر دینا ہے۔ پس کوئی آدمی جس میں کچھ بھی عقل ہو گی ایسی کمینی  اور ظالمانہ حرکت نہ کرے گا۔  اور اسی لئے سلیمان تہمت لگانے والے کی بابت لکھتاہے کہ’’ وہ جو تہمت کرتا ہے  بے وقوف ہے۔‘‘ ( امثال ۱۰: ۱۸)

راقم ۔۔۔ جی ایل ٹھاکر داس۔۔۔ از گوجرانوالہ 

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بائبل شریف  اُس کی شہادت۔ خصوصیات و تاثیرات

تاثیرات کلام اﷲ


The Bible and its Uniqueness

Published in Nur-i-Afshan February 09, 1897


سولھویں  صدی  میں کلیسیا کی ایک بڑی  جماعت  نے برّاعظم یورپ مین تجدید اصول مذہب عیسوی کی وجہ سے اپنی  آزدگی از سرِ  نو حاصل  کی اور ہنوز اُسے قائم رکھتے ہیں۔ میں اِس خاص جماعت یعنے مسیحی کی نسبت پوچھتا  ہوں کہ اُس کی بناوٹ اور محافظت کی کیا وجہ ہے اِس کی وجہ بائبل ہے یہ فی  الواقع  کہا جا سکتا ہے کہ کلیسیا کی بنیاد اور پہلی ترقی بائبل  کی وجہ سے نہیں ہے۔ کیونکہ جب رسولوں اور اُس کے ساتھیوں نے پہلے پہل  انجیل  کی منادی  کی تو کوئی نوشتہ نئے عہد نامہ کا نہیں لکھا گیا  تھا۔ لیکن اِس دلیل سے میری بحث پر کچھ اثر نہیں ہوتا کیونکہ  نوشتوں میں جیسا مینے پہلے  بتایا وہ کلُ باتیں  پائی  جاتی ہیں جن کو مسیحی مانتے ہیں۔  فی الحقیقت  اُن کے کاتب اولاً انجیل کی منادی کرنے والے تھے اور اُنہوں  نے صرف وہی لکھا جو پیشتر سکھایا تھا اِسی مذہب کے شروع منادی کے نتیجے  کو بائبل  کی تاثیروں میں سے کم نہیں  سمجھنا  چاہئے کیونکہ اکثر  یہ منادی بمہ معجزوں کے کی گئی تھی جو صرف مانند  اُن علامتوں اور عجیب  باتوں  کے موسیٰ کے آئین  کے جاری ہونے کے وقت  لوگوں کو یقین دلانے کے واسطے زریعے  تھے کہ وہ باتیں جو زبانی  سکھلائی گئیں وہی تھیں۔ جنہیں خدا نے سکھلانے  والوں  کو حکم  دیا  تھا  اور جو اب نئے عہد نامہ میں درج ہیں کیونکہ کلیسیا کی محافظت  بعد رومیوں  کی سلطنت کی بربادی کے اور اُس کا بعد مین یورپ کی سب قوموں سے معلوم کرئے جانا کوئی کافی وجہ بجز اِس تعلیم  کے بائبل  سے لی نہیں دیجا سکتی ہے۔ کتاب بائبل  کو شاید ہی کوئی جانتا تھا لیکن اِس کی سچائی جو کسی نہ کسی طور پر لوگوں کے دلوں اور زہنوں میں پہنچتی  اُنکو عیسائی بنا کر کلیسیامیں  لانے کا زریعہ  ہوئی یہ بھی زیادہ تر عیاں ہے کہ  اسول کی تجدید بائبل کی تاثیر تھی لوگ  جن کے زریعہ سے یہ عمل میں آئی اپنے میں کوئی عجیب قوت رکھنے کا دعویٰ نہیں کرتے تھے۔ بائبل  کی  ایک  جلد جو اِس وقت بالکل نامعلوم تھی  ایک درویش  نے ایک جرمن  کی خانقاہ میں پائی  اور جسّے  یکایک مانند توریت کی جلد کے جو ہیکل میں روسیا کی  سلطنت میں پائی گئی تھی انقلاب مذہبی نہ صرف ملک جرمن میں بلکہ یورپ کے برّاعظم کے ایک بڑے حصّہ میں ظاہر ہوئی اس طور پر اب جیسے لوتھر اور اُسکے مدد گاروں نے کیا بائبل کی صاف اور ظاہری  تاثیر تھی انگلستان  میں بھی جو  ویکلفؔ صاحب  جس نےاِس کتاب کو اپنی مادری زبان میں ایک صدی سے پیشتر جو بعد میں دوبارہ ہنری ہشتم  کے وقت میں ترجمہ ہو کر پھیلائی گئی ظاہر کیا جس سے تجدید مذہب عیسوی کی بنیاد پڑ کر ششم ایڈورڈ  کے زمانہ  میں عمل میں آئی یہ تاثیر بائبل  یعنی کلیسیا کی بنیاد اور  اُس کی روز افزوں ترقی اس کی بنا کا رومیوں کےمل میں پڑنا ۔ اُس کا اِس سلطنت کی بربادی کے بعد قائم رہنا اسکا وحشیوں اور یورپ کیکل قوموں سے مقبول ہونا اور یورپ کے ایک بڑے  مغربی حصّہ کی حالت کا بہتر  ہو جانا آشکارہ  واقعات تاریخ کے صفحوں پر موجود ہیں لیکن ہم اِن  تاثیرات کے اعلیٰ مراتب  کی قدر نہ کریں گے تا وقیتکہ  اُن کی ملکی اور  آپس  کے تبدلات  جو اُن کے متعلق ہیں دیکھ نہ لیں پس اب میں تمسے ایک التماس  کرتا ہوں کہ لوگوں کی حالت کو قدیم زمانونکی کل بڑی بڑی سلطنتوں سے لیکر قسطنطین کے زمانہ تک اور زمانہ حال میں چین اور ہند کے غیر  اقوام راجاؤں کی حالت خراب از خراب  مسیحی سلطنت کے لوگوں سے مقابلہ کرو اِس مقابلہ سےبائبل  کی تاثیرات یعنی ظلم کا  کم ہو جانا  ذائی آزادگی کا بڑہجانا اور خانگی خوشی کا زیادہ عمل میں لانا اور زیادہ تر آپس میں خلطہ و ملط رکھنا جو ہر ایک عیسائی قوم کی خاصیت ہے چابت ہوتی ہے اور اگر یہ اِن ملکوں میں ہو جہانکہ یہ کتاب بہت کم لوگوں کو معلوم ہے اور اس کی تاثیر بہت کم لوگوں کو معلوم ہوئی ہے تو کتنی زیادہ یہ اِن ملکوں میں معلوم ہو سکتی ہے۔ جہانکہ یہ کتاب مذہبی پرستش کیواسطے جماعتوں میں سنائی جاتی ہے اور اُن کی خلوت کے مکانوں میں ہر ایک درجے کے آدمی سے جو اس واقف ہونا چاہتے ہیں پڑھی جاتی ہے۔ اِس کی ضرورت نہیں کہ میں ملکی حقوق خلقی خوبی اور آپس کی برکتیں اور سامان آسایش مان جن کے واسطے ہمارے محترم  آباو اجداد کا ملک مشہور ہے مفصّل  بیان کروں ھالانکہ اِس قدر برائیاں جو ان سے پیدا ہوتی ہیں برٹن کلاں اور سرکار انگلشیہ کے  بہتیرے صوبوں میں پائی جاتی ہیں تاہم کوئی انکار نہیں کر سکتا  کہ اِن میں غالباً ُآزدگی ؔ  آزادانہؔ خیالات منصف ؔ مزاجی سچاؔئی سخاؔوت فرائضؔ کا مدِّنظر  رکھنا  اور خانگی ؔ خوشیاں پائی جاتی ہیں اور کس وجہ سے ہم اِن سب باتو کے ممنون و مقروض ہیں کیا  اینگلو سیکسن یا نور من قوم کی وجہ سے نہیں۔ کیونکہ عربی  فارسی ترکی اور اموری قومیں قدرتاً انگریزوں کی مانند جسم اور حوصلہ میں یکساں ہیں تو پھر کیا کسی قانون ترقی پزیر کے سبب سے جو آدم زاد کی تاریخ  میں پایا جاتا ہے نہیں کیونکہ کوئی ایسا  قانون  مانا نہین جاتا تو پھر کونسی شہادت ترقی کی اور عقلی یا خلقی ہمارے پاس سلطنت کے منتقل ہونے بابلون سے فارس کو فارس سے یونان اور یونان سے ایشیا کو چک کی ہے۔ کونسی ترقی ہممشرقی راجاؤں کے سلسلہ میں یا مسلمانوں کی بادشاہت یونان یا ایشیا کوچک میں دیکھتے ہیں۔ دنیا کی تواریخ ایسے قانون کو قیاس کے برخلاف  ثابت  کرتی ہے تنہا عقلی  جواب ہماری اعلیٰ حالت کا یہ ہے کہ ہم بائبل کے زریعے سے یہاں تک ترقی کر چکے ہیں کہ اس کے سبب سے سلطنت انگلشیہ انگریزی قوم مشہور ہے۔ تس پر بھی ہم بائبل کی تاثیرات ہے جو اِنسان کے ضمیر اور دل اور مخصوص  لوگوں کی زندگی پر  ہوئی ہے میں ایمان کے معاملات کے  بارے میں نہیں بلکہ اُن واقعات کی بابت جن کی نسبت  کوئی بحث  نہیں ہو سکتی بیان کرتا ہوں اور یہ یاد دلاتا ہوں کہ کیونکر بیشمار حالتوں میں بائبل سے بے چین  دلوں کو آرام  ملا اور خستہ  گنہگار کو تسلی ہوئی کہ وہ اُن کی یقینی بات سے خوشی کرے کہ اُس کی بدیاں معاف  ہوئیں اور اُس کے گناہ بخشے  گئے کیونکر زانی  اور شرابی  چور بٹ مار لالچی خود غرض سنگدل بے رحم  اُس کی تعلیم  سے بالکل بدل گئے۔ اور درحقیقت نئی مخلوق بن گئے کیونکہ اُس نے رنجیدہ فاطمہ کو تسلّی اور مصیبت زدہ کو بیماری کے بستر پر خاموش رہنے کی طاقت دی لاچاروں  کے دلوں کو سنبہالا اور قیدی کو توفیق بخشی کہ وہ خوشی سے گائےکیونکہ اُس نے لوگوں کو مجبور کیا کہ وہ  دور دراز سفر کریں  ہر قسم کے خطروں میں اپنے آپ کو ڈالیں ہر قسم گی مصیبت اور تکلیف  اٹھائیں نہایت ہی وحشی لوگوں میں بودو باش اختیار کریں۔

ٹھٹھا ظلم اور موت  کو بھی صرف اِس واسطے برداشت کیا کہ اُنہوں نے اِس کتاب کو اپنے واسطے نہایت ہی بیش قیمت سمجھا اور اُس نے کس طرح سے اور لوگوں کو  جرأت  دی کہ وہ درندوں جانوروں سے پھاڑے جلد یا آگ میں ڈالے جانے کے لئے راضی تھے بہ نسبت اس کے کہ وہ اپنے اعتقاد سے پھر  جاتے یا اس کے کسی حصّہ سے منکر ہوتے کیونکر اُس نے مثلاً لوتھر۔ و یکلف اینری وغیرہ کو جن میں سے بعض تواریخ  میں مشہور ہیں ایمان بہادر بنا لیا کیونکر اُس نے ایمان ایماندار کو موت کے وقت ایک توفیق بخشی کہ وہ اگلے زمانہ کے لوگوں کے موافق کے میں اچھی لڑائی لڑ چکا  میں نے اپنا ارادہ پورا کر لیا میں نے اپنے ایمان کو قائم  رکھا اب میرے واسطے ایک راستبازی کا تاج رکھا ہےجسے خداوند میرا صادق  حاکم مجھے اُس وقت دیگا۔ 

  بائبل کی عجیب خاصیتوں میں سے ایک لاثانی طرز بیان ہے کسی دوسری  کتاب میں ایک مزمذہ اور  سچا خدا خالق  پروردگار اور مالِک دنُیا  کی صفتوں کا بیان یکساں طور پر ظاہر نہیں کیا گیا ہے لیکن بائبل  کی کلُ متفرق  کتابوں میں جس سے وہ مکمل  ہوتی ہے خدا یکساں غیر متغیر آلہی وجود اور ایک روح ہے جسئ کبھی کسی نے نہیں  دیکھا اور نہ دیکھیگا اور جو اپنی طاقت و نیکی و دانائی میں بے پایان اور غیور ہے اور بدی سے چشم پوشی نہیں کرتا  اور جو بلا سزا دئے اپنے آپ کو بے عزت نہیں کرتا۔ لیکن تاہم رحم  اور مہربان  جمول بدی خطا اور امرزگار ۔ منصف اور منجی ہے علاوہ  اسکے  خدا کی اُس خاصیت ہی کا بیان نہیں ہوا ہے بلکہ اس کے فی الواقع سلوک جو اُس نے انسان سے کئے اور اس کے  انصاف  کی سختی اور لااِنتہا  مہربانیوں کا بھی زکر ہے  خدا جو ناراستوں  کے گروہ پر طوفان لایا۔ جس نے سدوم و اُمورا کے شہروں کو راکھ کا ڈھیر کر دیا۔  جس نے سدوم اسرائیلیوں کو حکم دیکا کہ کنعان  کے بت  پرستوں کو نیست و نابود کریں۔ جس نے حالتمس کے آدمیوں  کو خدا کے صندوق کے دیکھنے اور اُس کے چھونے کی وجہ سے مار ڈالا۔ جس نے ہیرودیس کو اپنے آپ کو جلیل القدر سمجھنے کے سبب کیڑوں سے کہلایا یہ وہی خُدا ہے جس کی  بابت ہم بائبل سے سیکھتے ہیں۔ کہ اُس نے دُنیا کو ایسا پیار کیا کہ اپنے بیٹے  کو گناہوں کے کفارہ میں دیا تاکہ عادل  ٹھہرے اور اُنکا جو مسیح  پر ایمان لاتے ہیں شافعی ہو توریت کا خدایشوع قاضیوں  سلاطین تاریخ زبور اور دیگر انبیا کا خدا ہے اور وہی انجیل اور رسولوں کے اعمال  کا بھی خدا ہے وہ نور ہے اور اُس میں کل نیک فضیلتیں پائی جاتی ہیں وہ  جلتی آگ ہے جو ناراست بازوں پر فتوی دیگا۔  وہ محبت ہے اور یہ چاہتا ہے کہ سب آدمی بچ جائیں اور سچائی کوپہچانیں۔ خدا کی یہ کلُ صفتیں اگر چہ  ازروئے عقل خلقی ایک دوسرے سے نزاد کرتی معلوم ہوتی ہیں پر بائبل کے موازنہ کو زیادہ مشہور معروف کرتی ہیں۔ 

جس طرح اظہار آلہی قابل غور اسیطرح اظہارؔ انسانی قابل لحاظ ہے۔ بائبل  کے مطابق خدا نے آدم کو پہلا آدمی اپنی صورت پر زی عقل  نیک پاک خوش مزاج گناہ سے مبّرا اور بلا زوال بنایا لیکن آدم  نے خدا کے حکم کو توڑا۔  پس گناہ  اُس پر اور کل آدمیوں پر قابض ہو گیا اور گناہ سے موت آئی سب آدمیوں پر چھا گئی کیونکہ سب گنہگار ہوئے پس بائبل  آدمی  کو بطور ایک گرے ہوئے مخلوق کے جو گناہ میں پیدا ہوا ایک قہر آلودہ فرزند کی مانند ظاہر کرتی ہے  وہ اُس رحم کے لایق ہے جس کے واسطے خدا نے ایک راستہ گناہ سے چھٹکارہ پانے اور بعد مرنے کے ہمیشہ کی  زندگی میں جی اٹھنے  کے لئے بزریعہ اپنے ملاپ  کے نکال دیا ہے یہ اظہار انسانی جیسا کہ بیان ہوا لاثانی ہے۔  اس کا ثانی اور کہیں نہیں پایا جاتا ہے بائبل کی کتاب میں جس طرح ایک خدا  کازکر ہے ویسا ہی ایک  اِنسان کا خاکہ کھینچا ہے یعنی بگڑا ہوا۔ لیکن صورت الہی کے نقش پر خدا کے سامنے قصور وار تاہم غیر مردود گناہ میں پیدا  ہوا۔ لیکن راستبازی اور حقیقی پاکیزگی میں مبزل ہونے  کے لایق۔ گناہ کے برُے نتائج  برداشت کرتے ہوئے لیکن جب روحانی طور پر از سر نو پیدا  ہوا تو آلہی فضل سے ابد الا باد خدا میں ثنا خوان رہنے کے لایق۔ مذکورہ بالا لفظوں میں بائبل انسان کی تصویر کھینچتی ہے۔

بائبل میں نہ صرف جداگانہ طور پر خدا اور انسان کی لا ثانی تصویر ہے بلکہ اس میں جو سب سے عجیب ہے۔  وہ خدا اور انسان کی تصویر ایک دوسرے سے ملی ہوئی۔ یعنی اُلوہیت اور اِنسانیت ایک ہی اقنوم میں شامل دیکھتے ہیں۔ خدائے مجسم یعنی یسوع مسیح دنُیا کی تاریخ  میں بے مثل ہے کبھی کوئی انسان اس آدمی کے موافق  نہ تھا  کبھی کسی مورّخ شاعر نے اس کی مانند صفت منقش نہیں کی یعنی ایک کامل آدمی کی صفت جو گناہ سے مبرا تھا وہ دنُیا کے بہادروں میں سے نہ تھا نہ ایک زبردست بادشاہ  نہ فتحیاب سپہ سالار نہایک مشہور عالم نہ ایک بڑا سخندان۔ لیکن ایک ایسا انسان  جسے اس کے  ہمقوموں نے حقیر جانا۔ اور رّد کیا اور جس میں وہ خوبصورتی جو وہ ڈھونڈھتے تھے نہ پائی۔ یسوع مسیح میں ہم بالعوض دواجی بیان کے اُس کے خود الفاظ اور کاموں سے اُس کی مصیبت  اور موت اُس کا جی اُٹھنا اور آسمان پر چڑھ جانا دیکھتے ہیں۔ وہ ایسا انسان تھا کہ اگرچہ وہ الہامی اختیار سے کہتا اور کرتا تھا تاہم مفلسی میں رہتا تھا یہاں تک کہ اُس کو  سر رکھنے کے لئے جگہ نہ تھی اور ہر قسم کے لعن طعن  اور بے عزتی برداشت کی اور ایک زلیل موت یعنی بدمعاش کی موت پائی وہ ایسا انسان تھا کبھی چھیڑ چھاڑ سے ناراض نہ ہوا کبھی فطرتی  اِسرار سے گھبرانہ گیا کبھی کسی خطرہ سے نہ ڈرا۔ ایسا انسان جو تمام صحیفوں میں پاکیزگی کا یکساں نمونہ بتا رہا آلہی صداقت کا  معلم یکساں رہا۔  گناہ کو یکساں ملعون کرتا رہا اور  توبہ کرنے والے گنہگاروں  کا یکساں بخشنے والا۔ وہ ایسا انسان تھا کہ کسی خدمتی کام  کے کرنے سے اپنے سے نیچ نہیں سمجھتا تھا باوجودیکہ وہ سردار کاہن اور یہودیوں کی مجلس کے روبرو  اپنے حق میں ابن آدم کے عہدہ کا دعویٰ کرنے اور  آیندہ میں قادر مطلق  کے دائیں طرف بیٹھنے اور بادلوں پر آسمان سے آنیکی پیشین گوئی کرنے میں نہ چوکا پس کسی کی یہ کوشش کرنی کہ بالعوض اس کے کسی دوسرے کو مسیح قرار دیں جو بانی  مذہب  عیسوی اور کل اس کی ممیزہ  صفات سے خالی ہو۔ ایک عام بائبل  کے پڑہنے والے کے نزدیک بھی جہالت اور بیوقوفی کا اظہار ہوگا۔

بائبل کی دوسری خاصیت جس کا اب میں زکر کرتا ہوں  اِس کا سکوت  اُن خاص باتوں کی نسبت ہے جنکی نسبت آدمی  روحانی وجود زات  صفات کے جاننے اور روحکی حالت اور قیام بعد موت  کے دریافت کرنے اور آدمیوں کا ارواح  یا مرُدوں سے گفتگو کرنے کے بہت خواہش مند معلوم ہوتے ہیں اِن معاملات  کی بابت بائبل  میں کچھ بھی نہیں پایا جاتا البتہ ہم اس سے معلوم کرتے ہیں کہ روحیں ہیں یعنی فرشتے جو خدا کی طرف  سے بھیجے جاتے ہیں کہ اُن کے لئے جو وارث  نجات ہین شیاطین کو کچھ عرصہ  کے لئے انسان  پر حاسدانہ اژ کی کوشش کرنے کے لئے اجازت ملتی  لیکن بعد میں ان کو اپنی شرارت کے لئے راست جزا ملیگی ہم یہ کہ سکتے ہیں کہ مرُدوں  میں سے بعضے مسیح میں سوتے ہیں اور زندگی میں جی اُٹھنے کےواسطے  انتظاری کرتے ہیں اور دوسری ہلاکت میں جی اُٹھنے کے لئے محفوظ کر دئے گئے ہیں بیبل میں صرف اس قدر  دونوں امورات مذکورہ کی نسبت بیان ہے اس میں یہ بیان نہیں ہے کہ آیا  یہ ممکن  ہے کہ مرُدوں  یا ایسی ارواح سے جو خدا سے بطور قاصد ہمارے پاس بھیجے نہیں جاتے۔ گفتگو  ہو سکتی ہے بار بار نہایت زور کے ساتھ ایسا اقدام کرنے سے منع کرتی ہے۔ ہمکو یہ نہیں بتایا گیا  ہے کہ آیا  وہ جو مالوفِ ارواح یا ساحر  سے صلاح  کاا رہونے میں دم بھرتے ہیں دغا باز ہیں یا کسی بھول میں ہیں یا درحقیقت کسی دوسری دنیا کی ارواح سے افشاء راز  پاتے ہیں لیکن یہ صاف  طور  پر بیان کیا گیا ہے کہ ایسا ہر ایک آدمی خدا کے نزدیک  نفرتی ہے اس کل بیان  میں نائبلکی متفرق  کتابوں کے درمیان پوری پوری  مطابقت پائی  جاتی ہے۔ اب میں چند مختلف قسم کی خصوصیات کا زکر کر ونگا۔

منجملہ ان کے ایک بائبل کی پاک وساف  و نیک تعلیم ہے۔ اسکی تردید بعض بعض اوقات اس طرح پر کیجاتی ہے کہ بائبل یہ ظاہر کرتی ہے کہ خدا دیدہ  و دانستہ رسوماتو روایات کو جو ظاہر اً  برُی ہیں مقبول  ٹھہراتا۔ اور ان کاموں کو جو ہر ایک آدمی کی طبیعت کے بر خلاف ہیں حکم یا ترجیح  دیتا  ہے لیکن اگرچہ ہم کافی وجہ اس بارہ میں دینے  کے ناقابل ہیں کہ کیوں خدا نے غلامی یا کثیر الازدواجی یا فحش عورتوں کو گھرمیں ڈال لینے کو منع کیا۔ اور نیز کیوں اسرائیلوں کوضکم دیا کہ کنعان کے باشندوں کو نکالدیں اور کیوں ظاہراً  عیہود کو عجلوں سے اور جیل کا سسرا سے مقتول ہونے میں خوشی ظاہر کی  لیکن ہماری  ناکامیابی  خدا کے اغراض  کےبیان میں اور دیگر  امورات ہیں جو انسانی سلوک  سےمتعلق ہیں بائبل  کی نیک خاصیت  پر اثر  نہیں کرتے۔ بائیبل ہر موقع پر خالص نیکی سکھلاتی  ہے اس کے سبب سے  قدیمی نوشتوں کے احکام  یہ ہیں تو  خون نہ کرنا۔ زنا نہ کرنا۔ چوری نہ کرنا۔ جھوٹھی گواہی  نہ دینا۔ لالچ نہ کرنا۔ اور ایک نبی کے پاس آٹھ سو برس بعد کے یہ ہیں۔ اُس نے تجھے  اے آدم جو کچھ بھلا ہے بتایا اور تجھے خداوند کیا چاہتا ہے۔ مگر یہ کہ تو راستی  کرے اور رحم  سے محبت  رکھے۔ اور خدا کے ساتھ فروتنی سے چلیں اس سے کل اُس کی متفرق کتابوں کی تعلیم  ملتی ہے اور یہ جائے غور ہے کہ اُس کی کسی کتاب میں شروع  سے آخر تک ایکل جملہ بھی  شہوت۔ بے انصافی۔ لالچ۔ یا بد خواہش  کا نہین پایا جاتا ہے سب طرح کی ناراستی فریب دشمنی اور جو کچھ شائستہ  لوگ برُا بتاتے  ہیں بائبل خدا کے لوگوں کو دور  رہنے کو سکھلاتی ہے ۔ اور جو باتیں ٹھیک راست اور واجب ہیں ان کو کرنے کو بتلاتی ہے پس کیا میرا دعویٰ ٹھیک  نہیں ہے کہ بائبل  کی  ایک خاصیت  اِس کی پاک صاف و نیک تعلیم ہے۔

  ماسوا اس کے جوں جوں ہم اس کتاب کو پڑہتے ہیں اسکی تعلیم بتدریج  عالی اوع روحانی  خاصیت کی معلم ہوتی ہے جو کہ تشریح اس امر کی  کریں اس میں شک ہے کہ ہم پر اُنے عہدنامہ کی سابق  کتابوں سے لے کر پچھلی  کتابوں  تک مطالعہ کرنے سے معلوم کرینگے  انبیاء  اور پھر نہایت  صراحت  کے ساتھ پرانے عہد نامے کے بعد نئے عہد نامے کے مطالعہ کرنے سے کہ کیونکر ہمارے  خداوند  اور اس کے رسولوں نے موسیٰ  کی  توریت کی بنیاد قایم کر کے  اس پر اپنی خاص روحانی تعلیم کاڈھانچہ بنا لیا خاص خاص آیتوں کے ھوالے دئیے میں بہت وقت صرف ہو گا لیکن اسی معنے کے امثال  دینے میں  یسعیاہ کے پہلے باب کی دسویں آیت سے بیس (۲۰)  تک حوالہ دیتا ہوں جہاں  نبی بیان کرتا ہے کہ کس قسم کا نماز روزہ خُدا کو پسند ہے اور کس طرح سب کا دن پاک رکھنا چاہئے میں تمکو اپنے إبارک خداوند کی پہاڑی وعظ  اور کل احکام  کا اختیار جو اُس نے خدا اور ہمارے پڑوسیوں کی محبت میں ظاہر کیا۔  یاد دلاتا ہوں  اِس تدبیر کا ازحد حساب پیغمبر  اپنے اظہار جو انسان کی پیدایش کے بارے م،یں ہے اس بتدریج اعلیٰ  نیک  تعلیم سے کہیں زیادہ قابل  لحاظ ہے۔ لیکن میں اِس کا بیان  نہ کرونگا کیونکہ اگر  بیان کروں تو بائبل  میں تسلیم کرنا ہوگا کہ فوق  انسانیت  وجود کا بیان ہے جس سے میں اس موقع پر  در گزر کرنا چاہتا ہوں ۔

بائبل کی نیک تعلیم کا ملاحظہ ہمکو بذاتہی متوجہ کرتا ہے کہ ہم اُس کی متواتر التجا جو جانب انسانی ضمیر اور عقل ہے غور  کریں۔ بائبل ہمیشہ انسان کو اس آئین کے بموجب سکھاتی ہےکہ اُسے مان لینا چاہئے اور راغب ہونا چاہئے نہ کہ اُس کی ایمان اور فرمانبرداری  اطاعت  کرنی  چاہئے ۔ اس کے الفاظ یہ ہیں کہ ہمنے تمہارے سامنے زندگی اور موت برکت اور لعنت رکھدی ہیں پس زندگی کو چُن  لو وہ بدکاروں کو ان کی بیوقوفی کے سبب ملامت کرتی ہے۔  تم اس طرح  پر اے بیوقوف  اور نادان  لوگو خداوند  کو چھوڑ دیتے  ہو وہ خدا کو ایسا بیان کرتی ہے  گویا وہ اپنے لوگوں کی شکایت کرتا ہے کب تک تم اے جو سادہ لوح ہو سادگی کو پسند کروگے۔ اور اے کفر بکنے  والو کفر کو کب تک  پیار کرو گے اور اے بے وقوفوکب تک دانائی سے نفرت رکھو گے میری ملامت پر پھرو۔ اسیطرح پر آنے عہد نامے کے کل انبیاء  تحریر کرتے ہیں اسیطریقہ میں باربار خداوند یہودیوں سے کہتا ہے اگر میں حق کہتا ہوں تومجھ پر ایمان کیوں لاتے۔ اور  نبی طبعال کے لئے ۔ اگر  آپ یہ فرماویں کہ اُنکا کیا علاج تو بہتری کہ آپ خدا سے دریافت کریں شاید وہ کسی شفیع  کا آپ کو پتہ  بتلاوے اور میری  سمجھ میں یہ بات نہیں آتی کہ آ  پ کو  پلید  روحوں کی زمہداری کس نے دی۔ میرا خیال ہے کہ آپ  اُن ہی سے دریافت کریں کہ وہ اپنے حق میں کیا سوچتی ہیں۔ ( متی ۸: ۲۹)’’  اور دیکھو اُنہوں نے چلاّ کے کہا کہ اے یسوع خدا کے بیٹے ہمیں تجھ سے کیا کام تو  یہاں آیا کہ  وقت سے پہلے ہمیں دکھ دے‘‘۔ دشمنوں کو  ہر زمانہ میں موقعہ ملا کہ وہ اُنکی نسبت  کلام کفر  نکالیں  بہت حالتوں مین وہ ایسے  تھے کہ ہم ان کے قصوروں کو بہ سبب ان کے معمولی  چال چلن  کے ایسا نہیں سمجھتے کہ وہ ایسے افعال کرنیکے قابل تھے۔ اِبراہیم نے جو بالخصوص  خدا پر اپنا ایمان رکھنے کے لئے مشہور تھا دوبارہ اپنی  بیوی  کو ترغیب  دی کہ وہ اپنے آپ  کو اُس کی ہمشیرہ  ظاہر کرے تاکہ وہ اپنی زندگی کے ایک متصور خطرہ سے بچ جاتے موسیٰ جو اپنی حلیمی کے باعث  مشہور تھا ایک دفعہ  غضبناک  ہو کر  بو لا  اور ایک ایسا بیجا اور نا مناسب کام کیا کہ کدا نے اسے ملک کنعان میں داخل نہو نے دیا ۔ شاہ سلیمان جو سب سے زیادہ عقلمند تھا بت پرستی کی بیوقوفی میں برگشتہ ہو گیا۔ الیاس  جو انبیا میں سب سے بہادر تھا اِسرائیل کے دھمکا نےپر اپنی جان بچانے کے واسطے  بھاگ گیا۔ اور ایسا معلوم ہوتا ہے کہ کچھ عرصہ  تک نا اُمیدی کی حالت میں رہا۔ حزقیاہ جو ایک  نیک بادشاہ تھا جب خدا نے اسے چھوڑ دیا تاکہ اُسے آزمائے تو اُس نے اپنے ذاتی غرور اور جھوٹھے فخر کا اِظہار کیا۔ داؤد جو خدا کے اِرادوں  کو جانتا تھا وہ بہ سبب معیوب تقصیر  زنا جاری کے قتل کیا گیا اور پطرس رسول نے جو مسیح کا سب سے زیادہ سرگرم شاگرد تھا اس نے آلہی مالک کا تین مرتبہ انکار کیا یہ خاصیت۔ نہ صرف ایک ہی یا زیادہ کتابوں سےمتعلق ہے بلکہ پوری  جلد سے۔

اس کےراست بیان  کے ساتھ جو خاص کاص اشخاص کے قصور کی نسبت وہ سکوت جلد میں قومی  نیکیوں کی  طرف یا اطراف میں ہے قابل غور ہے۔  بائبل میں اِسرائیلی  لوگ جنہیں خدا نے کاص اپنی قوم چن لیا تھا اور جنہیں اُس نے اپنے فرمان اور حکم  جو اور لوگوں کے پاس نہ تھے عطا کئے۔ روئے زمین کی کل قوموں میں افضل  بیان کئے گئے  ہیں لیکن اس کے ساتھ یہ بھی بیان  ہے کہ وہ حقوق جنہیں وہ استعمال کرتے تھے۔  ان کی راستبازی  کے باعث اُنہین نہ ملے کیونکہ وہ سرکش لو گ تھے  اِسی طرح جب ان کے دلیر انہ کام مثلاً ملک کنعان کی فتحیابی  مدیانیوں کا جدعون اور اُس کے تین سو آدمیوں سے ہلاک ہونا  اور دوسرے کام جو یونانیوں اور رومیوں کے بہادروں سے بڑہکر تھے کا زکر ہوا ہے تو ان کی عظمت نہیں کی گئی ہے بلکہ صرف  خدا ہی کی تعریف ہوتی  ہے تاکہ وہ یہ کہ سکے کہ میری  طاقت یا میرے بازو کی توانائی سے یہ ہوا وہ ہوا۔  اُن کی عظمت  اور تعریف  کی صرف ایک ہی مثال یاد ہے وہ ڈیبو را کے گیت میں زبلون اور نفتالی کی بابت ہے کہ وے اپنی جان کو موت کے  خطرے میں میدان کی بالا جگہوں میں ڈالتے تھے دیگر مورّ خان مثل تھیوسی ڈایئسڈینر اور ٹاسیٹس  نے بلا رعایت خطاؤں اور قصوروں کا بیان کیا اور دوسرے شاعرمثل  جونیل اور جانسن  کے اپنے ہموطنوں کی بدی کا بیا ن کیا۔ لیکن دنُیا نے ایسے مستقل  سکوت کی نسبت جسے ایک سلسلہ مورخوں  اور شاعروں نے قومی اخلاقی کی بابت جن سے وے متعلق تھے  اور جن کے واسطے اُنہوں نے لکھنا اِختیار کیا  کبھی کوئی دوسری مثال نہیں پائی ہے مینے صرف پرانے عہد نامے کے نوشتوں کا حوالہ دیا  ہے لیکن یہ کیفیت نئے عہد نامہ کے نوشتوں سے متعلق ہے  صرف فرق یہ ہے کہ اِن  میں  یہ واقعات ایسے تعجب انگیز نہیں ہیں۔

میں پچھلے واقعہ کے متعلق بائبل کی دوسری خاصیت کا زکر کرتا ہوں کہ جن قومونپر اُس کے مختلف نوشتوں میں اسرائیلیوں پر ان کی بت پرستی  اور دوسری بدکاریوں کے باعث خدا کی بہت سخت سزاؤں کی دہمکیاں ہیں۔ اِنہی نوشتوں میں اکثر اُن وعدوں کا زکر ہے جو وہ اُن کو بسبب ایک قوم ہونیکے آخر میں معاف کرنیکو کہتا ہے اور یہ کہ آیندہ میں اُن کی سر فرازی اور بڑھتی ہو گی ۔بے شمار دہمکیاں اِستثنا اور نیز ہر ایک  پیغمبرانہ کتاب میں اِبتدائے برکتوں کی پیشین گوئی کے ساتھ قریب قریب ہمیشہ  پائی جاتی  ہیں۔ نہ صرف موسیٰ بلکہ یسعیاہ۔ یرمیاہ۔ ہوسیا۔ یوئیل۔ عاموس۔ ابدیا۔ میکا۔ ہباکوک۔ انبیا جو بابلوں کی اسیری  کے ماقبل رہ گئے تھے اور حزقئیل و دانیل جو اس زمانہ میں تھے حاجی اور زکریا اور ملاکی جو اُس ے بعد گزرے کسی نہ کسی طرح یہی ظاہر کرتے ہیں کہ خداوند اُن کا خدا پھر قوم اِسرائیل کو اسیری  سے رہائی  دیگا اور وے اپنے شہروں کو بنائینگے اور بسینگے۔ وے اپنے انگور کے باغ  لگائینگے اور اُن کے میوے کھائینگے۔ وہ اپنی زمین کو آباد کرینگے اور پھر کبھی نکالے  نہ جائینگے۔  پرانہ عہدنامہ کے نوشتوں میں  اس قسم کی بہتیری  مثالیں پائی  جاتی  جو نیز نئے  عہدنامہ سے مطابقت  کرتے ہیں۔ ہم ایک مثال اپنے خداوند کا یروشلم  پر ماتم کرنے کی نسبت پاتے ہیں جیسا کہ اُس نے اس شہر کی  آنے والی  بربادی کی بابت پیشین گوئی  کی  اور کہا میں  تمسے  کہتا ہوں  کہ اب آگے  کو تم مجھکو  ندیکھو  گے جب تک تم نہ کہو  کہ مبارک ہو وہ جو خداوند  کے نام  پر آتا ہے۔  اسطرح  اُس نے خبر دی کہ ایک وقت آئیگا جب یہودی اس کو پھر دیکھینگے اور اس کا استقبال  اپنے  چُھڑانے والے کی مانند کرینگے۔  دوسری  مثال رومیوں کے خط میں ہے جہاں کہ پولوس رسول خدا کے سلوک کا  حوالہ اِسرائیلیوں کے ساتھ دیتا ہے کہ اِسرائیل پر ایک طرح کا اندھاپن  آپڑا ہے اور جبتک غیر قوموں کی بھرپوری نہ ہو یہ رہیگا۔ اِسیطرح تمام اِسرائیلی بچ جائینگے اُن کے ثبوت میں یسعیاہ نبی کے کلام کا حوالہ دیتا ہے کہ چھوڑانیوالا صحیون سے نکلیگا اور بیدینی کو یعقوب  سے دفع کریگا۔

دو اور خصوصیات  ہیں جنکو مین در گزر کرنا نہیں  چاہتا ہوں ایک تو بائبل کی سادہ  طرز گو ناگوں معجزات واقعات  کے بیان کرنے کاجو اس میں مرقوم نہیں ہے۔ ایسا معلوم ہوتا ہے  کہ اُسکا ہر ایک تب خدا دنیا وی  بندوبست و اِنتظام کا ایسا متقّین ہو گیا تھا کہ اس کی قور جے کیس عجیب ظہور کو وہ ایک تعجب کی بات نہیں اور نہ مثل  منکرِ  کلام اﷲ  کے حّجت  کے بلکہ صرف  اس طور پر مانگتا تھا۔ کہ وہ ایک زریعہ ہے جسے وہ خاص خاص  موقعوں پر اپنا  اختیار  ظاہر کرنے کے لئے اِستعمال کرتا ہے تاکہ  آدمی اُسکی  مرضی کو پہچان کر ویسا ہی کرے اِس لئے بائبل میں ہم معجزانہ واقعات  کو تاریخی واقعات  سے بالکل علیحدہ  نہیں کر سکتے واقعات ثابت کے مابعد الزکر سے اس قدر ملےِ جُلے  ہیں کہ ایکدوسرے سے جدُا نہیں ہو سکتے پس اگر پہلا مانا جاوے تو دوسرے کو بھی قابل  اعتبار تسلیم کرنا پڑیگا  تعجب کی بات ہے کہ زمانہ حال میں اس کا  اکثر خیال نہیں کیا جاتا ہے۔ 

سب سے آخرئ خاصیت بائبل کی اس کی یکساں طرز آلہی  اختیار کی ہے میرا یہ مطلب  نہیں ہے کہ فی الحقیقت  ہر ایک کتاب کا یا کسی مکمل جز کے سوائے خدا  یوحنا کے مکاشفات  کے کہووہ  خدا کے الہام سے لکھی گئی لیکن اِن سبھوں میں ایسی سدا ہے جو  اگراس  نوع پر لکھی نہ جاتی تو  کاتبوں  پر نقص عاید ہوتا شاید یہ قابل لحاظ  نہیں ہے کہ تاریخی  واقعات ایسے طریقے سے بیان ہونے چائیں کہ جس سے داستان  کی سچائی  محبت  کے قابل نہ  رہے مگر بہت ہی لحاظ کے قابل  ہے کہ  تمامشرحیں جہیں کہیں وے لکھی گئیں اس طور پر مندرج  ہونی چاہئیں  کہ باالعوض غلط رائے ظاہر کرنے کے اس میں ایک ایسی فہم  اور عقل پائی جاتی ہو غلطی کرنے کے ناقابل  ہو۔ علاوہ اس کے  جتنے خواص اور بیان خدا کے بارے میں ہوں  اس کے وعدے  احکام اور دہمکیوں سے ثابت ہونے چاہئیں کہ یا ان سے یہوداہ  کے اِرادے مرضی  اور منشا ظاہر ہوئے ہیں۔ یہ ایک خاصیت  کل پرُانے  عہد نامےکے نوشتوں کی ہے اور ہمارے خداوند  نے اُس کے مطابق اسکی نسبت کہا کہ ان میں یہودی قوم کی نسبت پہلا وسوسا ایمان  لانے  اور بے حیا  فرمانبرداری  کا موجود ہے الہیٰ اِختیار خطوط میں پوشیدہ طور پر ظاہر ہیں۔ ہماگین سدائے عہدنامہ کے نوشتوں میں جگہ جگہ  پائی جاتی ہے۔  اول کے چند خطوط میں جو خاص خاص  کلیسیاؤں  کو لکھی گئیں ہیں اور نوشتوں کا ایک بڑا جز  ہے مصیبت کی ہمدردی  اسے مجبور کرتی ہے کہ انسانی رغبت کی سدا ان لوگوں کے ساتھ جن سے وہ مخاطب  ہے اور جن  کو  وہ  چاہتا ہے رجوع لائیں استعمال کریں اور شاید اِبتدائے مطالع  میں آلہیٰ حکم کے برعکس معلوم ہو گا تا ہمہمیشہ ظاہر ہو گا کہ یہ الہامی اِختیار  مصنف کی ہمدردی  کے بیان میں پوشیدہ طور پر پایا جاتا  ہے اور وہ یعنے پولوس ضعیف  اور یسوع مسیح کا قیدی محنت کرتی ہے اور کود بھولتا نہیں اور نہ یہ چاہتا ہے کہ دوسرے بھول جاویں مانند ایک رسول کے اُسے مسیح میں اور بھی زیادہ دلیر ہونا چاہئے نہ کہ وہ ان باتوں کو حکم کرے جو راست ہیں نیز وہ طریقہ جس میں وہ سفارش کرتا ہے اور حکم ہی دینا ثابت  کرتا ہے کہ وہ کس اِختیار سے لکھتا ہے یہی بائبل کی تعریف  ہے۔ جو کہ گویا ایک مجمع مذہبی نوشتوں سے ایک تاریخی  ڈہانچے میں سازو سامان  سے بنی ہے اور مسیح  کی عام کلیسیا سے مسلم ہو کر اٹھا رہ سو برس میں مجلد ہوئی۔  وہ اِیسی کتاب ہے جو اپنی عجیب  نوعیت  اور جدا جدا حصوں  کے مکمل سازگاری  سے خدا اور انسان کی لاثانی تصنیف سے اور اس سے بھی زیادہ اپنی عجیب بے وصل تصویر  یعنے تصویر خدا بشکل انسان یعنے یسوع  مسیح  سے اور اپنی سکوت کی خاصیت سے جو عالمِ ارواح  کے بارے  میں ہے اور جس کے لوگ واقع کا ہونے میں زیادہ آس مند ہیں۔ اور اپنی یکساں راست اور بتدریج  اعلیٰ خلقی تعلیم سے اپنے متواتر آرزو  اور لعنت  سے آدمیوں کے ضمیر و عقل  سے اپنے سادہ بیان  اور نیک آدمیوں کے بڑے کام سے اپنی قومی نیکیوں کی سب  تعریف یا اطراف سے اپنی آیندہ کی لاچانی قومی بہبودی اور بڑہتی کے  وعدوں  سے اور آخرش اپنے سیدھے سادھے  معجزانہ وقفوں کے بیان کرنے سےاور اپنے آلہی اختیار کی یکساں سدا سے مشہور و معروف ہے میں شاید چند امورات کا بیان فروگزاشت  سرگیاہوں جنکی نسبت تمہارا خیال ہو گا کہ اُن کا بیان کرنا لازم ہو گا لیکن اس قدر نوشتوں کی مجلد کتاب کا عجیب خاصیت  ثابت کرنے کے واسطے  کاف ہے کہ کوئی کتاب اس کے مقابلےمیںنہین ہے اور وہ لاثانی  یکتا کتاب ہے۔ 

اب مجھے صرف کتاب مقدس کی تاثیرات کے بارہ میں کہناباقی رہ گیا ہے جو کہ میرے مضمون کا تیسرا جز ہے وہ دو وعدوں  میں غور کیاجا سکتا ہے اول وے جو کہ صرف پرُانے عہد ناموں کے نوشتون سے پیدا ہوتے  ہیں اور دوم وہ جو پرُانے  اور نئے دونوں عہد ناموں  کے نوشتوں سے ظاہر ہوتے ہیں پیشتر پرُانے عہد نامہ کیطرف میں تمہاری توجہ مبزول کروانی چاہتا ہوں ۔

پُرانے عہدنامے کے نوشتوں کی تااثیر بنی اِسرائیل کے ایک  خاص قوم بن جانے اور اُنکی محافظت یکساں رہنے میں ملک کنعان میں باد ہونے کے وقت سے لیکر یروشلم کی بر بادی تک جو رومیوں نے کی مختصراً بیان کیا جا سکتا ہے۔ چند لمحوں تک اس قوم کی تواریخ وصفت و تاثیر کی  بابت جو دنُیا میں نمود ہوئیں غور کرو۔ یہ تسلیم  کر کے کتاب مقدس کی عام سچائی ثابت ہو گئی ہے ہم اِس سے معلوم  کرتے ہیں کہ بعد مصر چلے جانے کے اور ملک کنعان پر قبضہ  کر لینے کے اُنہوں نے پندرہ  سو برس  تک ہر قسم کے تبدلات  دیکھے بار بار اُن  کے ملک پر حملے ہوئےاور اُجاڑ کر دیا گیا اُن کے شہر برباد ہو گئے اورنہایت سخت ظلم  سے سلوک کئے گئے اور اکثر تھوڑے سے رہ گئے تاہم بار بار دشمنوں کے ہاتھ سے بچائے  گئے اپنی آزادگی حاصل  کی۔ اور سابق کے موافق اور زیادہ اقبالمند ہو نگے۔ داؤد اور سلیمان کےعہد سلطنت  میں کل گردونواح  کی قوموں پر حکمران رہے اور بعد ازاں وہ  دو سلطنتوںاسرائیل اور یہودا  میں منقسم ہو گئے جن میں سے ماقبل الزکر برباد ہو گئے اور باشندگاں اسیریوں سے مقّید  ہو گئے  اور سلطنت بابعد  کو بادشاہ  بنو کہ نظر  فتح کر کے وہااں کے باشندوں کو شہر بابلون میں لے گیا۔ بابت دس فرقوں کے جو سلطنت اِسرائیل میں شامل تھے ان کا آگے بیان نہیں ہے پر دوسرے فرقوں  یہودا اور بنی یامین یا  ان  کا ایک بڑا  شمار بابلوں سے واپس آکر پھر ملک کنعان  میں سے جہاں رومیوں سے قطعی طور پر پراگندہ کئے جانیکے  وقت تک رہے بیان ہے یا مابین  ان کل صدیوں کے اور تبدل حال کے اقبالمندی اور تنگ حالی میں مشُترکہ  اور دو جداگانہ سلطنتوں میں قبل حملہ اسیریوں کہ یہ بارہ فرقے اور باقی دو فرقے  ہمیشہ ایک ہی قوم لیکن دوسری قوموں سے علیٰحدہ اور جدُا رہی۔ لیکن ان کی تعریف کی اس موقع پر اُن کی جدااگانہ خاصیت کیا تھی۔ ایک خاص بات جوان میں دیکھی جاتی ہے یہ ہے کہ کلُ  قوموں میں وہی صرف ایک خدا کی پرستش بطور خالق پروردگار  اور جہان کے مالک کے جو صرف آدمیوں کی پر ستش  اور خدمت کے لایق اور مناسب ہے کرتے تھے باوجودیکہ اُنہوں نے اپنے غیر  قوم پڑوسیوں کی بت پرستی کی رسموں کو کم و بیش عرصہ کے لئے قبول کر لیا تھا تس پر بھی وہ مابین اِن پندرہ  سو سالوں  کے بطور شاہدان  دنیا خدا کی و حدانیت  اور بتوں  کی پر ستش کو بُطلان  سمجھتے رہے۔ پھر پرُانے  عہد نامہ کی تاریخ اور پیغمبرانہ کتابوں  کو ہوشیاری سے ملاُحظہ کرنیسے معلوم ہو گا کہ بنی اِسرئیل  دوسری قوموں سے اپنی اعلیٰ اخلاقی ملکی آزادگی اور آپس کی  خانگی خوشی کے باعث مشہور تھے اکثر جبکہ نبیوں نے اُن کو بہ سبب اُن کی ناراستی بدی۔ لالچ۔ ریاکاری اور رسم کے ملامت کی تو ممکن ہے کہ ہم اُن کو  ایک قوم بن جانے کی نسبت برُا خیال کریں۔ لیکن اگر ہم اِس طریقہ  کو جس میں غیر قوموں کی برُائیوں کا بیان ہے غور کریں۔اور نیز یہ کہ کیونکہ اُن کو برُائیوں سے پرہیز کرنیکی  نصیحت  دیگئی تو ہمکو اعتبار  کرنے کی وجہ معلوم ہو گی۔  کہ وہ  ایسے برُے نہیں تھے جیسا ہم اس سے پہلے اُنہیں قیاس  کرتے تھے اور جو تشبیہ غیر قوموں کی پولوس  رسول نے رومیوں کی کتاب میں دی ہے وہ اُن  سے بالک متعلق نہ تھی اور اس عرصہ دراز تک جس میں وہ غیر ملکی حملوں سے محفوظ رہے۔ اُن  کی آپس کی اور خوانگی خوشی  جنہین ہم اس بیان سے جو سلیمان کے عہد میں ہوا ہے معلوم کر سکتے ہیں ۔ یہ سب ہر ایک صحیح سالم اپنے انگور اور انجیرکے درخت کے نیچے رہتے تھے اور نہ صرف بہ سبب اپنے عالی اخلاق کی وجہ سے ایک  خاص  قوم سمجھے جاتے تھےبلکہ وہ کہیں زیادہ  ممتاز شخصوں کی نیکی کی وجہ سے مشہور تھے۔ کس پرُانی  تواریخ  میں سموئیل اور نحمیاہ کی مانند ھکام یا یہوشفات حزقیاہ اور جوشعیا کی مانند بادشاہ جو اپنےانصاف  اور خوف خدا اور اپنے لوگوں کے فکر کیواسطے جن پر وے حکومت کرتے تھے معروف تھے پاتے ہیں یا مانند  دانئیل اور اُس کے تین ساتھیوں کے جواپنے کو خوفناک  ہلاکت میں بہ نسبت گناہ کرنیکے ڈالنے کو راجی تھے یہ ایسے لوگ جن کی نسبت ہم زبور سے سیکھتے ہیں جو ہز زمانہ میں پائے جاتے تھے اور خدا کے  وفادار بندے تھے اور ہر خطرہ میں اس سے مدد اور غموں  میں تسلی چاہتے تھے اور جن کو قوت دی تھی اور خوشی تعریف اور شکر گزاری کرنے میں بگی دیکھتےہیں  درباب اِسرائیلیوں  کے دُنیا پر  موثر ہونے کے یہ یاد رکھنا چاہئے کہ جب ان کا اگلے زمانہ کی خاص  قوموں یعنی مصریوں اِسیریوں پارسیوں یونانیوں  اور رومیوں  سے متواتر سروکار پڑا  تو یہ ان کے مذہب کی خصوصیات  دے باری باری واقف ہو گئے اور اُن کی قومی اور شخصی  خاصیت  کو جان گئے  دو خاص امثال  ہم دانیل کی کتاب میں انکی  تاثیروں کی جو اُنہوں نے  اس طور پر ڈالیں  بابل کے بادشاہ نبوکدنظر اور میدی اور فارس کے بادشاہ دارا میں پاتے ہیں۔ یہ بھی یاد رکھنا چاہئے کہ اس میعاد کے درمیان جس میں شاہ نبوکد نظر نے یروشلم  مانند حالت موجودہ کے دُنیا کے کل شائستہ ملکون پر منتشر ہو گئی۔اور جہاں کہیں وہ رہے اُنہوں نے یکساں شہادت اپنے کاص ملک کے عبادتخانے  میں پر ستش کرنے اور دوسری طرف سے الوُہیت کی یگانگت  اور بتُ پرستی  کو بُطلا سمجھتے ہیں  دی ۔ اس  شہادت  کے نتایج کو ہر خاص  ملک میں  دریافت کرنے کا ہمارے پاس کوئی زریعہ نہیں مگر وہ واقعات  جو گاہ بگاہ اعمال کی کتاب میں مندرج ہیں۔ مع دیگر تاریخ گزشتوں کے ثابت کرتے ہیں کہ وہ کم نہ تھے۔ بعد اِختتام ہونے اِس زمانہ کے جس میں زکر کرتارہا ہوں یعنے ہمارے خداوند  یسوع مسیح کے پیدا ہونے کے قریب ایک عام  اُمیداُن  کے درمیان پائی جاتی تھی جیسا کہ  تمکو یا د ہو گا کہ کہا گیا تھا کہ داؤد  کے خاندان  سے ایک پیدا ہو گا جو اُن کابادشاہ  اور مسیح یعنے مسح کیا ہوا خدا کا ہوگا وہ اُن کی قوم کی بزرگی  اور اقبالمندی کو پہلے  کے برابر بلکہ اس سے بھی زیادہ بڑہائیگا لیکن جب وہ یسوع ناصری جس  کے بارے میں مسیحیوں کاایمان ہے کہ وہ اُمین اُس میںپوری پو گئی  انکے پاس آیا تو اُنہوں  نے اس کو رد کیا اور صلیب دینے کے واسطے پکڑ لیا۔ اُسکے بعد ۷۰ برس کے اندر شہر اور ہیکل برباد کر دئے گئے اس وقت سے ابھی تک یعنے کچھ اوپر اَٹھارہ  سو برس سے کہ وے تمام روئے  زمین پر پراگندہ ہیں۔  اور اگرچہ نہ اُن کے پاس کوئی ایسا ملک تھا جسے وہ اپنا کہ سکتے۔ یا کوئی ہیکل جسمیں وہ مزہبی رسومات  کی یادگاری کرتے اور ھالانکہ نہایت سنگدل  کے ساتھ ستائے گئے تاہم اُنہوں نے اپنی  جداگانہ قومی خاصیت قایم رکھی اور دوسرے لوگوں کے درمیان رہ کر بعض اوقات بڑی اقبالمندی  اور بعض اوقات سخت تنگی میں رہتے ۔ہر قسم کے ملک کے بادشاہ قومی  دستور اور خانگی حالت میں مبتلا ہو کر باوجود اُس دشواری کے جس سے بعض اوقات اُن کی باہمی آمد و رفت ناممکن ہو گئی۔  اُنہوں نے اپنی  قومی پہچان قایم رکھی اور سابق کی کل باتیں یاد رکھیں اور علاوہ اس کے جو اس سے زیادہ غور  کے لایق ہے یہ ہے کہ وہ ایک آیندہ  کے نجات دینے والے کی اُمید کرتے  چلے آتے تھے۔  یہ خیال کر کے  کہ اُن کے سب لوگوں کو ایک جگہ اکھٹا کریگا۔ اِس طرح فی الواقع عجیب تواریخ  زمانہ حال سے لے کر زمانہ سابقا کے بہت برسوں  کے مابین جس کی  اُنہوں نے اپنی جداگانہ خاصیتیں  قایم رکھیں معلوم ہو سکتی ہے۔ اور نسبت اُن کے ایمان اور مزہبی رسومات کے اُن کی علیحٰدگی دُنیا  اور قوموں سے اور اُن کا باہمی رشتہ فی الواقع اسی قوم کے لوگ ہیں جو زیرپیشتر یشوع کے جسے صدیوں گزر گئیں  ملک کنعان میں داخل  ہوئے اور اس پر قبضہ  کر لیا  اور اٹھارہ  سو برس ہوئے کہ مسیح پر اُس کے  مرتے دم قہقہا مارتے تھے اور یہ کہتے تھے کہ اگر وہ اسرائیل کا بادشاہ ہے تو اپنے آپ کو صلیب  پر سے اُتار دے تو تب ہم اُسپر  ایمان  لائینگے  پس سوال یہ ہے کہ کس سبب سے اِس قوم کی ابتدائی  بناوٹ اور مابعد  کی لگاتار  حفاظت قایمرہی۔ یقیناً جواب یہ ہے  کہ بائبل کی وجہ سے یعنی  پرُانے عہدناموں کے نوشتوں کے اِن حصوں کی وجہ سے جو سلسلہ دار اُن کی اولاد کے پاس  رہے اُن کی کل عجیب تاریخ کی حتی الامکان  یہ تشریح ہو سکتی ہے کہ ان کا مضبوط اور پختہ اِعتبار ان نوشتوں پر تھا ان کے مذہبی دستورات اور رسومات  کی تاثیر ان کی قربانیوں اور تیہواروں سے جن سے اُن کی جُدا گانہ قومیت قایم رہی اس بیان سے مطابقت کرتی ہے کیونکہ وے  رسومات اور دستورات کل شریعت سے جو نوشتوں کا ایک حصّہ تھا اور پس اُن کی تاثیر ات میں شامل  ہونا چاہئیں قایم کئےگئے تھے اور نہ خدا کی خاص مہربانیاں جو طاہر کی گئیں اور وہ معجزہجو اِسرائیلیوں کے لئے خدا نے وقت بوقت کئے اِس سے غیر متعلق  ہیں کیونکہ ایسے ایسے  خاص  آلہی توصل  قدراً یا معجزاً  سرزد ہوئے  جنسے  نوشتوں کی شرحوں کو عمل میں لائیں نہ کہ  ساقط کر دیں پس مین دوبارہ بیان کرتا ہوں  کہ پرُانے عہد نامہ کی کتاب کی تاثیر بلا تعلق نئے عہد نامہ کے یہ تھی کہ ایک خاص قوم جو کہ اوروں سے بالکل متفرق  تھی اُن کی حفاظت زمانہ موجودگی تک ہوتی رہی اور جوکہ دُنیا میں جب وہ ملک کنعان میں رہتے تھے اِس سچائی کے  تنہا گواہ تھے کہ صرف ایک خدا ہے۔اور اس کے سوا اور کو ئی نہیں جنہوں نے ابتک روُئے زمین پر دوسرے زمانہ  میں بھی جس میں پراگندہ  ہو گئے  اپنی پہچان  قایم  رکھی  اور حالانکہ صرف ایک خدا کی گواہی  دیتے تھے۔ تسپر بھی اُنہوں  نے یسوع ناصری کو اپنا منجی سمجھنےمیں مستقل طور پر انکار کیا اور دوسرے بچانے والے کی اُمید کرتےرہےکہ اِن کو سابق کے ملک میں پھر لیجائیگا اور بطور ان کے بادشاہ کے بادشاہت  کریگااور مین کل بائبل کی تاثیرات کا جو پرُانے اور نئے عہد نامہ سے تعلق ہے بیان کرتا ہوں تاثیرات مذکورہ سے یہ مختصراً بیان کیا جا سکتا  ہےکہ  ایک خاص جماعت جو اور قوموں  سے متفرق ہے یعنی مسیحی کلیسیا  اور اُن کی حفاظت  جو متواتر  کئی  صدیوں سے آجتک  ہوتی رہی متصور ہے اب ہم چند باتیں اِس جماعت کی بابت غور کریں۔  اور  کلیسیا  کی بنیاد  کی بابت  سوچو کہ اَٹھارہ سو برس سے زیادہ ہوئے کیونکر وہ یہودیوں میں سے جو چھوٹی  اور حقیر  قوم تھی نکل آئے  اور ان میں بھی اعلیٰ  درجہ کے اشخاص یا دینی سرداروں  میں سے بلکہ غریبوں اور مجاہلوں میں سےماسوأ اس کے ان کی تیز ترقی  بہت جلدی یہودیااور سامریا  اور قریب قریب کے ملکوں میں پھیل گئی  اورپھر وہاں  سے چند سالوں میں  رومیوں کے ملک میں  پہنچی۔ یہ امر قابل غور ہے کہ اس سے ہرایک  جگہ حاکموں  کا مقابلہ عوام کا ظلم اور بدسلوکی برداشت کرنی پڑی روم کے یکے بعد دیگرے بادشاہوں نے اس کو نیست و نابود کرنا چاہا  پر وہ قایم  رہ کر زیادہ  تر مضبوط  ہوتی گئی حتی کہ اِس نے شاہی مہربانی حاصل کی اور عیسوی دین سے غیر قوموں کا مذہب تبدل  ہو کر وہ رومیوں کی سلطنت  کا مستحکم  مذہب قرار دیا گیا اِسی طرح پر وہ جیساکہ تمکو  یاد ہوگا کہ شاہ جوین کی چند  روز سلطنت  کے سوا بڑہتا گیا پھر رومیوں کی سلطنت کی بربادی کے بارہ میں گور کرو۔ کہ جیونکہ اس اِنقلاب میں جو بعد میں وقوع میں آیا کلیسیا قایم  رہی اور وہ حالات جن پر ہم غور کرینگے جُدا قسم کے  ہیں قبل اِس کےکہ  عیسوی دین  کو شاہ کونسٹن ٹاین  نے روی سلطنت  کا مذہب  قرار دیا بہت سی برُائیاں تعلیم اور دستور کے بارہ مین مرّوج ہو کر کلیسیا میں پھیل گئی تھیں اور زیادہ  تر بعد میں پھیلتی چلی گئیں حتٰی کہ وجہ سے ساتویں صدی میں محمدیوں  کا آغاز  اور اُن کی فتحمند ترقی مشرقی ملکوں میں شرع ہو گئی اور صدی مذکورہ مابعد میں رفتہ رفتہ روم  کے بشپ کا تسلط مغربی ملکوں میں ہو اور بارہ مشرقی کلیسیا کے جو محمد اور اس کے پیرو کاروں سے ہلاک کر دی گئی کچھ اور ان سے زیادہ بیان  نہیں کیا جائیگا  حالانکہ  کسیقدر  بیرحم  ظلم  جو اُن پر پہلے  کئے گئے تھے بچکر  وہ اب تک بگڑی ہوئی اور برُی حالت  میں موجود ہے اور اِسرائیل کے دس فرقوں کے ابھی تک اپنی صادقہ پاکیزگی اور سر فرازی  حاصل  نہین کی لیکن مغربی کلیسیا پر  جیسا کہ پہلے  بنیامین اور یہودا کی بابت ہوا خدا کی مہربانی اور رحمت ظاہر ہو ئی۔ 

Palm Tree with Fruit

 

اِسرائیل کا خدُا رحیم ہے محمد کا نہیں

راقم۔۔۔۔ ب صَالح


The God of Israel is Merciful not the
Allah of Muhammad

Published in Nur-i-Afshan January 08, 1897

B.Saleh


’’اور  داؤد نے سلیمان  سے کہا اے میرے بیٹے میں جو ہوں سو میرے دل میں  تھا کہ خداوند اپنے خدا کے نام کے لئے ایک گھر بناؤں۔ لیکن خداوند کاکلام  اس مضمون کا مجھ  پر اُترا کہ تو نے بہت سے خونریزی کی اور بڑی لڑائیاں لڑیں تجھے میرے نام  کے لئے  گھر بنانا ہو گا  کیونکہ تو نے زمین پر میرے آگے بہت لُہو بہایا ہے۔ دیکھ تجھ سے  ایک بیٹا  پیدا ہو گا۔ وہ صاحب صُلح  ہو گا۔ اور میں اُسے اُس کی چاروں طرف کے سارے دشمنوں  سے صُلح دونگا۔  کہ سلیمان اُس کا نام ہوگا اور امان اور آرام میں اُس کے دنِوں میں اسرائیل کو بخشونگا۔ وہی میرے نام کے لئے  گھر بناویگا۔  وہ میرا بیٹا ہو گا اور میں اُس کا باپ ہونگا۔ اور میں اسرائیل  پر اُس کی سلطنت کا تخت  ابدتک ثابت رکھونگا ۱ ‘‘۔ ۱۔تواریخ ۲۲باب 7سے ۱۰آیت۔

وہ رحیم خدُا۔ جس نے داؤد کو اجازت  دی کہ اُس کے نام کے لئے زمین  پر پتھر اور لکڑی  کا ایک گھر بناوے۔ کیونکہ داؤد  نے خدُا  کے دشمن  کافر  فلسطیوں کے خون کئے تھے۔ وہ رحیم خدا۔ جس نے یوناہ نبی کو کہا تھا  ’’ کیا مجھے لازم نہ تھا کہ میں اتنے بڑے شہر نینوہ  پر جس میں ایک لاکھ بیس ہزار  آدمیوں سے زیادہ  ہیں جواپنے  دہنے  بائیں ہاتھ کے درمیان امتیاز  نہیں کر سکتے اور مویشی بھی بہت ہیں  شفقت نہ کروں‘‘ یوناہ ۴ باب ۱۱ آیت۔ جبکہ یوناہ نبی چاہتا تھا کہ نینوہ کے لوگ خدا کے غضب سے برباد ہو جاویں۔ وہ رحیم  خدا ہے۔ جس نے شرط مقرر کی تھی ۔ کہ اُس کے پاک نام کے لئے گھر وہی  شخص بنائیگا جو صاحب  صُلح ہو گا۔ وہ رحیم  خُدا  کیونکر اپنی رحمت کے برخلاف محمد صاحب اور محمدیوں  کو حکم  دے سکتا تھا کہ میرے نام کے لئے مکّہ میں ایک خانہ کعبہ بناؤ  جس حال میں کہ اُنہوں نے روئے زمین پر آدمیوں کے خون کےدریا بہا دیئے۔  اور نہ محمد صاحب  نہ عمر نہ علی نہ حسن حسین اور نہ دیگر محمدی صاحبان  صاحب صلح ہوئے۔

جب میں نے یہ بات ایک محمدی  مولوی صاحب کی خدمت میں عرض کی تو اُنہوں نے جواب دیا کہ گنہگار کو سزا دینا ظلم نہیں انصاف  ہے اگر محمد صاحب اور محمدیوں نے کافروں  کو مارا اور اُن کامال لوٹ لیا تو یہ کچھ بیجا نہیں کیا خدا کے عدل کو پورا کیا ۔ میں نے عرض  کی جناب من جب کسی رحیم بادشاہ  نے اپنی  رعّیت کے ساتھ محبے کرنی ہوتی ہے تو بھوکھوں کو روٹی اور ننگوں کو کپرا اور یتیموں اور بیواؤں کی خدمت اپنے بیٹے کے ہاتھ سے کرواتا  ہے لیکن جب کسی مجرم کو ببد پٹوانے  ہوتے یا پھانسی دلانا ہوتا ہے  تو  چوڑھے  جلاو  کے ہاتھ سے دلواتا ہے۔ اب آپ ہی  انصاف  فرمائے کہ بیوائیں اور یتیم  غریب مسکین۔ بادشاہ کے بیٹے کو کس نظر سے دیکھیں گے۔  اور مجرم لوگ جلاو کو کس نظر سے۔

قرآن کی ان آیات نے۔ فَخُذُوهُمْ وَاقْتُلُوهُمْ حَيْثُ وَجَدتُّمُوهُمْ وَلَا تَتَّخِذُوا مِنْهُمْ وَلِيًّا وَلَا نَصِيرًا۔جہاں پاؤ انہیں پکڑو اور قتل کرو اور ان میں سے کسی کو اپنے دوست اور مددگار نہ بناؤ۔ اور وَقَاتِلُوهُمْ حَتَّىٰ لَا تَكُونَ فِتْنَةٌ وَيَكُونَ الدِّينُ لِلَّهِ۔ اور ان سے لڑو یہاں تک کہ فساد باقی نہ رہے اور الله کا دین قائم ہو جائے۔  ( البقر رکوع ۲۴) محمد صاحب اور محمدیوں سے بہت ہی بہت سخت ظلم  غیر دین والوں  پر کروائے ہیں۔ ممکن نہیں کہ جن کے عزیز رشتہ داروں کی گردنیں اُن کی آنکھوں  کی سامنے کاٹی گئیں۔ اور جن کے گھر بار لوٹے  گئے اور اُن سے جبراً  کلمۂ  محمدی پڑھوایا گیا۔  کسی طرح سے محمد اور اُس کے خدا کی طرف محبت کی آنکھوں سے دیکھ  سکیں یا کعبہ میں جا کر صدق دل سے محمد ساحب کے خدا  سے اپنی بھلائی کے واسطے  کوئی دعا مانگ سکیں۔  ایسوں سے محمد  صاحب  کے خدُا کی شکایت  بالکل بجا  ہے۔

إِنَّ الْمُنَافِقِينَ يُخَادِعُونَ اللَّهَ وَهُوَ خَادِعُهُمْ وَإِذَا قَامُوا إِلَى الصَّلَاةِ قَامُوا كُسَالَىٰ يُرَاءُونَ النَّاسَ وَلَا يَذْكُرُونَ اللَّهَ إِلَّا قَلِيلًا مُّذَبْذَبِينَ بَيْنَ ذَٰلِكَ لَا إِلَىٰ هَٰؤُلَاءِ وَلَا إِلَىٰ هَٰؤُلَاءِ وَمَن يُضْلِلِ اللَّهُ فَلَن تَجِدَ لَهُ سَبِيلًا ۔ منافق الله کو فریب دیتے ہیں اور وہی ان کو فریب دے گا اور جب وہ نماز میں کھڑے ہوتے ہیں تو سست بن کر کھڑے ہوتے ہیں لوگو ں کو دکھا تے ہیں اور الله کو بہت کم یاد کرتے ہیں۔ کفر اور ایمان کے درمیان ڈانوں ڈول ہیں نہ پورے اس طرف ہیں اور نہ پورے اس طرف اور جسے الله گمراہ کر دے تو اس کے واسطے ہرگزکہیں راہ نہ پائے گا۔ ( لنساء  ۲۱ رکوع)

’’ خدُا نے جہان کو ایسا پیار کیا ہے کہ اُس نے اپنا اکلوتا بیٹا بخشا تا کہ  جو کوئی اُس پر ایمان لاوے ہلاک نہ ہووے بلکہ ہمیشہ کی زندگی پاوے۔ کیونکہ خدا نے اپنے بیٹے کو جہان میں اِس لئے نہیں بھیجا کہ جہان پر سزا کا حکم کرے بلکہ اس لئے کہ جہان اُس کے سبب نجات پاوے‘‘ ( یوحنا کی انجیل ۳ باب ۱۶، ۱۷ آیت)  ’’ خداوند کی روح مجھپر ہے اُس  نئ اِس لئے مجھے مسح کیا کہ غریبوں کو خوشخبری  دوں۔ مجھکو بھیجا کہ ٹوٹے دلوں کو درست کروں۔ قیدیوں کوچھوٹنے اور اندھوں کو  دیکھنے  کی خبر سناؤں۔ اور جو بیڑیوں سے گھایل ہیں اُنہیں چھڑُاؤں اور خداوند کے سال مقبول  کی مُنادی کروں۔ ‘‘ ( لوقا ۴ باب ۱۸، ۱۹ آیت )

’’یسوع نے جواب دیا کہ میری بادشاہت اس جہان کی نہیں اگر میری بادشاہت اس جہان کی ہوتی تو میرے نوکر لڑائی  کرتے‘‘ ۔ ( یوحنا ۱۸ باب ۲۶ آیت)

’’ تب یسوع نے اُس سے کہا اپنی تلوار میان میں کر کیونکہ جو تلوار کھینچتے ہیں تلوار  ہی سے مارے جائینگے‘‘ (متی ۲۶ باب ۵۲ آیت)۔

اے ہمارے پیارے محمدی بھائیو ہم آپکی  منّت کرتے ہیں کہ اِس دنُیا کے بادشاہ محمد کی پیروی چھوڑ دو اور تلوار  کو توڑ کر دور پھینکو۔ اور آسمان کے بادشاہ صَلح اور سلامتی  کے مالک مسیح کے پاس آؤ۔ سُنو وہ کیس میٹھی  آواز سے آپکو  بلاُ رہا ہے۔ ’’ اے تم لوگو  جو تھکے  اور بڑے  بوجھ سے دبے ہو سب میرے پاس آؤ کہ میں تمہیں آرام دونگا۔ میرا جوُا اپنے اوپر لے لو اور مجھ سے سیکھو کیونکہ میں حلیم اور دل سے خاکسار ہوں تو تم اپنے جیؤن میں آرام پاؤگے۔ کیونکہ میرا جوُا ملایم اور میرا بوجھ  ہلکا ہے‘‘۔ ( متی ۱۱ باب ۴۸ سے ۳۰ آیت تک) ’’ مبارل وہ جو صُلح کرنے والے ہیں کیونکہ وہ خُدا  کے فرزند کہلائینگے‘‘ ( متی ۵ باب ۹ آیت) ’’دیکھو کیسی محّبت باپ نے ہمسے کی کہ ہم خدا کے فرزند کہلاویں‘‘ ( ایوحنا ۳ باب آیت)۔


۱. خداوند رات کے وقت سلیمان کو خواب میں دکھائی دیا اور خدا نے کہا جو تو چاہے کہ میں  دوں سو مانگ سلیمان عرض کی ۔۔۔۔۔۔ اے خداوند میرے خدا تو نے اپنے بندے  کو میرے باپ داؤد  کی جگہ بادشاہ کیا اور میں ہنوز لڑکا ہوں اور باہر  جانے  اور بھتیرے آنے کا طور میں نہیں جانتا اور تیرا بندہ تیرے لوگوں کے بیچ میں ہے جنہیں تو نے چنُ لیا  ہے وے لوگ بہت اور بیشمار ہیں کہ کثرت کے باعث  اُن  کا حساب نہیں ہو سکتا۔ سو تو اپنے بندے کو ایسا سمجھنے والا دل عنایت کر کے وہ تیرے  لوگوں کی عدالت کرئے تاکہ میں نیک اور بد میں اِمتیاز کروں کہ تیری  ایسی بھاری  گروہ کا انصاف کون کر سکتا۔ اور  یہ بات  خداوند کے آگے خوش آئی۔ کہ سلیمان نے یہ چیز مانگی۔ اور اپنی عمر کی درازی نہ چاہی اور نہ اپنے لئے دولت کا سوال کیا  اور نہ اپنی دشمنوں  کے  ما بعد ھوٹیکی درخواست کی بلکہ اپنے لئے عقل مندی مانگی  تاکہ عدالت میں  خبر دار رہو۔ سو دیکھ کہ میں  نے تیری باتوں کےمطابق عمل کیا‘‘  ا۔ سلاطین ۳ باب ۵ آیت  سے۔ 

محمد صاحب  نے کہاں  اے روئے زمین کے لوگو( مشت نمونہ خبردار) سُنو کہ میرے رحیم خدا نے میرے دشمنو کے حق  میں کیا کیا فرمایا ہے۔ ولید بن مغیرہ حلاؔف جھوٹی قسمیں  کھانے والا۔ہینؔ زلیل ہے ہمازؔ  عیب کرنے والا ہے لوگوں  کو مشاء بنیم چغل خورہے۔ متاع للخلیو منع کرنے  والا ہے بھائی سے معتؔہ  ظالم  کرنے والا اور حد سے گزرجانا والا  ہے اثیم  گنہگار ہے عُتُلؔ بدر اور زشت خوہی ( گویا یہ سب باتیں ولید کو خرا ب دخوار کرنے کے واسطے کافی نہ تھیں) اور بعد ان عیبوں کے وہ  دلدالزنا  یعنے حرام کا  کا لطفہ بھی ہے۔ ‘‘ ( سورہ نؔ اور القلم ارکوع) تَبَّت یَدٔاَ انی لہَب وَّتُّبَّ ( سورة ا للہب الخ) ٹوٹ جاویں دونوں ہاتھ ابی لہب کے اور وہ آپ مر جاوے۔  نہ دفع کریگا اُس سے اِس بددعا کی تاثیر  کو اور اس پھٹکار  کو اُس کا مال اور جو اُس نے کمائی کی ششاب داخل ہو گا آگ شعلے والی یعنے دوزخ میں۔ اور جو رو اُسکی  جہنم کا ایندھن  اُٹھانے والی۔اور بیچ گردن  اُس کی کے پوست کھجور کی رسّی  یعنے دوزُخ کا زنجیر‘‘ ابی لہب نے دونوں ہاتھ سے پتھراُٹھا کر محمد صاحب کو  مارا تھا اور اُس کی بیوی محمد صاحب کے راہ میں کانٹے ڈالتی تھی۔

Mango Fruit

درخت اپنے پھل سے پہچانا جاتا ہے


A Tree is known by its Fruit

Published in Nur-i-Afshan March 27, 1896

یہ تو ایک پرُانی مثال  ہے جس  کو ہر ملک کے لوگ بخوبی جانتے اور اپنی روزمرہ کی گفتگو میں استعمال کرتے ہیں۔ مگر  یہ چھوٹا  جملہ  بہت  ہی معنی ہے۔ پھل اور درخت میں ایک خاص تعلق  اور ایک خاص زندگی اور ایک خاص  رشتہ  پایا جاتا ہے بلکہ یہ دونوں دو نہیں ایک ہی تن ہیں۔ درخت مثل ایک گونگے و بہرے و نابینا  کے ہے  جو طاقت گویائی و بینائی و سماعت سے بالکل ہی محروم ہے گو جان رکھتا ہے پر بے زبانی کی وجہ سے مثل مردہ بے حس و حرکت ہے۔  صرف پھل ہی سے اُس کے سارے اوصاف ظاہر ہو جاتے ہیں۔ علم باٹنی کے علمانے درخت  کے بارہ میں بہت سی تصانیف  لکھیں  ہیں اُن کا یہ قول مقولہ اور تجر بہ  ہے کہ درخت کے درمیان نر و مادہ ہوتے ہیں اور جس کو سائٹیفک  اور تجربوں  سے ثابت  کر کے دکھلایا ہے۔ مثلاً  وہ پھولوں اور پھلوں  کی پیدایش کا سبب یہ بتلاتے ہیں کہ بعض پھول و پھل کے درخت  میں ایک  نر و مادہ  ہوتا ہے پس کسی موافق ہونا  یا کسی مکھی  یا اور چھوٹے جانور کی نشت برخاست کی  وجہ سے جو ایک درخت  پر بیٹھکر  پھر دوسرے درخت  پر جا بیٹھتا ہے یا ایک سمت  کی ہوا  دوسری  جانب کو رجوع ہوتی ہے پس اس طرح  یہ باہمی اتحاد اُن کی بہم پیوستگی  اور چغت قرار پکڑنے کے لئے ایک کافی وجہ ہوجاتی ہے۔ اس قدرتی زریعہ سے صد ہا قسم کے پھل وپھول  خوشبو و خوش  زایقہ  پیدا ہوتے رہتے ہیں۔ مراکو  صاحب  جو کمیسڑی  اور باٹنی کا ایک فاضل اجل شخص  تھا وہ بیان کرتا ہے کہ آدم جنس کی افراد  کے مطابق درختوں کے مخصوص  نام نہیں جانتا تھا پر جب اُس  نے اُس کا پھل کھایا  اور اُسکے مزے و خوش  و بد زایقہ سے واقف ہوا تو اُس کا نام اسم باسمیٰ  سکھا ۔ 

زیل کی مثالوں  سے یہ  امر بآ سانی  حل ہو سکتا ہے  مثلاً گلاؔب  جس کے معنی پھول  اور پانی ہے۔ موتیا جس کے پھول  مثل نوتی کےہوتے ہیں اور کھٹا  اور میٹھا ننیبو جو بوجہ شیرین اور تراش  زایقہ  کے نامزد کئے گئے۔ وہ اس کی ایجادیوں  بیان کرتے ہیں کہ جب قادر مطلق  خدا  نے سب اشیا اور  درختوں کو پیدا کر کے آدم  کے سپرد  کیا تو سب جنس اپنے اپنے انواع  میں منقسم  تھے لیکن  جب آدم فعل بدکا مرتکب  ہو کر درخت  ممنوعہ کے پھل کو  کھایا  تو اُس  پھل کی خوشی  ذایقی  نے اُس کی زبان کو پھل اور درخت کے نام کو نامزد کرنے کے  لئے تحریک  کیا۔  کلام پاک کی  شہادت  سے یہ ظاہر ہوتا ہے کہ  آدم  پھل کے زایقہ  کی وجہ نیک و بد کا پہچاننے والا ہوا کیونکہ جب خدا نے اُس کو باغ عدن میں رکھا تو اُسے فرما دیا تھا کہ  تو باغ کے ہر درخت سے پھل کھایا کر لیکن جب شیطان نےاُسے  اپنی  چالاکیوں  میں پھنسا لیا تو درخت و پھل  کی شناخت  و خوبیاں بھی اُسے بتلادیں دیکھو پیدایش  ۳۔ ۶ آیت۔ تب سانپ نے کہا کہ خداا جانتا ہے کہ جس دن تم نیک و بد کے جاننے والے ہو گے۔ اور عورت نے جوں دیکھا کہ درخت کا پھل کھانے میں اچھا  اور دیکھنے میں خوشنما اور عقل بخشنے  میں  خوب ہے تو اُس کے پھل میں سے لیا اور کھایا  اور اپنے شوہر  کو بھی دیا اور اُس نے بھی کھایا  تب دونوں کی آنکھیں  کُھل گئیں اور یہ مثل  مشہور  ہوئی کہ درخت اپنے پھل سے پہچانا  جاتا ہے ۔ اور تب اُن کی آنکھیں کُھل گئیں اور اُن کو معلوم ہوا کہ ہم ننگے ہیں تب یہ پر معنی جملہ اُن  کے حسب  حال  نظریہ  کہ آدم اپنے پھلوں سے پہچانا گیا۔  اور وہ خدا کا نافرمانبردار  ٹھہرا اور اُس  میں تلخ و ترش پھل  نمودار ہوئے اور خدا کی لعنت  کی وجہ سے آدم  اور اُس کی تمام  اولاد  و کل  مخلوقات  لعنتی  ہوئی  اور خدا اور انسان  جو پیشتر  ایک جان  دو قالب ہو رہےتھے اب  دوئی کی وجہ سے دو نظر آنے لگے یعنی حاکم  و محکوم  اور عابد  و معبود  و رعیت  و بادشاہ۔  بڑھتے بڑھتے  انسان  و حیوان۔ جاندار و بیجان۔ درخت و نباتات پھل و پھول  صدہا اقسام  میں منقسم ہو گئے ۔ یہا نتک  کہ اس زمانہ میں بھی  بہت ایسے  درخت  جنگلوں میں موجود ہیں کہ جن  کو انسان  مطلق نہیں جانتا  اور  نہ اُس  کےنام و  مزاے سے واقف  ہے اور وہ درخت  گمنام کہلاتا ہے۔

اب ہم آدمزاد کی موجودہ  اقسام کا شمار مفصلہ زیل کرتے ہیں ۔ ہندو۔ محمدی ۔ یہودی۔ چینی ۔ پارسی وغیرہ اور پھر اقسام  دراقسام  ہو گئی ہیں۔ جن کا شمار لاکھوں لاکھ تک پہنچ  سکتا ہے اور ان کی خوبیاں اور زایقہ طرح طرح کا ہو گیا چنانچہ اُنہیں میں سے ایک قسم کے لوگ جو نافرمانی  کے پھل  کے زایقہ سے آگاہ تھے خداوند مسیح کے پاس آکر مثل  سانپ کے اُسے اپنی چالاکیوں  کی دام میں چند سوالوں کے زریعہ پھنسانے چاہا جن کا مفصل زکر  لوقا ۶ باب میں مندرج  ہے۔  یعنی فریسی و فقیہ  جنہوں نے اپنے دل کےبُرے  خزانہ  سے بری چیزیں نکالکر اُس کے سامنے یہ سوالات پیش کئے۔ کہ تیرے شاگرد  وہ کام کیوں وہ کام کرتا ہے جو سبت کے دن کرنا روا نہیں پس اس کے جواب میں  دلوں اور گردوں  کے جانچنے  والے مالک نے اُن کے خیالات کو دریافت کر کے یہ جواب دیا کہ درخت  اپنے پھل سے پہچانا جاتا ہے۔ اور پھر اسی باب  ۴۳ سے ۴۵۔ آیت تک اُن  تمام سوالوں کی پوری تفسیر درج ہے جس کو ہم ہدیۂ ناظرین کرتے ہیں کیونکہ  اچھے درخت  میں بُرا پھل نہیں لگتا اور نہ برُے  درخت  میں اچھا پھل۔ پس ہر ایک درخت اپنے پھل سے پہچانا  جاتا ہے۔ اچھا آدمی اپنے دل کے اچھے  خزانے سے اچھی چیزیں  نکالتا ہے اور برُا آدمی  اپنے برُے دل کے خزانہ  سے برُی چیزیں باہر  لاتا ہے  کیونکہ جو دل میں بھرا ہے وہی منُہ پر آتا ہے ۔ پس سائلوں نے اپنے سوال  کا جواب با صواب پا کر  دل ہی دل میں قایل و شرمندہ  ہونے لگے اور فوراً منہ چھپا کر غائب ہوگئے اسی طرح موجودہ زمانہ میں مذکورہ  بالا سائیلوں کی مانند چند  تلخ مزاج و تراش  مزاج  اشخاص  مسیح کے شاگردوں کو متفرق  سوالات سے آزماتے اور صدہا عیب و الزام  لگاتے بس صرف یہی جواب اُن کے   قائل کرنیکے لئے کافی ہو گا کہ درخت  اپنے پھل سے پہچانا جاتا ہے۔ اور برُا آدمی  اپنے دل کے خزانہ  سے کیونکر اچھی چیزیں نکال سکتا ہے اگر اس سے بھی تشفی نہو تو وہ مثل فریسیوں و فقیہوں کے جن کی اقسام میں وہ شامل ہیں خود مسیح کے پاس آکر  اپنے دلی خیالات  اُس پر ظاہر کریں  وہ  نہایت ہی لایق اور عمدہ جواب اُن کو دیگا جیسا کہ نافرمانی  کے بدلہ  میں آدم کو  خدا نے یہ لعنت منسوب کی کہ ترے کاموں کا اجر تجھے کانٹا اور اونٹ کٹارا حصہ ملیگا ویسا ہی تم جو  آدم  کی اولاد  اور کدا کے فرمانبردار  فرزند پو مسیح کیطرف سے تمہیں یہ جواب دیا جاتا ہے کہ اے ریاکار  پہلے اُس کا نڈی کو اپنی آنکھ سے نکال تب اُس تنکے کوجو تیرے بھائی کی آنکھ میں ہے کیونکہ  کانٹوں کے درخت سے تو انجیر توڑ سکتا اور بہت کٹیا سے انگور ۔ اچھی طرح دیکھ اور غور کر کہ درخت  اپنے پھل سے پہچانا جاتا ہے اور اپنے دل کے خزانہ کی خوب ہوشیاری کر کہ عاقبت کا انجام اسی سے ہے۔ 

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